महाभारतकालीन नगर तेजपुर (असम) के भूजल में समस्थानिकों के गुणधर्म में स्थानीय विचलन

सर एडमंड हिलेरी ने कहा है, पर्यावरणीय समस्या मनुष्य के कारण ही शुरू होती है तथा इसका शिकार भी स्वयं मनुष्य ही बनता है। प्रचुरता में उपलब्ध जल संसाधनों के कारण उत्तरपूर्वी भारत को जहाँ भारत का पावर हाउस कहा जाता है वहीं समस्याओं के निराकरण के लिए जरुरी आँकड़ों का यहाँ अकाल सा है। इस विरोधाभास के समाधान के लिए समाहित समन्वित प्रयासों तथा अत्याधुनिक तकनीकों के उपयोग की आवश्यकता से इंकार नहीं किया जा सकता है। इस क्षेत्र में जल संसाधन की समस्या बहुत बड़े परिमाण के रूप में है। इस क्षेत्र में बहुत बड़े आयाम में फैली हुई जल संसाधन समस्याओं को सुलझाने के लिए बहु-अनुशासनात्मक प्रयास तथा सशक्त सामाजिक-राजनीतिक इच्छाशक्ति की सख्त जरुरत है। इसके लिए सशक्त आंकड़ों की जरुरत लंबे समय से महसूस की जा रही है।

पिछले कुछ दशकों में नाभिकीय जलविज्ञान की बहुउपयोगिता के कारण इसका प्रयोग जलविज्ञानीय समस्याओं के विभिन्न पहलुओं को सुलझाने में प्रचुरता से होने लगा है। इसके लिए अत्यंत ही उन्नत नाभिकीय जलविज्ञानीय यंत्रों का निर्माण हुआ है, जिसके कारण जलविज्ञानीय अध्ययन अति शुद्धता के साथ करना संभव हो पाया है। इन यंत्रों की मदद से रेडियोधर्मी तथा स्थिर समस्थानिकों की माप अत्यधिक शुद्धता से की जाती है। जिसकी मदद से कृषि, जल संसाधन, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग इत्यादि कठिन समस्याओं की जानकारी तथा इनके निराकरण में मदद आसान हो गया है जो कि परंपरागत तकनीकों के उपयोग से लगभग असंभव सा था।

वर्तमान में स्थिर समस्थानिकों (isotopes) का उपयोग बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक अनुसंधान में किया जा रहा है। यहां तक कि पोषण अध्ययन के क्षेत्र में भी स्थिर समस्थानिकों का उपयोग मानव शरीर के माध्यम से पोषक तत्वों के प्रवाह के अध्ययन करने के लिए किया जाता है। चूंकि ये सुरक्षित और गैर रेडियोधर्मी होते हैं अतः ये शिशुओं और गर्भवती महिलाओं में भी इस्तेमाल किये जा सकते हैं।

उत्तरपूर्वी भारत के किसी भी स्थल के भूजल में समस्थानिकों के आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रूड़की ने तेजपुर शहर के भूजल में ऑक्सीजन तथा हाईड्रोजन समस्थानिक वर्गीकरण एवं स्थानीय भूजल समस्थानिक रेखा का स्थापन करने का प्रयास किया है। इससे क्षेत्र में जल संसाधनों की विभिन्न समस्याओं से संबंधित अध्ययनों का समस्थानिकों की सहायता से आसानी से अभिकल्पन किया जा सकता है।

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