पेंच बांध परियोजना : सपनों की जलसमाधि
12 November 2012

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर पेंच बांध परियोजना में भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसानों के आंदोलन में शामिल नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता सुश्री मेधा पाटकर और 17 कार्यकर्ताओं को 4 नवम्बर को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया तथा 7 नवम्बर को उनके सहित सभी कार्यकर्ताओं को एक-एक हजार के निजी मुचलके पर कोर्ट के आदेश के बाद रिहा किया गया।रिहा होने के पश्चात सुश्री पाटकर ने उनकी गिरफ्तारी को नियम के विरुद्ध बताया तथा कहा कि सरकार इस तरह से एक जायज मांग को दबाने की कोशिश कर रही है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जिले के चौरई विकासखंड के माचागोरा और बाभनवाड़ा में किसान और ग्राम पंचायत भूमि अधिग्रहण के विरोध में लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। भारी विरोध के बावजूद पेंच बांध विरोध के तहत पेंच नदी पर बांध निर्माण का कार्य 4 नवम्बर से शुरू कर दिया गया था।

इस परियोजना से क्षेत्र के 31 गांव डूब क्षेत्र में आ रहे हैं। लगभग 5600 हेक्टेयर भूमि किसानों की है, जिसमें से अधिकांश किसानों के भूमि अर्जन का कार्य शुरू नहीं हुआ है। प्रस्तावित मुआवजे में वर्तमान स्थिति में वैकल्पिक जमीन खरीद पाना संभव नहीं है, इससे किसान बर्बाद हो जायेंगे, उनकी इतनी अधिक उपजाऊ जमीन जबरन डूब में आ रही है। ज्ञातव्य है कि बांध का काम जबदरस्ती आगे बढ़ाने तथा किसानों से गांव खाली कराने के लिए सैकड़ों की संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। एडवोकेट आराधना भार्गव को 3 नवम्बर 2012 को धारा 151 के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें अभी तक जमानत नहीं मिल पाई है। आंदोलन को देखते हुए पूरे छिंदवाड़ा जिले में धारा 144 लागू है। विरोध के लिए शामिल हुई मेधा पाटकर और उनके दो साथियों को छिंदवाड़ा में किसी निजी मकान में नजरबंद किया गया। पश्चात गिरफ्तारी कर जेल भेज दिया गया था। इस कारण लोकतंत्र की हत्या के विरोध में उन्हें जेल में ही अनशन शुरू कर दिया था।

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