मिसाल बेमिसाल

25 Jul 2018
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डिस्ट्रिक्ट पार्क तालाब सेक्टर 23 द्वारका दिल्ली
डिस्ट्रिक्ट पार्क तालाब सेक्टर 23 द्वारका दिल्ली


द्वारका वाटर बॉडीज रिवाइवल कमेटी (Dwarka Water Bodies Revival Committee) का प्रयास आखिरकार रंग लाया। कमेटी के सदस्यों ने बिना सरकारी मदद के इलाके के दो तालाबों को जीवन्त रूप देने में सफलता हासिल की है। लेकिन सफलता की यह लड़ाई काफी लम्बी है जिसमें सरकारी महकमें की उदासीनता और कानूनी दाँव-पेंच से भी कमेटी के सदस्यों को रूबरू होना पड़ा है।

बकौल, दीवान सिंह, जो द्वारका वाटर बॉडीज रिवाइवल कमेटी के मेम्बर हैं ने कहा “सरकार की तरफ से तालाबों के पुनर्जीवन के लिये हमें आज तक कोई आर्थिक सहायता मुहैया नहीं कराई गई है। जबकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सरकार को तालाबों को संरक्षित करने का आदेश दिया है।”

दीवान सिंह और उनके सहयोगियों का ही प्रयास है कि सालों से उपेक्षा की मार झेल रहे द्वारका सेक्टर-20 का भारत वंदना उधरन तालाब और द्वारका सेक्टर-23 का डिस्ट्रिक्ट पार्क तालाब आज जीवन्त हो चुके हैं।

द्वारका वाटर बॉडीज रिवाइवल कमेटी का गठन 2011 में दिल्ली के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर बनवारी लाल जोशी के आदेश से किया गया था। इस कमेटी को इलाके के 10 तालाबों को पुनर्जीवित करने से सम्बन्धित प्रस्ताव तैयार करने की जिम्मेवारी सौंपी गई थी। कमेटी ने प्रस्ताव तैयार किया और उसे सरकार को सौंप भी दिया लेकिन डीडीए (Delhi Development Authority) गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण इस कार्य में कोई प्रगति नहीं हो सकी। कमेटी के सदस्यों के लाख प्रयास के बावजूद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ तो उन्होंने अन्ततः नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में इस सम्बन्ध में मुकद्मा दायर किया।

मुकद्में का फैसला 2016 में द्वारका वाटर बॉडीज रिवाइवल कमेटी के पक्ष में आया। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सरकार को इन तालाबों को संरक्षित करने का आदेश दिया। लेकिन अफसोस की बात है कि दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी ने तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिये नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा दिये गये आदेश को भी दरकिनार कर दिया। अब एक बार फिर से द्वारका वाटर बॉडीज रिवाइवल कमेटी के सदस्य कोर्ट की शरण में गये हैं। “हमने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश को नहीं माने जाने के विरूद्ध सरकार के खिलाफ कोर्ट में कंटेम्प्ट दायर किया जिसकी सुनवाई अभी अपेक्षित है,” दीवान सिंह ने कहा।

दीवान सिंह, नेचुरल हेरिटेज फर्स्ट नामक स्वयंसेवी संस्था से भी ताल्लुक रखते हैं। इस संस्था ने लोगों को पर्यावरण से जुड़े मसलों से जोड़ने के उद्देश्य से 2008 में लोकल वाटर बॉडीज को पुनर्जीवित करने का कार्य शुरू किया। सबसे पहले इन्होंने पश्चिमी दिल्ली के बक्करवाला गाँव स्थित तालाब और उसकी 21 एकड़ जमीन को बचाने के लिये सत्याग्रह किया। इस जगह को दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा बस डिपो के रूप में विकसित किये जाने की योजना थी। इस योजना का विरोध बक्करवाला ग्राम युवा समिति के बैनर तले किया जा रहा था। नेशनल ग्रीन हेरिटेज फर्स्ट के आन्दोलन से जुड़ने के बाद सरकार ने उस जगह पर बस डिपो बनाने का प्रस्ताव वापस ले लिया।


भारत वंदना उधरन तालाब सेक्टर 20 द्वारका दिल्लीभारत वंदना उधरन तालाब सेक्टर 20 द्वारका दिल्ली यह सिलसिला यहीं नहीं थमा वर्ष 2011 संस्था ने दक्षिणी दिल्ली में तालाबों को संरक्षित करने का एक अभियान छेड़ा। इस अभियान के तहत 50 गाँवों का सर्वे किया गया। सर्वे के दौरान इलाके में कुल 183 तालाब पाए गये जिनमें से 29 का सरकारी रिकॉर्ड में कोई विवरण नहीं था। इसके अलावा 93 तालाब सूखे पड़े थे वहीं 63 अन्य तालाबों में पानी तो था लेकिन मुहल्लों से निकलने वाले नालों का। शेष बचे केवल 27 तालाबों में पानी था लेकिन उन्हें ट्यूबवेल की सहायता से भरा गया था। इन तालाबों के पानी का इस्तेमाल जानवर अपनी प्यास बुझाने के लिये किया करते थे। साफ है कि दक्षिणी दिल्ली में तालाबों की स्थिति दयनीय थी।

दिल्ली में पानी की किल्लत किसी से छुपी नहीं है। दिल्ली में लोगों को पानी उपलब्ध करने के दो ही मुख्य स्रोत हैं। पहला दिल्ली को आस-पास के इलाकों की नदियों से मिलने वाला पानी और दूसरा भूजल। यदि नदियों की बात करें तो दिल्ली को मुख्यतः यमुना, गंगा और व्यास से पानी उपलब्ध कराया जाता है। आँकड़े बताते हैं कि इन नदियों से दिल्ली की पानी की जरुरत का केवल 40 प्रतिशत हिस्सा ही प्राप्त होता है। इस तरह पानी की जरुरत को पूरा करने के लिये भूजल का भी व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसी का प्रतिफल है कि दिल्ली का भूजल स्तर काफी नीचे गिर गया है और प्रदूषित भी हो गया है।

भारत में पौराणिक काल से पानी की जरूरतों को पूरा करने में तालाबों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है लेकिन सरकार और लोगों के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण इनका अस्तित्व आज खतरे में है। पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो आज भी भूजल रिचार्ज करने का तालाब बड़ा साधन हो सकते हैं बशर्ते सही तरीके से उनकी परवरिश की जाए। इतना ही नहीं तालाबों के संरक्षण से इलाके के तापमान, प्रदूषण के स्तर सहित उनके प्रभाव क्षेत्र में पारिस्थितिकीय संतुलन को भी कायम रखने में मदद मिलती है। इस तरह यहाँ यह कहना अनुचित नहीं होगा कि दिल्ली में भी तालाबों का संरक्षण वहाँ के गिरते भूजल स्तर को बनाये रखने में मददगार साबित हो सकता है।

द्वारका में दीवान सिंह और उनके सहयोगियों द्वारा तालाब को संरक्षित किये जाने का कार्य सामाजिक और पर्यावरणीय सरोकार का एक बेहतरीन उदाहरण है। वे और उनके सहयोगियों ने व्यक्तिगत रूप से अपनी सेवाएँ देकर द्वारका के सेक्टर-20 के भारत वंदना उधरन तालाब और द्वारका सेक्टर-23 के डिस्ट्रिक्ट पार्क तालाब का उत्थान किया है। इन तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिये धन की वयवस्था भी इन्होंने खुद और अपने साथियों के सहयोग से की है। दीवान सिंह कहते हैं कि सरकार यदि चाहे तो दिल्ली के सभी तालाबों को पुनर्जीवित किया जा सकता है। “इस कार्य को व्यक्तिगत स्तर पर या कुछ लोगों के सहयोग से किया जाना सम्भव नहीं है क्योंकि हर किसी की अपनी व्यक्तिगत सीमाएँ होती हैं। हाँ यदि तालाबों के संरक्षण के लिये सरकार कुछ कदम उठाये तो इन्हें जिन्दा करना कोई बड़ी बात नहीं है,” दीवान सिंह ने कहा।

इन्होंने यह भी बताया कि गाँवों की तुलना में शहर में तालाबों को जिन्दा करना आसान होता है। इसकी सबसे बड़ी वजह शहरों में रनऑफ वाटर को तालाबों तक गाँवों की तुलना में आसानी से ले जाया जा सकता है। दिल्ली में तालाबों की बर्बादी का एक बड़ा कारण मुहल्लों से निकलने वाले गन्दे पानी को उनमें गिराया जाना है। सरकार द्वारा इसको प्रतिबन्धित किये जाने के लिये पर्याप्त कदम लिये जाने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त लोगों को पर्यावरण के संवर्धन और उसके विकास के मुद्दों के प्रति और अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है।

 

 

 

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Dwarka Water Bodies Revival Committee in Hindi, Diwan Singh, Delhi Development Authority in Hindi, National Green Tribunal in Hindi

 

 

 

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