मलबा डालते पकड़े गए तो होगा जुर्माना

यमुना में प्रदूषण रोकने के लिए उठाया कदम


नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का निर्देश, पांच लाख का करना होगा भुगतान, विशेष पुलिस बल की तैनाती करने को कहा

यमुना किनारे यदि अब कोई मलबा डालते हुए पकड़ा गया तो उसे पांच लाख रुपए का दंड भुगतना होगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सोमवार को 'पॉल्यूटर पेज' (प्रदूषण फैलाने वाले को चुकानी होगी उसे दूर करने की कीमत) सिद्धांत पर यह निर्देश दिया। यमुना किनारे से मलबा हटाने संबंधी मनोज मिश्र बनाम केंद्र सरकार मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने पूर्वी निगम से कहा कि यमुना किनारे खासकर गीता कॉलोनी इलाके में दिनरात चौकसी रखी जाए ताकि कोई मलबा न डाल सके। दिल्ली सरकार से भी यहां मलबा डालने पर रोक लगाने के लिए विशेष पुलिस बल की तैनाती करके निगरानी सुनिश्चित करने के लिए कहा है। एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अगुवाई में एक खंडपीठ ने डीडीए, पूर्वी निगम व डीएमआरसी को नदी क्षेत्र खासकर गीता कॉलोनी इलाके में पड़ा मलबा 15 अगस्त तक हटाया जाए और इस संबंध में 27 अगस्त को अगली सुनवाई के दिन अनुपालन रिपोर्ट पेश की जाए।

एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि मलबा डालने के लिए जो भी जिम्मेदार हो जैसे वह ट्रक मालिक जिससे वाहन से मलबा लाया गया है और वह व्यक्ति जिसकी संपत्ति की तोडफ़ोड़ से वह मलबा पैदा हुआ है, उन पर यमुना में प्रदूषण फैलाने के लिए दंड लगाया जाए। उस ठेकेदार को भी इस मामले में बराबर का जिम्मेदार माना जाए जो मलबा डालने का धंधा करता है।

डीडीए व डीएमआरसी को एनजीटी ने निर्देश दिया है कि दोनों एक हफ्ते के अंदर बैठक करके यह तय कर लें कि यमुना के पश्चिमी तट पर पड़े करीब 5 हजार टन मलबे को दोनों में कौन उठाएगा। यदि दोनों आपस में बैठकर किसी नतीजे पर न पहुंचे तो उनसे कहा गया है कि दोनों आधा-आधा मलबा 15 अगस्त तक वहां से हटाएं। पिछले हफ्ते एनजीटी के निर्देश पर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने सभी संबंधित पक्षों की एक बैठक आयोजित की जिसमें बताया गया कि यमुना में विशेषकर गीता कॉलोनी इलाके में हर महीने करीब 400 से 500 टन मलबा डाला जाता है, यह मलबा अधिकतर रात में डाला जाता है।

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