मिट्टी और बालू की जगह अब फ्लाईएश

उपजाऊ मिट्टी और जलीय जीवों को बचाने के लिए एनजीटी ने उठाया कदम

पर्यावरण एवं वन मन्त्रालय के विशेष सचिव शशि शेखर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग, रोड कांग्रेस, नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन और केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण मंडल के अफसरों के साथ बैठक कर (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के आदेश को लागू कराने के निर्देश भी दे चुके हैं। इसके साथ ही फ्लाई एस को निर्माण स्थल तक ले जाने में आने वाला खर्च पावर प्लांट प्रबंधन और निर्माण कार्य में जुटे ठेकेदारों को मिलकर उठाने के निर्देश दिये गये हैं।

मिट्टी की उपजाऊ परत और जलीय जीवों को बचाने के लिए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने थर्मल के 100 किलोमीटर दायरे में मिट्टी और बालू के खनन पर प्रतिबंध लगा दिया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आदेश जारी किया है कि निर्माण कार्यो में भराव करने और चिनाई करने के लिए मिट्टी और बालू रेत की जगह सिर्फ फ्लाईएश का ही इस्तेमाल किया जाए।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की दिल्ली स्थित न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली प्रिंसिपल बैंच ने अवैध खनन से पर्यावरण को होने वाले नुकसान का अंदाजा लगाने और इसे रोकने के लिए विकल्प सुझाने को केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मन्त्रालय को विस्तृत निरीक्षण करने के निर्देश दिए थे। सर्वे पूरा कर मन्त्रालय ने बैंच को बताया कि सड़क भवन निर्माण कार्य में जगह समतल करने के लिए होने वाले भराव में अधिकांश राज्य उपजाऊ मिट्टी का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे मिट्टी की उपज क्षमता तेजी से खत्म होती जा रही है। वहीं बालू रेत का खनन करने से नदी जल सम्पदा को खासा नुकसान पहुँच रहा है और कई जलीय प्रजातियों के अस्तित्व पर संकट छाने लगा है। वहीं थर्मल प्लांट से निकलने वाला फ्लाईएश का भंडार लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इसका समुचित इस्तेमाल भी नहीं हो रहा। बेंच ने इस रिपोर्ट को आधार बनाकर सभी थर्मल पावर प्लांट के 100 किलोमीटर दायरे में मिट्टी और बालू के खनन पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है। बैंच ने आदेश दिया है कि इस इलाके में होने वाले निर्माण कार्यों में भराव और चिनाई के लिए सिर्फ फ्लाईएश का इस्तेमाल ही किया जाए। बैंच ने इस दायरे को धीरे-धीरे 500 कि.मी. तक बढ़ाने के भी निर्देश दिये हैं।

पावर प्लांट और ठेकेदार उठाएँगे खर्च
पर्यावरण एवं वन मन्त्रालय के विशेष सचिव शशि शेखर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग, रोड कांग्रेस, नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन और केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण मंडल के अफसरों के साथ बैठक कर (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के आदेश को लागू कराने के निर्देश भी दे चुके हैं। इसके साथ ही फ्लाई एस को निर्माण स्थल तक ले जाने में आने वाला खर्च पावर प्लांट प्रबंधन और निर्माण कार्य में जुटे ठेकेदारों को मिलकर उठाने के निर्देश दिये गये हैं।

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