नागरिक परिषद जुटेगी यमुना बचाने में

नदी को बचाने के लिए अदालतों के आदेश को ठीक से लागू नहीं किया सरकार नेः वीरेश

नई दिल्ली, 30 जून। नागरिक परिषद दिल्ली ‘यमुना बचाओ अभियान’ शुरु करने जा रही है जिसकी अगुआई परिषद के अध्यक्ष वीरेश प्रताप चौधरी, पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना और दिल्ली के पूर्व मंत्री राजेंद्र गुप्ता करेंगे। इसकी जानकारी बुधवार को परिषद की ओर से हुई प्रेस कांफ्रेंस में दी गई। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना और वीरेश प्रताप चौधरी ने बताया कि परिषद ने दिल्ली में चार जुलाई को एक संगोष्ठी का आयोजन किया है, जिसमें चंद विशेषज्ञों को भी आमंत्रित किया गया है। उस बैठक में अभियान की आगे की रूपरेखा तैयार की जाएगी। खुराना ने कहा कि यमुना दिल्ली और दिल्लीवालों के लिए सिर्फ एक नदी नहीं, इसकी जीवन रेखा है। यह हमारी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग रही है। हम सब इस नदी को ‘यमुना मैया’ कह कर पुकारते हैं। यह नदी हमारी आस्था-विश्वासों से जुड़ी है। इस नदी के पानी में स्नान और पूजा अर्चना करना हमारा स्वाभाविक कर्तव्य और अधिकार है। दुर्भाग्य है कि पिछले कुछ दशकों में सरकारों और उसकी एजंसियों की अक्षमता और अकर्मण्यता ने इसे एक गंदे नाले में बदल दिया है। इसे रोक पाने और इस नदी को इसके पुराने रूप में लाने के लिए दिल्ली में स्थित केंद्र और राज्य सरकार और उसके तहत काम करने वाली एजंसियां साल दर साल अरबों रुपया खर्च कर चुकी हैं। इसके बावजूद इस नदी की हालत दिनों दिन बदतर होती जा रही है।

परिषद के अध्यक्ष वीरेश प्रताप चौधरी ने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट ने इस नदी के संरक्षण के लिए कई बार आदेश जारी कर चुके हैं लेकिन इन आदेशों को ठीक प्रकार से कभी लागू नहीं किया गया। सरकारों और उनकी एजंसियों ने एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल कर अपना पल्ला झाड़ लिया, नतीजतन यमुना और मैली होती गई। उन्होंने कहा कि इसमें शक नहीं कि राज्य सरकार और उसके तहत कार्य करने वाली एंजसियों को ठोस कदम उठाने होंगे, जिससे यमुना नदी का जल प्रवाह सदा स्वच्छ और निर्मल रह सके। आज तो हालत यह है कि यह वास्तव में नदी रही ही नहीं है। यमुना दिल्ली में पल्ला से प्रवेश करती है। वजीराबाद तक की दूरी पार करते समय पानी ऐसा होता है कि उसे साफ करके पीने के लिए सप्लाई किया जा सकता है, लेकिन वजीराबाद बैराज के बाद ओखला बैराज के बीच इस नदी में इतनी गंदगी बहा दी जाती है कि उसका पानी इस्तेमाल के लायक नहीं रह जाता।

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