मिले विलुप्त चंद्रभागा नदी के साक्ष्य

water spring
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कोणार्क के सूर्य मन्दिर की पुरानी तस्वीरों में कई जगह उसके आस-पास जलस्रोत दिखाए गए हैं। पत्तों पर उकेरी गई कलाकृतियों में भी नदी दिखती है। पुरानी कहानियों में भी सूर्य मन्दिर के आस पास नदी की कथा मिलती है लेकिन इस समय मन्दिर के आस-पास कोई नदी नहीं है। लुप्त हो चुकी चन्द्रभागा नदी पर देश में फिर से एक बार चर्चा हो रही है तो इसके पीछे आईआईटी खड़गपुर के भूवैज्ञानिकों का गहन अध्ययन है, जिसके बाद इस बात का खुलासा हुआ कि चन्द्रभागा नदी का अस्तित्व था। कुछ दिनों पहले तक सरस्वति नदी की खोज की चर्चा पूरे देश में हो रही थी। इसे लेकर कुरुक्षेत्र के पास खुदाई भी हुई और नदी को तलाश लेने का दावा भी किया गया। इसी तरह का एक दावा आईआईटी खड़गपुर के भूवैज्ञानिकों ने भी किया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि उपग्रह की तस्वीरों में क्षेत्र के हवाई परीक्षण में लुप्त हो चुकी नदी चंद्रभागा का मार्ग कोणार्क के सूर्य मन्दिर के पास दिखता है। जमीन भेद कर जानकारी निकाल सकने वाले रडार की मदद से निष्क्रिय पर चुकी नदी या उसकी धारा का अवशेष जिसे पलेआचैनल कहते हैं, उसकी पहचान कर ली गई है।

कोणार्क का सूर्य मन्दिर यूनेस्को के विश्व की विरासतों की सूचि में शामिल है। यह मंदिर भूवनेश्वर में है। इस मन्दिर का निर्माण 13वीं सदी में राजा नरसिंहदेव ने कराया था। वैज्ञानिकों ने यह जानने का प्रयास किया कि विलुप्त हो चुकी चन्द्रभागा नदी सूर्य मन्दिर के निर्माण के समय मन्दिर के आस-पास मौजूद थी या मन्दिर निर्माण के पूर्व ही वह विलुप्त हो चुकी थी। इसे जानने के लिये वैज्ञानिक विभिन्न उपग्रह तस्वीरों की जाँच कर रहे हैं, साथ ही नदी की धारा और उसके मार्ग को पहचानने का प्रयत्न भी कर रहे हैं। वैज्ञानिक पुराने दस्तावेजों से महत्त्वपूर्ण तथ्य भी जुटा रहे हैं।

ऊपर जिस पलेआचैनल का जिक्र किया गया है, वैज्ञानिकों ने पाया कि वह कोणार्क सूर्य मन्दिर के उत्तर से होकर गुजर रही है। यह बात अब तक प्रामाणिक तरीके से कहने की स्थिति में वैज्ञानिक नहीं हैं कि कोणार्क सूर्य मन्दिर जब बना था उस समय चन्द्रभागा नदी बहती थी या नहीं लेकिन अनुमान से यह कहा जा रहा है कि जिस स्थान पर सूर्य मन्दिर स्थित है, वह चन्द्रभागा नदी का मुहाना रहा होगा और चन्द्रभागा नदी उसके समानान्तर बहती होगी।

वैसे कोणार्क के सूर्य मन्दिर की पुरानी तस्वीरों में कई जगह उसके आस-पास जलस्रोत दिखाए गए हैं। पत्तों पर उकेरी गई कलाकृतियों में भी नदी दिखती है। पुरानी कहानियों में भी सूर्य मन्दिर के आस पास नदी की कथा मिलती है लेकिन इस समय मन्दिर के आस-पास कोई नदी नहीं है।

लुप्त हो चुकी चन्द्रभागा नदी पर देश में फिर से एक बार चर्चा हो रही है तो इसके पीछे आईआईटी खड़गपुर के भूवैज्ञानिकों का गहन अध्ययन है, जिसके बाद इस बात का खुलासा हुआ कि चन्द्रभागा नदी का अस्तित्व था। उसके साक्ष्य मिले हैं। वह विलुप्त हुई है। चन्द्रभागा कोई काल्पनिक नदी नहीं थी।

अब अपने भूवैज्ञानिकों से देश यही अपेक्षा कर सकता है कि आने वाले समय में वे और अधिक प्रामाणिक साक्ष्यों के साथ चन्द्रभागा नदी का दावा समाज के सामने रखेंगे, जिससे देश का पुरातत्व विभाग और उड़िसा सरकार चन्द्रभागा नदी की तलाश में उनके दावे के साथ मदद के लिए आगे आएँ।

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