पानी पर चुनावी जंग, प्यास बुझाने पहुँची ट्रेन

5 May 2016
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  • महोबा की प्यास बुझाने को लातूर की तर्ज पर ट्रेन पहुँची झाँसी
  • मुख्य सचिव तथा स्थानीय प्रशासन ने कहा ट्रेन की जरुरत नहीं
  • सांसद के कहने पर पहुँची ट्रेन
  • झाँसी में खड़ी रहेगी ट्रेन

 

 


.बुन्देलखण्ड के महोबा जिले की प्यास बुझाने को लातूर की तर्ज पर केन्द्र सरकार के रेल मंत्रालय ने पानी के टैंकरों से भरी एक ट्रेन मध्य प्रदेश राज्य के रतलाम शहर से रवाना कर दी जो झाँसी पहुँच गई है लेकिन जब इसकी सूचना महोबा प्रशासन को झाँसी के एडीआरएम ने दी तो उन्होंने पानी की जरुरत से इनकार कर दिया।

महोबा तथा बाहर के अखबारों में प्रतिदिन प्रकाशित समाचारों को तथ्य मानते हुए जब रेल मंत्रालय ने हमीरपुर-महोबा सांसद पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल से महोबा जिले में पानी की जरूरत के बारे में जानकारी माँगी तो सांसद ने भी जरूरत पर मुहर लगाते हुए पानी के टैंकरों से भरी ट्रेन भेजने की हामी भर दी। रेल मंत्रालय ने मध्य प्रदेश राज्य के रतलाम शहर से पानी के दस टैंकरों वाली ट्रेन 4 मई को रवाना कर दी जो रतलाम से चलकर देर रात झाँसी पहुँच गई।

रेल मंत्रालय द्वारा पानी के टैंकरों वाली ट्रेन पहुँचाए जाने की खबर जब अखबारों में 4 मई को प्रकाशित हुई कि महोबा जिले में पीने के पानी की किल्लत को देखते हुए रेल मंत्रालय ने पानी के टैंकरों वाली ट्रेन पहुँचाने के आदेश दिये हैं जो राजस्थान के कोटा स्थित बाणसागर बाँध से पानी लेकर 5 मई को रवाना होगी। जैसे ही ये खबर अखबारों के जरिए उत्तर प्रदेश के शासन–प्रशासन को लगी उन्होंने न्यूज चैनलों के जरिए यह वक्तव्य देना शुरू कर दिया कि महोबा में पानी के टैंकरों वाली ट्रेन की जरूरत नहीं है। महोबा का स्थानीय प्रशासन पीने का पानी टैंकरों के जरिए पहुँचाने में सक्षम है।

रेल मंत्रालय ने मुस्तैदी दिखाते हुए पानी के टैंकरों वाली ट्रेन राजस्थान कोटा से न भेजकर मध्य प्रदेश के रतलाम से भेज दी जो 4 मई की शाम चलकर 4/5 की अलसुबह ही झाँसी पहुँच गई। झाँसी रेल मण्डल के एडीआरएम विनीत सिंह ने पानी के टैंकरों से भरी ट्रेन के आने की सूचना जब महोबा के डीएम वीरेश्वर सिंह को दी तो उन्होंने ट्रेन की जरूरत को ही नकार दिया।

महोबा को ट्रेन द्वारा पानी पहुँचाया जा रहा हैउन्होंने रेल मण्डल के अधिकारी को बताया कि पीने के पानी की सप्लाई महोबा जिले में ट्रैक्टरों तथा टैंकरों से की जा रही है।

मालूम हो कि ट्रेन के एक टैंकर में 50 हजार लीटर पानी रखने की क्षमता है इस तरह 5 लाख लीटर पानी के टैंकरों वाली ट्रेन झाँसी पहुँचकर लोगों की प्यास बुझाने को तैयार है। रेलवे बोर्ड ने पानी से भरी इस ट्रेन को झाँसी में ही खड़ा करने का निर्णय लिया है।

महोबा प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार 55 गाँवों में पीने के पानी की ज्यादा समस्या है जिसमें 3 हजार क्षमता वाले पानी के 75 टैंकरों से ट्रैक्टरों द्वारा पीने का पानी भेजा जा रहा है।

खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन द्वारा जब यह प्रचारित कर दिया गया कि महोबा जिले में पीने के पानी की सप्लाई की कोई दिक्कत नहीं है तो महोबा का स्थानीय प्रशासन पीने के पानी की किल्लत को कैसे मान सकता है। सच बात यह है कि चुनाव को देखते हुए केन्द्र सरकार की इस मदद को राज्य सरकार लेने को तैयार नहीं है।

राज्य सरकार को लगता है कि यह मदद यदि उन्होंने ले ली तो बुन्देलखण्ड की जनता में सीधा सन्देश जाएगा कि मोदी सरकार ने प्यास बुझाने को पानी के टैंकरों से भरी ट्रेन भेज दी जो राज्य सरकार करने में सक्षम नहीं थी। जनता को क्या चाहिए क्या नहीं इस बात की चिन्ता किसे है यह तो गर्त में है लेकिन सच यही है कि जन-प्रतिनिधियों की सत्ता पाने की ललक इस हद तक बढ़ गई है कि वह यह देख पाने में सक्षम नहीं है जनता का क्या होगा।
 

 

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