नमामि गंगे कार्यक्रम में भी पीपीपी मॉडल को उपलब्धि मानता है मंत्रालय

5 Jan 2017
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Namami Gange
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मंत्रालय ने गंगा अधिनियम का मसौदा तैयार करने के लिये एक समिति का गठन किया है। न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय को इस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। समिति ने लगभग 400 करोड़ रुपए लागत की विभिन्न परियोजनाओं को मंजूरी दी है। नमामि गंगे कार्यक्रम के शीघ्र कार्यान्वयन के लिये मंत्रालय ने कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के साथ भी समझौता किया है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने गंगा नदी प्राधिकरण आदेश 2016 को मंजूरी दे दी है। इस आदेश में त्वरित तरीके से नीति और कार्यान्वयन के लिये नए संस्थागत ढाँचे का प्रावधान किया गया है। नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी को जल संसाधन मंत्रालय इस वर्ष की पहली उपलब्धि मानता है। साल भर की उपलब्धियों का विवरण देते हुए मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में इसका सबसे पहले उल्लेख है। पीपीपी मॉडल अपनाने का उद्देश्य अपशिष्ट जल शोधन के क्षेत्र में सुधार लाना बताया गया है। उसके बाद नमामि गंगे कार्यक्रम को लागू करने की दिशा में प्रमुख पहल के रूप में गंगा टास्क फोर्स बटालियन की पहली कम्पनी का गढ़ मुक्तेश्वर में तैनाती है। यह सिलसिला आगे भी चलता है। प्रवासी, अनिवासी और भारतीय मूल के अन्य व्यक्तियों, संस्थाओं और कारपोरेट घरानों को गंगा संरक्षण में योगदान करने को प्रोत्साहित करने हेतु ‘स्वच्छ गंगा कोष’ की स्थापना की गई। इस कोष में 87.69 करोड़ रुपए का योगदान प्राप्त हुआ है।

गंगा संरक्षण कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिये जर्मन इंटरनेशनल कार्पोरेशन (जीआईजेड) के साथ 16 अप्रैल 2016 को समझौता हुआ। स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन ने आईआईटी कानपुर के सहयोग से गंगा नदी बेसिन प्रबन्धन और अध्ययन केन्द्र की नई दिल्ली में औपचारिक शुरुआत की घोषणा की। गंगा बेसिन राज्यों में 41 सीवेज उपचार संयंत्रों के विकास/पुनर्वास की 34 परियोजनाएँ स्वीकृत की गई जिनकी क्षमता 808.23 एमएलडी है। नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत 30 सितम्बर 2016 तक 128 परियोजनाएँ स्वीकृत की गई जिनकी अनुमानित लागत 9419 करोड़ रुपए आँकी गई है। इनमें झारखण्ड के साहिबगंज में प्रारम्भ नौ परियोजनाएँ शामिल हैं। कानपुर में गंगा बैराज पर नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 560 करोड़ रुपए की लागत की विभिन्न परियोजनाओं की शुरुआत की गई।

सरकार ने नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत गंगा ग्राम नामक एक नई पहल की है। इस कार्यक्रम के तहत स्थायी स्वच्छता के बुनियादी ढाँचे और साफ-सफाई की प्रक्रियाओं के विकास के माध्यम से मॉडल गाँव विकसित किये जाएँगे। पहले चरण में सरकार ने 306 गाँवों में गंगा-ग्राम पहल की शुरुआत कर दी है।

गंगा-ग्राम के साथ स्मार्ट गंगा-नगर योजना की शुरुआत भी की गई है। जल संसाधन मंत्री उमा भारती और शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने वीडियो कॉन्फ्रेस के जरिए गंगातट के दस शहरों को स्मार्ट नगर बनाने की योजना का आरम्भ किया। वे शहर हैं- हरिद्वार, ऋषिकेश, मथुरा-वृंदावन, वाराणसी, कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ, पटना, साहिबगंज और बैरकपुर। राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की अधिकार सम्पन्न संचालन समिति ने घाटों और श्मशानों के विकास के लिये अनेक परियोजनाओं को मंजूर किया है जिनकी कुल अनुमानित लागत 2446 करोड़ रुपए है।

मंत्रालय ने गंगा अधिनियम का मसौदा तैयार करने के लिये एक समिति का गठन किया है। न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय,( सेवा निवृत्त) को इस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। समिति ने लगभग 400 करोड़ रुपए लागत की विभिन्न परियोजनाओं को मंजूरी दी है। नमामि गंगे कार्यक्रम के शीघ्र कार्यान्वयन के लिये मंत्रालय ने कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के साथ भी समझौता किया है।

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने गंगा नदी (संरक्षण, सुरक्षा और प्रबन्धन) प्राधिकरण आदेश 2016 को मंजूरी दे दी है। इस आदेश में त्वरित तरीके से नीति और कार्यान्वयन के लिये नए संस्थागत ढाँचे का प्रावधान किया गया है। और राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन को स्वतंत्र और जवाबदेह तरीके से कार्य निर्वहन करने के लिये सशक्त बनाया गया है। मंत्रालय ने पेयजल और स्वच्छता विभाग को चालू वित्त वर्ष के दौरान स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत गंगा कार्य योजना को लागू करने के लिये 315 करोड़ रुपए दिये हैं। सरकार ने जापान इंटरनेशनल कार्पोरेशन एजेंसी से मिले विकासात्मक ऋणों में से यमुना की परियोजनाओं के लिये 496.90 करोड रुपए की वित्तीय सहायता का लाभ उठाया।

केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने घोषणा की है कि जल मंथन सम्मेलन अब प्रतिवर्ष आयोजित होगा। नई दिल्ली में 24 फरवरी को आयोजित जल मंथन-2 सम्मेलन में चर्चा का विषय ‘सतत जल प्रबन्धन के लिये एकीकृत दृष्टिकोण’ था। मौजूदा बाँध पुनर्वास और सुधार परियोजना से सीखे गए सबक पर एक कार्यशाला 19 फरवरी को नई दिल्ली में आयोजित हुई थी। जल सप्ताह के चौथे संस्करण का आयोजन 4 से 8 अप्रैल के बीच नई दिल्ली में किया गया। जल-फिल्म महोत्सव का आयोजन नई दिल्ली में वाटर एक्सपो के अवसर पर मार्च में किया गया।

मंत्रालय के लिये वर्ष 2015-16 में कुल आवंटन 7431 करोड़ रुपए था। इसे बाजार उधारी व बजटीय सहायता के माध्यम से 2016-17 में 12517 करोड़ कर दिया गया है। यह आवंटन में 168 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी है। सरकार ने विश्व बैंक से मिली 3679.77 करोड़ की सहायता से केन्द्रीय क्षेत्र योजना के तहत राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना को मंजूरी दी है। त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के तहत 99 प्राथमिकता प्राप्त सिंचाई परियोजनाओं के लिये केन्द्रीय सहायता के रूप में राज्यों को 1500 करोड़ रुपए की पहली किस्त जारी की गई।

महानदी बेसिन में विभिन्न मुद्दों और परियोजनाओं पर विचार करने के लिये ओड़िशा और छत्तीसगढ़ सरकार के प्रतिनिधियों की एक बैठक नई दिल्ली में बुलाई गई थी। बैठक का आयोजन केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री द्वारा 26 जुलाई को संसद में दिये आश्वासन के सन्दर्भ में किया गया। कावेरी बेसिन की जमीनी हकीकत का आकलन करने के लिये एक उच्च स्तरीय तकनीकी टीम का गठन किया गया जिसके अध्यक्ष केन्द्रीय जल आयोग के अध्यक्ष जीएस झा बनाए गए।

उपग्रह चित्रों के आधार पर भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) ने भारत के उत्तर पश्चिम भाग में पैलियो-चैनलों का अध्ययन किया जिसमें पता चला कि पैलियो चैनल्स हिमालय के साथ-साथ अरावली पहाड़ियों से शुरू होकर दक्षिण की तरफ बढ़कर हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और गुजरात राज्यों में प्रवाहित होते हैं। ब्रह्मपुत्र बराक नार्थइस्ट रिवर डेवलपमेंट कार्पोरेशन नामक निगम के गठन के लिये संशोधित विधेयक का मसौदा तैयार किया गया है।

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