पानी : हर बूंद कीमती है

जल ही जीवन है। जल संरक्षण, पानी की एक-एक बूंद कीमती है, जल बचाओ, जल है तो कल है, जैसे स्लोगन की सत्यता जितनी जरूरी आज के लिए है उससे कहीं ज्यादा भावी पीढ़ी के लिए है।किसी ने ठीक ही कहा है, जल जैसे प्राकृतिक संसाधन कुदरत की नेमत है और हमें पूर्वजों से उधार में मिले हैं, ऐसे में हमें इनकी संभाल करके यह भावी पीढ़ी को सौंपने होंगे। बड़े-बड़े सेमिनारों तथा सूचना-प्रचार माध्यमों से कई बार ये बात सुनी जाती है कि अगला विश्व युद्ध पानी को लेकर होगा। यह अनुमान कितना जायज है इसका अन्दाजा इस बात से सहज ही लगाया जा सकता है कि कुदरत की नेमत को मनुष्य ने अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए बड़ी लापरवाही से दोहन किया है, नतीजा भूमिगत जल बड़ी तेजी से और अधिक गहरा होता जा रहा है। यह स्थिति लगातार जारी रहने से आगे क्या होगा, यह भयावह तो है ही, इस पर भी विचार किया जाना भी जरूरी हो गया है तभी पानी के महत्व को समझा जा सकेगा।

बावन ताल-तलैयों वाला शहर जबलपुर में भी पानी का बहुत बड़ा संकट है। मध्य प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक पानी के वजह से संकट पैदा हो रहे हैं। हैरानी की बात है कि पृथ्वी के तीन चौथाई भाग पर पानी है लेकिन पीने योग्य पानी मात्र एक फीसदी या इससे थोड़ा ज्यादा है। दूसरी ओर हर व्यक्ति को हर रोज अपनी जरूरत के मुताबिक करीब डेढ़ सौ लीटर पानी चाहिए। खेती व दूसरे प्रयोगों के लिए अलग से पानी की जरूरत बनी रहती है।

हमारे देश के लोग भाग्यशाली हैं, यहां की हर नई पीढ़ी को जीवन से जुड़ी अनेक भौतिक वस्तुएं और प्राकृतिक संसाधन विरासत में मिल रहे हैं तभी इनकी कद्र करना हम अभी तक नहीं सीख पाए हैं। दूसरी ओर दुनिया में करोड़ो ऐसे लोग भी हैं जिनके पास पानी की किल्लत है। ऐसे लोग ही इनके महत्व को समझ पाए हैं और पानी की बचत करके विश्व बिरादरी के कई देश दूसरे लोगों के लिए उदाहरण बन उन्हें सीख दे रहे हैं। भारत में भी राजस्थान जैसे प्रदेश में ऐसे स्थानों पर रहने वाले लोग जहां पानी नहीं है या न के बराबर है वे किस तरह से पानी का प्रयोग करते हैं, उनसे भी कुछ न कुछ ज्ञान लेना चाहिए।

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