कुम्भ के फेर में सूखी नदी, एनीकट से भर रहे पानी

dry river
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आज से शुरू हो रहे राजिम कुम्भ के लिए महानदी व पैरी नदी के संगम पर राजीव लोचन मन्दिर के सामने अस्थायी घाट बनकर तैयार है। श्रद्धालुओं को डुबकी लगाने के लिए नदी में पानी भी छोड़ दिया गया है। लेकिन स्नान पर्व के खत्म होते ही नदी फिर सूख जाएगी। इसकी वजह संगम तट पर हर साल तैयार की जाने वाली अस्थायी व्यवस्था है।

घाटों और आवास के निर्माण में प्रयोग होने वाली दर्जनों ट्रक मिट्टी, मुरुम और सीमेंट की वजह से नदी की प्राकृतिक स्वरूप बिगड़ा है। हालात यह है कि नदी की धार कुछ ही मीटर से सिकुड़ गई है। तीन जिले नदी में निर्माण कार्य कर रहे हैं। रायपुर, धमतरी और गरियाबन्द जिला प्रशासन के साथ लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, लोक स्वास्थ्य यान्त्रिकी विभाग और धर्मस्व विभाग इस बार भी कुम्भ के लिए अस्थायी निर्माण कार्य करा रहे हैं।

लेकिन इससे संगम पर महानदी का गला घुट रहा है। मिट्टी का अस्थायी ढाँचा, रेत और अन्य सामग्री कुम्भ बीतने के बाद यूँ ही छोड़ दिया जाता है। विभाग का मानना है कि बारिश में मिट्टी व अस्थायी ढाँचा बह जाएगा। लेकिन संगम से 100 मीटर आगे बने जलसंसाघन विभाग का एनीकट पानी के बहाव को रोकता है। मिट्टी सीमेंट व रेत एनीकट और नदी के मुख्य बहाव क्षेत्र में जमा हो जाता है। इससे नदी उथली हो रही है।

श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नदी के जलभरण क्षेत्र में मिट्टी के अस्थाई निर्माण कार्य कराए जाते हैं। माना जाता है कि यह बरसात में बह जाती होगी। मिट्टी भराई से होने वाले नुकसान के विषय में कभी सोचा नहीं गया।
(एच.आर.कुटारे, प्रमुख अभियन्ता, जल संसाधन विभाग)
 

बदल रहा है जलीय तन्त्र


मिट्टी के ढाँचे की वजह से संगम का जलीय तंत्र बदल रहा है। एनीकोट की वजह से पैरी और महानदी में पानी कम हुआ है। संगम क्षेत्र में अवरोधों से धार संकरी हुई है। मछलियाँ कम हुई है। बीच नदी में हरियाली बढ़ी है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि नदी अपने भूमिगत स्रोतों से पानी नहीं ले पाएगी। इससे डाउन स्ट्रीम में पानी कम होगा। इसका असर भूमिगत जल और नदी पर आश्रित लोगों की जीविका पर पड़ेगा।
(गौतम बन्दोपाध्याय, पर्यावरणविद्)
 

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