नोएडा में एक करोड़ रुपये की रेत रोज होती है चोरी


पर्यावरणविद विजय पाल सिंह बघेल कहते हैं कि ‘अगर अवैध खनन बंद नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में पानी का भीषण संकट खड़ा हो जाएगा और यमुना के किनारे सिंचाई के लाले पड़ जाएंगे।’ प्रदेश में खनन के काम में एक बड़ा सिंडिकेट जुड़ा है जो सत्ताधारी दल के अनुसार बदलता रहता है अर्थात जिस दल की प्रदेश में सरकार होती है उसी दल के नेताओं द्वारा इस सिंडिकेट को संचालित किया जाता है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की इन दिनों चौतरफा आलोचना हो रही है। गौतमबुद्धनगर जिले में यमुना नदी में चल रहे अवैध खनन करने वालों पर सरकार मेहरबान हैं। वहाँ की उपजिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल का निलंबन इसलिये कर दिया गया क्योंकि उन्होंने जिले के खनन माफिया पर नकेल कस रखी थी। प्रशासनिक अधिकारी के निलंबन के बाद भी गौतमबुद्धनगर में खनन माफिया का खेल जारी है फर्क बस इतना है कि अब दिन के उजाले में नहीं बल्कि रात के अंधेरे में यमुना से अवैध रेत का खनन किया जा रहा है। बताया जाता है कि अखिलेश यादव सरकार में सबसे शक्तिशाली मंत्री समझे जाने वाले मंत्री का खनन माफियाओं को खुला संरक्षण प्राप्त है। उनके इशारे पर ही गौतमबुद्धनगर की उपजिलाधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल को रातों-रात निलंबित किया गया था।

वास्तव में उत्तर प्रदेश में इन दिनों खनन माफिया लॉबी की पहुँच सत्ता की सबसे ऊँची पायदान तक पहुँच चुकी है। खनन लॉबी इतनी ताकतवर हो चुकी है कि वह ‘सर्वोच्च न्यायालय’, ‘नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल’, पर्यावरण विभाग और सिंचाई विभाग के नियमों की भी परवाह नहीं करती। अगर कोई ईमानदार अधिकारी उनकी ‘कारगुजारियों’ के आड़े आता है तो वे उसे रास्ते से हटा देते हैं या उस पर गुंडों से हमला करवा देते हैं। गौतमबुद्धनगर के रायपुर गाँव में पालेराम चौहान लगातार खनन माफियाओं के खिलाफ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत कर रहे थे।

31 जुलाई को खनन माफियाओं के इशारे पर उनकी हत्या कर दी गई। पालेराम चौहान के घरवालों ने आरोप लगाया है कि खनन माफियों ने दिन दहाड़े उनकी हत्या करवा दी। दिल्ली से सटा उत्तर प्रदेश का गौतमबुद्धनगर (ग्रेटर नोएडा) जिला खनन माफियाओं का स्वर्ग बना हुआ है। ग्रेटर नोएडा में हिंडन और यमुना नदी से रोजाना तीन सौ डंपर रेत निकाला जाता है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद, गुड़गाँव और गाजियाबाद में बन रहे लाखों फ्लैट्स के निर्माण के लिये यह रेता इस्तेमाल होता है। यमुना नदी के किनारे पड़ने वाले जिले के गाँवों में खनन माफियाओं ने पूरी मशीनरी झोंक रखी है। भीमकाय जेसीबी मशीनें, नदी से रेत निकालने वाली पॉपलेन, भारी-भरकम डंपर और ट्रैक्टर ट्रालियों की मार्फत यमुना में खनन का काम जारी है।

जिला प्रशासन की मानें तो रायपुर गाँव में खनन का पट्टा दिया गया है लेकिन यमुना नदी के किनारे बसे मंगरौली, छपरौली, मंगरौला, कादलपुर, झट्टा बादौली, कौंडली, कामबख्सपुर, मामनाथलपुर, शफीपुर, तिलवाड़ा, असगरपुर, मोइयापुर, जगनपुर, शेखपुर, घरबरा और मुरस्दपुर गाँव में खनन का काम बेखौफ चल रहा है। फर्क केवल इतना है कि जिला प्रशासन द्वारा सख्ती किए जाने के बाद रेत माफिया रात डेढ़ बजे से लेकर सुबह पाँच बजे तक अपना काम कर रहे हैं, जबकि पहले वे दिन दहाड़े बिना परमिट के रेत निकालने का धंधा करते थे। खनन के इस बड़े धंधे में सत्ता और विपक्ष के सफेदपोश नेताओं के अलावा पुलिस के कर्मचारियों की भी बड़ी भूमिका है।

लतीफपुर गाँव के चंद्रपाल सिंह भाटी कहते हैं कि दनकौर, जेवर और सूरजपुर थाने की पुलिस का रेत माफियाओं को खुला संरक्षण प्राप्त है जबकि इनके भारी-भरकम वाहनों ने गाँव की सड़कों को नेस्तानाबूद करके रख दिया है। लतीफपुर के ही दीपचंद कहते हैं कि हमारे गाँव के चारों तरफ यमुना नदी के कटान को रोकने के लिये सरकार ने बंधा बनवा रखा है। इस बंधे से रातदिन रेते के ट्रकों और ट्रालियों के गुजरने की वजह से बंधा पूरी तरह से कट गया है जिसकी मरम्मत की किसी को परवाह नहीं है। अवैध और बेतरतीब ढ़ंग से किए जा रहे खनन की वजह से यमुना नदी आधा किलोमीटर खिसक कर हरियाणा से गौतमबुद्धनगर की तरफ आ गई है। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ने गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी को इस संबंध में 21 जुलाई 2012 को एक चिट्टी लिखकर सूचना दी थी कि यमुना में पुलिस सरंक्षण में चल रहे खनन की वजह से ओखला बैराज को खतरा उत्पन्न हो गया है।

बावजूद इसके जिला प्रशासन के कानों पर जूं नहीं रेंगी। दुर्गाशक्ति नागपाल ने जब जिले में उपजिलाधिकारी सदर का पद संभाला तो उन्हें पर्यावरणविदों ने अवैध खनन के बारे में सूचनाएं देना शुरू किया, जिसके बाद उन्होंने 274 वाहनों को जब्त कर विभिन्न थानों में जमा कराया, जिनमें डंपर, जेसीबी मशीनें, ट्रैक्टर ट्राली और पॉपलेन शामिल थींं। उन्होंने खनन माफिया पर 54 लाख 30 हजार रुपये जुर्माना लगा कर सरकारी खजाने में जमा कराया। इतना ही नहीं उन्होंने यमुना में बनाए गए दस अवैध पुलों को भी ध्वस्त कराया था, जिन पर से होकर खनन माफियाओं की ट्रालियाँ गुजरती थीं।

‘शुक्रवार’ की टीम ने अवैध खनन का जायजा लेने के लिये लतीफपुर, शेखपुर और मकनपुर गाँव का दौरा किया तो पाया कि खनन माफिया द्वारा यमुना में काफी अंदर तक सड़क का निर्माण कर रखा है ताकि रेत से भरे उनके वाहनों को कोई असुविधा न हो। मकनपुर गाँव के लोगों ने बताया कि यमुना के खादर में जिन किसानों के खेत हैं, उन्होंने उन्हें रेत माफियाओं को किराए पर दे रखा है जो खेतों में बीस-तीस फुट गहरे गढ्ढे कर रेत निकालने का काम करते हैं।

उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मानें तो ओखला बैराज से डाउन स्ट्रीम में डेढ़ से साढ़े तीन किलोमीटर के बीच रेत निकालने का ठेका जारी किया जा सकता है लेकिन खनन माफिया ओखला बैराज से मात्र पाँच सौ मीटर की दूरी पर खनन में लगे हैं। बताया जाता है कि गौतमबुद्धनगर में 400 एकड़ परिक्षेत्र में रेत का खनन चल रहा है। सरकारी नियमों के मुताबिक खनन ठेकेदार को 33 रुपये प्रतिघन मीटर रॉयल्टी के तौर चुकाने होते हैं, जबकि अवैध खनन से सरकार को रोज लाखों की चपत लग रही है। वहीं खनन माफिया ट्रॉली से 1,000 रुपया और डंपर से 3,000 रुपया वसूलते हैं। बाजार में एक ट्रैक्टर ट्रॉली 3,000 रुपये में और डंपर 14,000 रुपये में बेचा जाता है। गौतमबुद्ध नगर में यमुना में खनन करने के लिये पर्यावरण एवं वन विभाग, सिंचाई विभाग और ‘नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल’ से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होता है प्रदेश के भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग द्वारा जिन लोगों को बालू खनन के ठेके दे रखे हैं, उनमें से किसी के पास पर्यावरण विभाग और सिंचाई विभाग का अनुमति पत्र नहीं है।

पर्यावरणविद विजय पाल सिंह बघेल कहते हैं कि ‘अगर अवैध खनन बंद नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में पानी का भीषण संकट खड़ा हो जाएगा और यमुना के किनारे सिंचाई के लाले पड़ जाएंगे।’ प्रदेश में खनन के काम में एक बड़ा सिंडिकेट जुड़ा है जो सत्ताधारी दल के अनुसार बदलता रहता है अर्थात जिस दल की प्रदेश में सरकार होती है उसी दल के नेताओं द्वारा इस सिंडिकेट को संचालित किया जाता है। बताया जाता है कि गौतमबुद्धनगर में रोज एक करोड़ रुपये की खनन सिंडिकेट द्वारा उगाही की जाती है। यमुना नदी के किनारे ‘खादर’ में जिन किसानों के खेत हैं वे भी इस सिंडिकेट को पैसा दिए बिना रेत नहीं बेच सकते। इस सिंडिकेट का विरोध करने वालों को अपनी जान तक गँवानी पड़ती है बीते एक दशक में खनन माफियाओं का विरोध करने वाले एक दर्जन से ज्यादा लोगों को कुचलकर मार डाला गया।

एक पूर्व उपजिला अधिकारी विशाल सिंह पर भी गोली चलाई गई थी। गौतमबुद्धनगर के खनन अधिकारी रहे आशीष कुमार ने अपने आठ माह के छोटे से कार्यकाल में दो हजार से ज्यादा अवैध ट्रालियों को पकड़ा था। जब उन्होंने गाँवों में जाकर अवैध खनन को बंद कराने का काम किया तो खनन लॉबी ने उनका बुलंदशहर तबादला करवा दिया। गौतमबुद्धनगर जिले के राजस्व अधिकारियों का कहना है कि अगर वे खनन माफियाओं पर अंकुश लगाने के लिये कड़े कदम उठाते हैं तो उनके ऊपर राजनीतिक दवाब बनाया जाता है। बताया जाता है कि गौतमबुद्धनगर का खनन सिंडिकेट लखनऊ में बैठे एक ‘शक्तिशाली’ मंत्री द्वारा संचालित किया जा रहा है।

गौतमबुद्धनगर में अंधाधुंध खनन की शिकायत पर उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद प्रदेश सरकार से इस संबंध में जवाब मांगा है। इसके बाद प्रदेश के भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के निदेशक डॉ. भास्कर उपाध्याय ने गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में अवैध खनन की जाँच के लिये दो उच्चस्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त समितियों को दोनों जिलों में रवाना कर दिया है।

प्रदेश सरकार का कहना है कि इन समितियों में शामिल भू-वैज्ञानिकों और अधिकारियों को यह अधिकार दिए गए हैं कि वे अवैध खनन में लगे लोगों के खिलाफ तत्काल सीधी कार्रवाई करें। समिति दोनों जिलों में अवैध भंडारण, अवैध खनन और खनन में इस्तेमाल की जाने वाली मशीनरी की जाँच करेंगी और यह पता लगाएंगी कि सरकारी मानकों से इतर जिलों में कहाँ-कहाँ अवैध खनन चल रहा है और उसे किसका संरक्षण प्राप्त है? अवैध खनन की लगातार मीडिया रिपोर्टिंग के बाद नोएडा जिला प्रशासन ने छापेमारी कर 30 ट्रक जब्त कर 17 लोगों को गिरफ्तार कराया।

लेकिन प्रशासन के अभियान का असर खनन माफियाओं पर नहीं पड़ा। वे बराबर नेताओं के साथ पुलिस थानों के चक्कर लगाते दिखाई दिए। गौतमबुद्ध नगर में अवैध खनन के धंधे पर उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के 61 जिलाधिकारियों को चिट्ठी लिखकर उनके जनपदों में खनन पर रिपोर्ट मांगी है। आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल द्वारा जिस बेखौफ तरीके से गौतमबुद्धनगर के खनन माफियाओं पर नकेल कसी गई, उसकी पर्यावरणविदों द्वारा खूब प्रशंसा की जा रही है।

हालाँकि जिले में अभी तक अवैध खनन पर पूरी तरह से रोक नहीं लगी है। ‘शुक्रवार’ की टीम से गौतमबुद्धनगर के लतीफपुर और मकनपुर गाँव के किसानों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने अवैध खनन में लगे वाहनों को एक खास ‘टोकन’ दे रखा है जिसकी मार्फत वे बेधड़क आवागमन में लगे रहते हैं। सूबे के पूर्वांचल, बुंदेलखंड, अवध, तराई और ब्रज सभी अंचलों में खनन का खेल सत्ता से जुड़े रसूखदारों के लोगों के भरोसे चल रहा है, जिन्होंने सभी छोटी बड़ी नदियों को खनन से छलनी कर दिया है। भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की मानें तो प्रदेश में डेढ़ हजार स्थानों पर अवैध खनन को सत्तापक्ष की ल़ॉबी चला रही है क्योंकि इसमें अकूत धन की रोज आमद होती है।

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