पैड वुमेन माया विश्वकर्मा महिलाओं के लिए मिसाल

4 May 2019
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पैड वुमेन माया
पैड वुमेन माया

मेरी नजर में एक महिला तभी सशक्त होगी जब वह शिक्षित एवं स्वस्थ हो और उसके पास रोजगार के साधन उपलब्ध हों। क्योंकि जब महिला शिक्षित होगी तो उसमें आत्मविश्वास होगा और फिर वह जीवन मे किसी भी प्रकार की परिस्थितियों का सामना करने के लिए हरदम तैयार होगो। वहीं यदि महिला सशक्त है तो फिर किसी एक दिन महिला दिवस मनाने की जरूरत ही नहीं होगी बल्कि हर दिन महिला सशक्तिकरण का होगा। यह मानना है महिला सशक्तिकरण का देशभर में एक बेहतरीन उदाहरण बन चुकी पैड वुमेन के नाम से मशहूर मध्य प्रदेश की माया विश्वकर्मा का।

सुकर्मा फाउंडेशन की संस्थापक माया विश्वकर्मासुकर्मा फाउंडेशन की संस्थापक माया विश्वकर्मा

मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के महरा गांव की माया विश्वकर्मा को हम महिला सशक्तिकरण की एक बेहतर मिसाल इसलिए कह रहे हैं क्योंकि एक छोटे से गांव और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से होने के बावजूद माया विश्वकर्मा ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन के दम पर पहले खुद को सशक्त बनाया और अब वे खुद रोजगार पैदा करके गांव की अशिक्षित महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवा रही हैं। इतना ही नहीं महिलाओं को आर्थिक के साथ-साथ शारीरिक रुप से भी सशक्त बनाने का उन्होंने बीड़ा उठाया है।

मेरी नजर में एक महिला तभी सशक्त होगी जब वह शिक्षित एवं स्वस्थ हो और उसके पास रोजगार के साधन उपलब्ध हों। क्योंकि जब महिला शिक्षित होगी तो उसमें आत्मविश्वास होगा और फिर वह जीवन मे किसी भी प्रकार की परिस्थितियों का सामना करने के लिए हरदम तैयार होगो। वहीं यदि महिला सशक्त है तो फिर किसी एक दिन महिला दिवस मनाने की जरूरत ही नहीं होगी बल्कि हर दिन महिला सशक्तिकरण का होगा। यह मानना है महिला सशक्तिकरण का देशभर में एक बेहतरीन उदाहरण बन चुकी पैड वुमेन के नाम से मशहूर मध्य प्रदेश की माया विश्वकर्मा का।

माया अपने क्षेत्र की पहली लड़की हैं जिसने अमेरिका में जाकर पढ़ाई की औए इसके बाद क्रेरसर बायोलॉजिस्ट के तौर पर  वहां काम किया लेकिन बाद में अमेरिका में काम करने की बजाए माया ने देश में रहकर गांवों की महिलाओं के लिए मासिक धर्म स्वास्थ्य पर काम करना अधिक बेहतर समझा। देशभर में पैड वुमेन के नाम से प्रसिद्ध एवं सुकर्मा फाउंडेशन की संस्थापक माया विश्वकर्मा कहती हैं कि जब तक लड़कियां एवं महिलाएं शिक्षित एवं स्वस्थ नहीं होंगी तब तक वे सशक्त नहीं हो सकती हैं। बताया कि मासिक धर्म स्वच्छता एक ऐसा विषय है जिस पर घरों में बात नहीं होती है। शहरों में तो धीरे-धीरे जागरूकता बढ़ी है लेकिन छोटे-छोटे गांवों में स्थिति गम्भीर है। यहां बच्चियों क्या महिलाओं को यह पता नहीं होता है कि मासिक धर्म होने पर किस तरह की सावधानियां रखें। जिस कारण वे इंफेक्शन, बच्चेदानी का कैंसर जैसी कई गम्भीर बीमारियों का शिकार हो जाती हैं। बताया कि वे खुद इस तकलीफ से गुजर चुकी हैं। ऐसे में उन्होंने दूसरी महिलाओं को इस दर्द से दूर करने की ठानी। 

2008-2009 में अमेरिका से कैमिकल एन्ड बायोलॉजी से इंजीनियरिंग में पीएचडी और इससे पहले 2004 से लेकर 2008 तक एम्स दिल्ली में शोध कार्य करने वाली माया गांवों में घूम-घूमकर महिलाओं को मासिक धर्म से जुड़ी स्वच्छता के बारे में बताती हैं। पहले महिलाएं इस बारे में बात नहीं करती थी लेकिन जब उन्हें सही से समझाया गया तो वे इस विषय पर बात करने लगी। बताया कि पिछले एक साल में वह मध्य प्रदेश के 15 जिलों में करीब 15-20 हजार महिलाओं से सम्पर्क कर उनकी समस्या जान चुकी हैं। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अस्वच्छता के कारण होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए उन्होंने नवंबर 2017 में नरसिंहपुर में एक सेनेटरी पैड बनाने की काम कर रही हैं। यहां पर प्रतिदिन एक हजार सेनेटरी पैड बनाए जाते हैं। 

जो महिलाएँ सेनेटरी पैड खरीदने में सक्षम नहीं होती हैं उनके लिए डोनर ढूंढे जाते हैं या फिर उन्हें सस्ते दामों पर इसे उपलब्ध करवाया जाता है। इस कार्य में अमेरिका के दोस्त उनकी सहायता करते हैं। माया का कहना है कि मासिक धर्म स्वच्छता को सरकार एवं शिक्षा विभाग को कक्षा तीसरी, चौथी या पांचवी से ही पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। जिससे धीरे-धीरे कार्टून एवं कहानियों के माध्यम से लड़के-लड़कियों दोनों को ही जानकारी दी जा सके। इसके जरिए लड़कियों को मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी पैड के उपयोग और सावधानियां के बारे में जागरूक किया जाए। जिससे कि भविष्य में होने वाली समस्याओं से उन्हें बचाया जा सके। 

पैड वुमेन माया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह आग्रह किया है कि जिस प्रकार से स्वच्छता अभियान एवं विज्ञापन पर बड़ी-बड़ी धनराशि का बजट खर्च किया जा रहा है उसी प्रकार से कुछ तवज्जो सेनेटरी पैड को भी दें। क्योंकि सेनेटरी पैड कोई लग्जरी आइटम नहीं बल्कि महिलाओं की जरूरत है। उन्होंने फिल्म पैडमैन के हीरो अक्षय कुमार से भी अनुरोध किया कि उन्होंने फ़िल्म से जो कमाई की है उसका कुछ अंश इस मुहिम में खर्च करे। जबकि माया ने पुरुषों से राशन की सूची में अपने घरों की महिलाओं के लिए सेनेटरी पैड को भी शामिल करने पर जोर दिया। 
 

 

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