नैनीताल में रेल की योजना

4 Jan 2020
0 mins read
नैनीताल में रेल की योजना
नैनीताल में रेल की योजना

1889 तक नैनीताल नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस का एक महत्त्वपूर्ण नगर बन चुका था, पर नैनीताल आने-जाने के लिए यातायात की किफायती और आरामदायक व्यवस्था अभी तक नहीं हो सकी थी। यातायात के लिए बैलगाड़ी, ताँगे और इक्कों का ही सहारा था। तब ये साधन भी ब्रेबरी तक ही उपलब्ध थे। ब्रेबरी से डांडी, झम्पनी, घोड़े से या फिर पैदल ही नैनीताल आया जा सकता था। इन साधनों से यात्रा करना कई लोगों के लिए बहुत तकलीफ देह था। सामान लाने और ले जाने के लिए कुलियों के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। सामान ढुलाई की दरें पहले के मुकाबले बहुत अधिक बढ़ चुकी थीं। 1889 से पहले ब्रेबरी से नैनीताल तक 40 सेर सामान का भाड़ा एक रुपए था। इस साल से 16 सेर तक सामान का कुली भाड़ा एक रुपए हो गया था। दूसरी बड़ी समस्या सड़क की थी। मानसून के मौसम में कार्ट रोड यातायात के लायक नहीं रहती थी। यातायात की इस समस्या से निपटने के लिए शिमला और दार्जिलिंग की दर्ज पर नैनीताल में विद्युत संचालित रेलवे व्यवस्था कायम करने पर विचार किया जाने लगा। नैनीताल में रेल के आने से पूरे भारत के लोगों को लाभ होना था।
 
काठगोदाम से नैनीताल तक रेल की पटरियाँ बिछाने के लिए कर्नल सी.एस.थॉमसन की देख-रेख में 1889 में पहला सर्वे हुआ। कर्नल सी.एस.थॉमसन ने अगस्त 1889 में पहली बार नैनीताल रेल योजना का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को दिया। कर्नल थॉमसन लोक निर्माण विभाग के पूर्व अधिकारी थे। बाद में इन्हें जनरल की पदवी दे दी गई थी। कर्नल सी.एस.थॉमसन की शुरुआती रेल योजना पानी की शक्ति से उत्पादित बिजली चालित रेल चलाने की थी। योजना के तहत ढाई फीट गेज की 14 मील लम्बी रेल लाइन बिछाई जानी थी। रेलवे लाइन के सर्वे के बाद नक्शा भी तैयार हो गया था। शुरुआत में इसे ट्रॉम-वे नाम दिया गया था। प्रस्तावित रेल की न्यूनतम वहन क्षमता प्रतिदिन 50 टन सामान, अपर क्लास में तीस और लोअर क्लास में एक सौ यात्रियों की क्षमता तय की गई थी। रेलवे की औसत रफ्तार आठ मील प्रति घंटा निर्धारित की गई थी। योजना के अनुसार काठगोदाम से ब्रेबरी वाया चढ़ता होते हुए रेल लाइन बिछाई जानी थी। गांजा और नैकाना गाँव में एक लाख चार हजार रुपए की लागत से दो सुरंग बनाने की योजना थी। रेल को ऊपर चढ़ने में सहायता करने के लिए तीन लिफ्टें बननी थी, लिफ्टों में प्रतिभार के लिए पानी का उपयोग किया जाना प्रस्तावित था। इसी बीच भाप के इंजनों से संचालित रेल चलाने का भी प्रस्ताव बना।
 
उधर पिछले साल जुलाई 1889 में भू-स्खलन की वजह से अवरुद्ध कार्ट रोड़ में आठ महीने बाद भी यातायात शुरू नहीं हो पाया था। इससे नैनीताल आने-जाने वाले यात्रियों और विशेषकर सेना को काफी दिक्कतें हो रही थी। इस सम्बन्ध में सेना के अधिकारी सरकार से लगातार पत्राचार कर रहे थे। इसी क्रम में 15 जनवरी, 1890 को भारत सरकार के सेना विभाग के सचिव ने नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस एण्ड अवध के सचिव को पत्र भेजा। पत्र में कार्ट रोड को फौरन यातायात के लायक बनाने की गुजारिश की गई। कहा कि अगर इस रोड को दुरुस्त करना सम्भव नहीं है तो ब्रेबरी से नैनीताल के लिए रोप-वे का प्रस्ताव बना कर भेजा जाए। रोप-वे के प्रस्ताव पर भारत सरकार विचार करने को तैयार है, ताकि सेना के उपयोग की सामग्री नैनीताल पहुँच सके। 6 फरवरी, 1890 को नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस एण्ड अवध के अंडर सेक्रेटरी मेजर आर.आर.पुलफोर्ड ने भारत के क्वॉर्टर मास्टर जनरल (शिमला) को पत्र भेजकर सूचित किया कि लेफ्टिनेंट गवर्नर ने कार्ट रोड को लेकर कुमाऊँ कमिश्नर कर्नल जी.ई.एरस्काईन की अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी है। इस कमेटी में नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस एण्ड अवध के वित्त सचिव आर.स्मीटन, पी.डब्ल्यू.डी. के अधीक्षण अभियंता जे.अल्यंडर और नगर पालिका कमेटी के सदस्य एफ.ई.जी.मैथ्यूज को सदस्य बनाया गया था।
 
15 जनवरी, 1890 का नगर पालिका के तत्कालीन चेयनमैन एवं कुमाऊँ जिले के वरिष्ठ सहायक आयुक्त मिस्टर गिल्स की अध्यक्षता में हुई बैठक में पालिका ने म्युनिसिपल मार्केट बनाने, बलियानाले में सुरक्षात्मक कार्य कराए जाने तथा पुलिस स्टेशन का विस्तार करने का प्रस्ताव पास किया। 16 अप्रैल को कुमाऊँ के तत्कालीन कमिश्नर ने इन प्रस्तावों को सरकार के पास भेज दिया। 1 मई, 1890 को मंगलवार के दिन कार्ट रोड में यातायात सुविधा बहाल करने को लेकर कुमाऊँ के तत्कालीन कमिश्नर कर्नल जी.ई.एरस्काईन की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने सचिवालय भवन में पहली बैठक की। बैठक में जे.जे.एफ.लूम्सडेस, आर.स्मीटन, एच.बी.हेन्सलोव, एफ.ई.जी.मैथ्यूज, मेजर वर्नर, ऑफिसर कमांडिग, नैनीताल, मेजर टर्नर, सुपरिटेंड ऑफिसर मेरठ कमाण्ड और मेजर याल्डविन, चीफ कॉमिसेरिएट आफिसर रूहेलखण्ड ने हिस्सा लिया। 5 मई, 1890 को इस कमेटी ने दूसरी बैठक की। 1890 में ए.जे.ह्मूज ने नैनीताल में पेयजल आपूर्ति की योजना बनाई। 25 जुलाई, 1890 को नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविंसेस की सरकार ने लो.नि.वि.के अधिशासी अभियन्ता, कुमाऊँ तथा जिला इंजीनियर (तराई) को नैनीताल की पहाड़ियों के दरारों, भू-धंसाव, पहाड़ियों में आ रहे बदलाव, खतरनाक स्थानों तथा बोल्डरों आदि का सालाना ब्योरा दर्ज करने के लिए एक विशेष रजिस्टर बनाने के आदेश दिए। 1890 में नैनीताल की आबादी 12408 हो गई थी। इसी दरम्यान कैंटन लॉज में वन विभाग के कार्यालय भवन एवं आवासीय कालोनियाँ बनी।

 

TAGS

nainital, nainital tourism, rope in nainital, nainital history, british era nainital, petter barron nainital, lakes in nainital, naina devi temple nainital, geological survey of india nainital, rail route nainital, railway plan in nainital.

 

Posted by
Attachment
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading