परिकल्पना: महिलाएं पानी की कमी को पुरुषों से कहीं अधिक गंभीर पर्यावरणीय समस्या के रूप में देखती हैं। कारण: तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों की कई तरह की बहुस्तरीय पर्यावरणीय चिंताएं होती हैं। ये चिंताएं उनसे और उनके संबंधियों के जीवन पर पड़ने वाले असर से संबंधित है। यह मान कर चला जाता है कि परिवार में पीने के पानी की जिम्मेदारी महिलाओं की है। परिवार के स्वास्थ्य की अधिक जिम्मेदारी भी उन्हीं के कंधों पर होती है। ऐसे में उम्मीद की जाती है कि महिलाओं में पानी के कमी के प्रति चिंता कहीं अधिक होती है। कार्यप्रणाली: विभिन्न सामाजिक आर्थिक स्तर के 50 पुरुषों और 50 महिलाओं का चयन करें। उन्हें विभिन्न पर्यावरणीय चिंताओं के क्रम पर अपनी राय प्रकट करने के लिए कहें। मसलन (1) पानी की कमी (2) समुद्र में तेल का बिखराव (3) पशुओं के चारे की कमी (4) भूमिगत जल का गिरता स्तर (5) विभिन्न स्थानीय जंगली प्रजातियों का विनाश (6) प्रदूषित नदी जल (7) ट्रैफिक जाम (8) वैश्विक गर्मी आदि। विभिन्न समुदायों के स्थानीय लोगों से प्राथमिक चर्चा के बाद उनसे संबंधित पर्यावरणीय मसलों की सूची बनाई जा सकती है। अगला कदम: महिलाओं और पुरुषों में पेय जल से जुड़ी चिंताओं के अलावा अन्य पर्यावरणीय मसलों पर विचारों में अंतर का आकलन करें। महिलाओं और पुरुषों के अलग-अलग नज़रिए को समझने के लिए उनका विस्तार से साक्षात्कार लें।
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