मैली होती जा रही हैं नदियां

29 Sep 2013
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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में ज्यादातर जगहों पर जल गुणवत्ता मानक तय पैमाने पर खरे नहीं उतर रहे हैं। जैव रसायन, ऑक्सीजन मांग, फीकल कोलीफार्म जैसे मानकों पर एनसीआर में अधिकतर स्थानों पर जल गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एनसीआर सहित पूरे देश में नदियों की जल गुणवत्ता की निगरानी कर रहा है। वर्तमान नेटवर्क में एनसीआर सहित 28 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों में 2500 स्टेशन शामिल हैं। हाल के वर्षों में देश की नदियों में प्रदूषण बढ़ा है। इसका बड़ा कारण तेजी से हो रहे शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और अपशिष्टों को नदियों में छोड़ा जाना प्रमुख है। यह जानकारी वन और पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने सोमवार को लोकसभा में निशिकांत दुबे, हमीदुल्ला सईद और मेनका गांधी के सवाल के जवाब में दी। उन्होंने बताया कि ऐसे बैक्टीरिया युक्त जल के इस्तेमाल से गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं। उन्होंने बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मिली सूचना के अनुसार मेरठ के बूचड़खाने से गंदा पानी और दूसरे अन्य पदार्थ व मुज़फ़्फरनगर, मोदीनगर, बुलंदशहर, हापुड़ और कन्नौज में मल-जल व औद्योगिक गंदगी प्रवाहित किए जाने की वजह से उत्तर प्रदेश में काली नदी प्रदूषित हुई है।

नटराजन ने कहा कि राष्ट्रीय गंगा बेसिन प्राधिकरण के तहत उत्तर प्रदेश में कन्नौज शहर में काली नदी की सफाई के लिए फरवरी 2011 में 43.66 करोड़ रुपए की एक परियोजना को मंजूरी दी गई थी। उन्होंने बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने देश में विभिन्न नदियों में 150 स्थानों पर प्रदूषित धाराओं की पहचान की है।

सुदर्शन भगत के सवाल के जवाब में जयंती नटराजन ने बताया कि देश में खतरनाक अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि देश में इस समय 79 लाख टन खतरनाक कचरा होने का अनुमान है जो वर्ष 2007-08 के दौरान करीब 60 लाख टन था। इसमें रासायनिक कचरा भी शामिल है।

एक और सवाल के जवाब में नटराजन ने बताया कि पंजाब में इंदिरा गांधी नहर सहित सतलुज और व्यास नदियों में भी स्थानीय स्रोतों और उद्योगों का कचरा बहाया जा रहा है। उन्होंने सीमा उपाध्याय और ऊषा वर्मा सहित कई अन्य सदस्यों के सवालों के जवाब में बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण को दिल्ली में नियंत्रित प्रदूषण (पीयूसी) केंद्रों में अनियमितताओं के बारे में कोई शिकायत नहीं मिली है।

महेश जोशी के सवाल के जवाब में वन व पर्यावरण मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में ज्यादातर जगहों पर जल गुणवत्ता मानक तय पैमाने पर खरे नहीं उतर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जैव रसायन, ऑक्सीजन मांग, फीकल कोलीफार्म जैसे मानकों पर एनसीआर में अधिकतर स्थानों पर जल गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एनसीआर सहित पूरे देश में नदियों की जल गुणवत्ता की निगरानी कर रहा है। वर्तमान नेटवर्क में एनसीआर सहित 28 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों में 2500 स्टेशन शामिल हैं।

नटराजन ने एक सवाल के जवाब में बताया कि पिछले करीब तीन साल में ट्रेनों से कट कर 51 हाथी मारे गए। 2010-11 में ट्रेनों की चपेट में आने से 19 हाथियों, 2011-12 में 13 हाथियों, 2012-13 में 16 हाथियों और एक अगस्त 2013 तक तीन हाथियों की मौत हुई है। मंत्री ने कहा कि इस अवधि में ट्रेन से टक्कर में एक बाघ की मौत हुई, जबकि सड़क हादसों में तीन बाघों और करंट से सात बाघों की मौत हुई। नटराजन ने कहा कि रेल मंत्रालय ने वन व पर्यावरण मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श कर ट्रेनों से जंगली हाथियों की टक्कर को रोकने के लिए सभी रेल जोनों को सुझाव दिए हैं और परामर्श जारी किया है।

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