मस्जिदों में बचेगा 18 करोड़ लीटर पानी

29 Jul 2019
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मस्जिदों में बचेगा 18 करोड़ लीटर पानी।
मस्जिदों में बचेगा 18 करोड़ लीटर पानी।

अल कुरआन सूर 39 की आयत 21 में अल्लाह ने कहा है कि ‘‘क्या तुम नहीं देखते कि अल्लाह ने आसमान से पानी बरसाया, फिर उसको स्त्रोतों चश्मों और दरियाओं के रूप में जमीन के अंदर जारी किया, फिर उस पानी के माध्यम से वह नाना प्रकार की खेतियां (कृषि) उत्पन्न करता है, जो विभिन्न प्रजाति के हैं। इसी प्रकार कुरआन की विभिन्न आयतों में वर्षा, जल और नदियों का महत्व और उनका जिक्र करते हुए उनके संरक्षण का संदेश भी दिया गया है।  इस्लाम में नमाज करने से पहले वजू (नमाज पढ़ने से पहले मुंह-हाथ धोने की क्रिया) करने की भी परंपरा है। वजू के लिए कुरआन में अल्लाह का इरशाद है कि ऐ ईमान वालो! जब तुम नमाज के लिए खड़े हो, तो चाहिए की अपने मुंह और हाथ को कुहनियों तक धो लो। सर पर मसह कर लो और पैर टखनो तक धो लो। तो वहीं हदीस में हजरत अबू हुरैरा रजियल लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी सल्लल लाहु अलैहिं वसल्लम में फरमाया गया है कि जब तुम में से किसी का वुजू टूट जाये या वुजू न हो तो, तो अल्लाह वजू न करने तक उसकी नमाज कुबूल नहीं करता है। अर्थात वजू करे बिना अल्लाह किसी की नमाज को कुबूल नहीं करता और वजू करने के लिए पानी की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन भारत में तो पानी का भीषण संकट गहराता जा रहा है। 

इंदौर में करीब 300 मस्जिदे हैं। हर मस्जिद में 200 लोग रोजाना दो वक्त की नमाज पढ़ने जाते हैं। वजू के लिए हर वक्त एक व्यक्ति को करीब पांच लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है।  जिससे हर रोज इंदौर में वजू के लिए प्रतिदिन छह लाख लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है। इस हिसाब से इंदौर के सभी मस्जिदों में रोजाना वजू के लिए 18 करोड़ लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। तो वहीं इन मस्जिदों की छत से बारिश का करीब तीन करोड़ लीटर पानी बहकर व्यर्थ हो जाता है।

भारत में 3 लाख से ज्यादा मस्जिद हैं। इन मस्जिदों में रोजाना करोड़ों मुस्लिम नमाज पढ़ने के लिए जाते हैं और वजू करते हैं। वजू के लिए एक व्यक्ति को करीब पांच लीटर पानी का आश्यकता पड़ती है। वाटर हार्वेस्टिंग की कोई सुविधा न होने के कारण वजू के बाद देश में रोजाना करोड़ों लीटर पानी नालियों में बहकर बर्बाद हो जाता है। इसी प्रकार देश के विभिन्न धार्मिक स्थलों जैसे मंदिरों आदि में भी होता है, जहां भगवान के दर्शन करने और प्रसाद चढ़ाने से पहले हाथ-पैर धोए जाते हैं और फिर पानी नालियों में बहा दिया जाता है, जो कि पानी की एक बहुत बड़ी बर्बादी है। इस पूरी प्रक्रिया से केवल देश के धार्मिक स्थलों में ही रोजाना अरबों लीटर पानी बर्बाद होता है। भीषण जल संकट से जूझ रहे भारत में इस तरह पानी की  बर्बादी विचारनीय है, क्योंकि देश में भू-जलस्तर लगातार कम हो रहा है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे महानगरों में भूजल खत्म होने की कगार पर पहुंच चुका हैं। तालाब, कुएं, बावड़ियां, पोखर, झील, प्राकृतिक स्त्रोत, नौले, धारे और नदियां आदि सूखते जा रहे हैं या प्रदूषित हैं। देश की आधी आबादी को स्वच्छ पानी नसीब नहीं हो पा रहा है। जहरीला पानी पीने से विभिन्न प्रकार की बीमारियां जन्म ले रही हैं, लेकिन इसके बावजूद भी जल को बचाने के लिए न तो सरकार की तरफ से कोई प्रभावशाली प्रयास होता दिख रहा है और न ही जनता में। जिससे पानी का संरक्षण केवल खबरों और विज्ञापनों में ही देखने को मिलता है। हालाकि देश में कई लोग हैं जो पानी को बचाने का सार्थक प्रयास कर रहे हैं और वें अपने क्षेत्र में सफल भी हुए हैं। इसी प्रकार पानी को बचाने के लिए इंदौर का मुस्लिम समाज भी आगे आया है, जहां वजू का लाखों लीटर पानी वाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से जमीन में उतारने की तैयारी की जा रही है। जिससे हर साल 18 करोड़ लीटर पानी बचाया जा सकता है।

इंदौर पहले ही पानी की बड़ी किल्लत से जूझ रहा है। इंदौर शहर जीरो वाटर जोन की तरफ भी तेजी से बढ़ रहा है। जिसके लिए मध्य प्रदेश सरकार ग्रे-वाटर कानून को सख्ती से लागू करने जा रही है। कानून के अंतर्गत काॅलोनी, टाउनशिप और इमारत बनाने वालो को किचन की पाइप लाइन अलग से डालनी होगी। इस पानी को ट्रीटमेंट के बाद वापस घरों में उपयोग किया जाएगा, जहां इसे टाॅयलेट और अन्यों कामों में उपयोग किया जाएगा। इसलिए इंदौर के मस्जिदों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना जल संरक्षण की दृष्टि से काफी सकारात्मक निर्णय है। दरअसल इंदौर में करीब 300 मस्जिदे हैं। हर मस्जिद में 200 लोग रोजाना दो वक्त की नमाज पढ़ने जाते हैं। वजू के लिए हर वक्त एक व्यक्ति को करीब पांच लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है।  जिससे हर रोज इंदौर में वजू के लिए प्रतिदिन छह लाख लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है। इस हिसाब से इंदौर के सभी मस्जिदों में रोजाना वजू के लिए 18 करोड़ लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। तो वहीं इन मस्जिदों की छत से बारिश का करीब तीन करोड़ लीटर पानी बहकर व्यर्थ हो जाता है, लेकिन अब  इंदौर की सैंकड़ों मस्जिदों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। जिसके लिए शहर में वाटर हार्वेस्टिंग कर रही नगर निगम की तकनीकी टीम ने शहर काजी डा. इशरत अली से मुलाकात की और शहर काजी मस्जिदों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए तैयार हो गए। शहर काजी ने माना कि मस्जिदों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाकर बड़ी मात्रा में पानी को बचाया जा सकता है। उन्होेंने इंदौर के सभी मस्जिदों से पानी बचाने का ये आसान तरीका अपनाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर सभी मस्जिद प्रबंधन पानी बचाने का संकल्प लें, तो लाखों लीटर पानी रोज बचाकर खतरे के संकेत तक पहुंच चुके शहर को सूखे से बचाया जा सकता है। नगर निगम की तकनीकी टीम द्वारा पिट बनाने में भी मदद की जाएगी। लेकिन हमें ये भी समझना होगा कि एक तरफ भारत में जहां करीब तीन लाख मस्जिद हैं, तो वहीं 2 मिलियन से ज्यादा मंदिर हैं। यदि इंदौर की ही तर्ज पर देश के सभी मंदिरों और मस्जिदों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाएं, तो जल संरक्षण की दिशा में यह एक उपयोगी कदम होगा, जिसके निकट भविष्य में दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे, लेकिन इन सबके लिए सभी प्रदेशों की सरकारों के साथ ही जनता को सख्त निर्णय लेने की जरूरत है।


लेखक - हिमांशु भट्ट (8057170025)

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