क्यों गिरती है आकाशीय बिजली

15 Oct 2016
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इधर आप यह लेख पढ़ रहे हैं, उधर विश्व में लगभग 1,800 विद्युतीय उत्पाद पनप रहे हैं। इनसे प्रति सेकेंड लगभग 600 कौंधे पैदा हो रही हैं, जिनमें से 100 धरती को भी छू रही हैं, यानी प्रतिदिन लगभग 85 लाख बिजलियाँ धरती पर टूटती हैं।


आकाश में चमकने वाली बिजली को तड़ित कहते हैं। साधारणतया इसमें 17,000 से 27,0000C ताप होता है जोकि सूर्य की सतह से तीन से पाँच गुना ज्यादा। वैज्ञानिक ‘ठंडी’ बिजली का जिक्र करते हैं, मगर इससे अभिप्राय है कम समय (लगभग सेकेंड के हजारवें भाग) तक चमकने वाली बिजली। ‘गरम’ बिजली कहीं अधिक देर अर्थात सेकेंड के दसवें भाग तक चमकती है। गरम बिजली आग लगाती है, ठंडी बिजली प्रायः विस्फोटक गर्जना करती है।

बचपन से ही बारिश के मौसम में चमचमाती तेज आवाज के साथ सर्पाकार आकाशीय बिजली को तड़तड़ाते देखा है। आखिर बिजली क्या है? तूफानी बादलों में विद्युत आवेश पैदा होता है। इनकी निचली सतह ऋणावेशित और ऊपरी सतह धनावेशित होती है, जिससे जमीन पर धनावेश पैदा होता है। बादलों और जमीन के बीच लाखों वोल्ट का विद्युत, प्रभाव होता है। धन और ऋण एक-दूसरे को चुम्बक की तरह अपनी-अपनी ओर आकर्षित करते हैं, किन्तु वायु अच्छी संवाहक नहीं होती। अतः विद्युत आवेश में रुकावटें आती हैं और बादल की ऋणावेशित निचली सतह को छूने की कोशिश करती धनावेशित तरंगे (जो बादल के पीछे छाया की तरह लगी रहती हैं) पेड़ों, पहाड़ियों, इमारती शिखरों, बुर्ज, मीनारों और राह चलते लोगों पर टूट पड़ती हैं।

इस बीच विषम ऋणावेशित संस्पर्शक (फीलर) लगातार जमीन की ओर प्रवाहित होते रहते हैं। अन्त में वायु की रोधकता पराजित हो जाती है और विद्युत धारा स्थापित हो जाती है। इस सुचालक वायु सरणि के रहते बिजली की भीषण हिलोर धरती से आकाश की ओर फूट पड़ती है, जिससे कौंध पैदा होती है, (यद्यपि हमें लगता है कि बिजली आकाश से धरती की ओर दौड़ रही है) प्रत्येक कौंध जमीन से सैकड़ों मीटर दूर हो सकती है और सैकड़ों किलोमीटर दूर भी।

बिजली कितनी गर्म है?


आकाश में चमकने वाली बिजली को तड़ित कहते हैं। साधारणतया इसमें 17,000 से 27,0000C ताप होता है जोकि सूर्य की सतह से तीन से पाँच गुना ज्यादा। वैज्ञानिक ‘ठंडी’ बिजली का जिक्र करते हैं, मगर इससे अभिप्राय है कम समय (लगभग सेकेंड के हजारवें भाग) तक चमकने वाली बिजली। ‘गरम’ बिजली कहीं अधिक देर अर्थात सेकेंड के दसवें भाग तक चमकती है। गरम बिजली आग लगाती है, ठंडी बिजली प्रायः विस्फोटक गर्जना करती है।

बिजली की तीव्र ऊष्मा कौंध के मार्ग में वायु को प्रचण्ड वेग से बाँधती है। वायु इतनी तीव्रता से उसका मार्ग प्रशस्त करती है कि उसके हटने की आवाज सुनी जा सकती है। तड़ित दीपन निकट हो तो कर्णभेदी कड़कड़ाहट, तड़ित गर्जन प्रायः 11 किलोमीटर दूर तक और कभी-कभी इससे तीन चार गुना दूर तक सुनी जा सकती है।

प्रकाश की गति 3,00,000 किलोमीटर प्रति सेकेंड है, यानी बिजली की चमक आप तत्काल देख सकते हैं। ध्वनि लगभग तीन सेकेंड में एक किलोमीटर चलती है। चमक देखने के बाद सेकेंड गिनने लगिए। गरज सुनने पर गिनती बंद कर दीजिए। सेकंडों को तीन से भाग देकर आप पता लगा सकते हैं कि बिजली कितनी दूर चमकी।

बिजली कितनी तरह की?


आम टेढ़ी-मेढ़ी दिखने वाली बिजली विद्युतरेखा कहलाती है। विद्युतरेखा जब वायु की रोधकता बींधकर विद्युत सरणि का निर्माण करती है, तो एक जैसी अनेक समानांतर धारियाँ दिखती हैं, जिन्हें विद्युतपट कहते हैं। अगर इसकी दो शाखाएँ एक साथ जमीन को छूती दिखें तो इसे विद्युत लता या द्विशाखित विद्युत कहेंगे।

बहुत दूर चमकने वाली बिजली, जिसकी धारियाँ आप नहीं गिन सकते और न जिसकी गर्जना सुन सकते हैं, विद्युतोष्मा कहलाती है।

बादलों के धनावेशित और ऋणावेशित छोरों के बीच विस्तृत क्षेत्र में कौंधने वाली बिजली को विद्युतास्तरण कहते हैं।

बिजली की जो दीप्तियाँ धरती को नहीं छूतीं, उन्हें अन्तर्मेघ विद्युत कहते हैं, यानी किसी बादल के भीतर या दो बादलों के बीच की बिजली। बादल आमतौर पर इनके प्रकाश को ढाँपे रहते हैं, अतः आकाश में चहुँ ओर दमकने वाली बिजली की अधिकांश कौंध का हमें पता भी नहीं चलता। कभी-कभी इस तरह की कोई दीप्ति तूफान से कई किलोमीटर दूर निकल जाने के बाद जमीन को छूती है। इसे कहते हैं, ‘बिन मेघ वज्रपात’ या ‘दैवी विपत्ति’।

बिजली कब गिरती है?


इधर आप यह लेख पढ़ रहे हैं, उधर विश्व में लगभग 1,800 विद्युतीय उत्पाद पनप रहे हैं। इनसे प्रति सेकेंड लगभग 600 कौंधे पैदा हो रही हैं, जिनमें से 100 धरती को भी छू रही हैं, यानी प्रतिदिन लगभग 85 लाख बिजलियाँ धरती पर टूटती हैं। पीटर वाइमीस्टर की ‘द लाइटनिंग बुक’ के अनुसार ‘अधिकांश वैज्ञानिक आज इस बात से सहमत हैं कि बिजलियों के टूटने से धरती का विद्युतीय सन्तुलन बना रहता है।’

जमीन पर सूर्योदय की अपेक्षा सूर्यास्त के समय अधिक बिजली गिरती है, सागर में इसका उल्टा होता है। इसी प्रकार गर्मियों में सर्दियों की अपेक्षा अधिक बिजली गिरती है।

बिजली की चपेट में आने वाले दो तिहाई से अधिक व्यक्तियों पर बिजली तब गिरती है, जब वे घर से बाहर खुले में होते हैं, इसके तीन में से दो शिकार बच जाते हैं। मरने वालों में से 85 प्रतिशत पुरुष और उनमें से भी अधिकांश 10 से 35 वर्ष की आयु के लोग होते हैं। इनमें से भी उन लोगों को मौत ज्यादा दबोचती है, जो पेड़ों के नीचे शरण लेते हैं (प्रायः प्रत्येक वर्ष 10 से 16 प्रतिशत) और इनमें से भी अधिकांश मरने वाले होते हैं, गोल्फ के खिलाड़ी। घायल होने या मरने वाले अन्य लोग वे हैं, जो बिजली गिरने पर तैरते या ट्रैक्टर चला रहे होते हैं। यह आँकड़े अमेरिका के हैं। औसत आदमी के बिजली से मरने की कितनी संभावनाएँ हैं? दस लाख में से एक पर स्थिति बदतर भी हो सकती है।

बिजली के आघात सहने का चैम्पियन संभवतः राय सुलीवन है। सेवानिवृत्त अमेरिकी वनपाल सुलीवन पर सात बार बिजली गिर चुकी है। इसके अनेक प्रहारों से उसकी भौंहें झुलस गईं, बाल जल गये, कन्धे दब गये, पाँव से जूता निकल गया और वह कार से बाहर उछाल दिया गया। वह कहता है, बिजली को मुझे ढूँढ़ निकालना आ गया है।

बिजली से सुरक्षा


बिजली से बचने के निम्नलिखित उपाय किये जाने चाहिए :
1. ऊँचे पेड़ के नीचे खड़े न हों।

2. आस-पास की सबसे ऊँची चीज न बनें (नाव या मैदान में, या पहाड़ी की चोटी पर खड़े हों, तो दुबक जाएँ) पानी से बाहर निकल आएँ।

3. धातु की वस्तुएँ जैसे गोल्फ का बल्ला, मछली पकड़ने की छड़ व बंदूक आदि दूर झटक दें। जूतों में नाल या कील लगे हों, तो उतार दें। बाइसकिल से उतर जाएँ।

4. सिर के बाल खड़े होने लगे या आपकी त्वचा सिहरने लगे, तो समझें बिजली गिरने ही वाली है। जमीन पर बैठकर सिर आगे झुका लें और घुटने बाँहों में भींच लें, लेकिन शरीर झुकाना, जमीन पर लेटना या चौपाया बनना खतरनाक है।

5. किसी बड़ी इमारत, घर या कार में छिप जाएँ।

6. घर में पहुँचने के बाद सबसे सुरक्षित स्थान है, सबसे निचली मंजिल के सबसे बड़े कमरे का मध्य भाग, फायर प्लेस और चिमनी से दूर।

7. दरवाजे, खिड़की, रेडिएटर और बिजली के चूल्हे आदि से दूर रहें।

बिजली गिरने पर यदि तुरन्त उपचार किया जाए, तो घायल व्यक्ति के पूरी तरह ठीक होने की संभावना होती है। हृदय और फेफड़ों को जल्दी चालू न किया जाए तो मस्तिष्क के क्षतिग्रस्त होने का खतरा बना रह जाता है।

अंत में, एक तथ्य आपके लिये अत्यन्त सांत्वनाकारी होगा। यदि आपने बिजली चमकती देख ली तो समझिए, आप बच गए।

सम्पर्क सूत्र :


डॉ. विभा सिंह
‘विभावरी’, जी-9 सूर्यपुरम, नन्दनपुरा, झाँसी 284003 (उ.प्र.), [मो. : 09415055655;, ई-मेल : vibhasingh1234@gmail.com]


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