नैनीताल के वजूद पर सवाल

25 Oct 2019
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नैनीताल के वजूद पर सवाल
नैनीताल के वजूद पर सवाल

पीटर बैरन को भारत के मानचित्र में नैनीताल जैसी कोई जगह का वजूद होने की बात को यूरोपीय समुदाय के बीच सच साबित करने के लिए अथक श्रम करना पड़ा। नैनीताल के बारे मे पीटर बैरन द्वारा दिए गए विवरण पर बैरन के शिकारी साथी रहे बैगमैन ने ‘द हिल्स’ अखबार के माध्यम से अनेक सवाल खड़े कर दिए। हालत यह हो गई कि बैरन के विवरण पर लोग यकीन करने को तैयार नहीं थे।

मिस्टर बैगमैन का आरोप था कि नैनीताल जैसी कोई जगह अल्मोड़ा वासियों द्वारा गढ़ी गई मनगढ़ंत कहानी है। बैरन भी इस ग्रुप के साथी हैं। कुमाऊँ का प्रत्येक नागरिक इस झूठे मजाक से नाराज है और गुस्से में है। इसके जवाब में बैरन को ‘दिल्ली गजट’ में अपना स्पष्टीकरण प्रकाशित करना पड़ा। बैरन ने ‘दिल्ली गजट’ में लिखा कि- ‘अल्मोड़ा में ऐसा कोई ग्रुप नहीं है, न वे इस कथित ग्रुप के सदस्य हैं और न ही उन्होंने नैनीताल को लेकर कोई मनगढ़ंत कहानी गढ़ी है। इन प्रोविंसेस में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो प्रत्यक्ष तौर पर बैरन के अधीन हो। बैरन ने दिल्ली गजट को भेजे अपने नोट में दस स्वतंत्र लोगों के हस्ताक्षर भी कराए। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि हस्ताक्षरकर्ता दस लोगों में से वे सात को जानते तक नहीं हैं, इनमें दो लोगों से वे मिले भी नहीं है। कहा कि हस्ताक्षर करने वालों की नैनीताल के प्रति कोई रुचि नहीं है। इनमें से कुछ लोग इसी साल प्रोविंस को छोड़कर जाने वाले हैं। यह जरुरी नहीं कि ये लोग दोबारा कभी नैनीताल को देख भी पाएँ।’

बैरन ने उनके दावे के पक्ष के में हस्ताक्षर करने वाले सभी दस लोगों के मूल पत्र प्रमाण के तौर पर अपने पास रख लिए थे। हालांकि बैरन के कथन के पक्ष में खड़े लोगों को अपने नाम सार्वजनिक करने पर एतराज नहीं था। वे लोग इसके लिए तैयार थे। पर बैरन की राय थी कि जब तक बैग मैन का गुट उनके ब्योरे को झुठलाने वालों के नाम सार्वजनिक नहीं करता, तब तक वे भी उनके कथन का समर्थन करने वालों के नाम सार्वजनिक नहीं करेंगे। बैरन ने दिल्ली गजट से अनुरोध किया कि उनके ब्योरे के समर्थन करने वालों का नामोल्लेख किए बिना फिलहाल सिर्फ उनके हस्ताक्षर ही छापें। यदि ‘द हिल्स’ बैरन के ब्योरे को झूठा साबित करने वालों के नाम सार्वजनिक करता है, तो ऐसी सूरत में उनके ब्योरे का समर्थन करने वालों के नाम भी प्रकाशित कर दिए जाएँ।

‘द हिल्स’ अखबार के माध्यम से पीटर बैरन और बैगमैन का यह विवाद कई महीनों तक चला। लम्बे समय तक लोगों को ऐसे किसी खूबसूरत तालाब के होने पर संशय बना रहा। इस विवाद को समाप्त करते हुए पीटर बैरन ने लिखा है कि वे बैगमैन के आरोपों से घबराएंगे नहीं, बल्कि अपनी समझ के मुताबिक भविष्य में भी नैनीताल के बारे में लिखते रहेंगे। बैरन का मानना था कि इस अनावश्यक विवाद के पीछे बैगमैन का एकमात्र उद्देश्य उन्हें बदनाम करना था। पीटर बैरन ने आगे लिखा है कि- ‘लोग उन्हें याद रखेंगे कि उन्होंने बड़ी मेहनत से एक हिल स्टेशन स्थापित करने के लिए काम किया।’

पीटर बैरन को नैनीताल के खोजकर्ता के तौर पर स्वीकारने को लेकर मतभेद हो सकते हैं। पर यह निर्विवाद सत्य है कि नैनीताल को एक स्वास्थ्यवर्धक पहाड़ी नगर के रूप में बसाने और विकसित करने की परिकल्पना करने वाले बैरन निश्चित रूप से पहले इंसान थे। बैरन को नैनीताल जैसी जगह से अस्तित्व के सवाल पर न केवल लम्बे समय तक व्यक्तिगत तौर पर जूझना पड़ा, बल्कि उन्होंने ‘आगरा अखबार’ ‘इंग्लिश मैन’ और ‘दिल्ली गजट’ के जरिए नैनीताल के समस्त नकारात्मक पक्षों को विश्व समुदाय के समक्ष उजागर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। बैरन ने ही तत्कालीन ब्रिटिश शासकों, प्रकृति प्रेमी यूरोपीय और भारतीयों की नैनीताल के प्रति दिलचस्पी बढ़ाई और उन्हें नैनीताल को एक आदर्श नगर के रूप में विकसित करने के लिए भी बैरन ने ही प्रेरित किया। यूरोपीय लोगों को नैनीताल के बारे में तथा यहाँ तक पहुँचने का मार्ग भी बैरन ने ही बताया। इस लिहाज से पीटर बैरन को नैनीताल नगर का परिकल्पनाकर्ता अथवा योजनाकार तो कहा जा सकता है, पर खोजकर्ता नहीं।

 

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