पेयजल मानक : समझने की दुश्वारियाँ

drinking water
drinking water

सारी दुनिया में अधिकांश बीमारियाँ अशुद्ध पानी पीने के कारण होती हैं। इस बात को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने पीने के पानी की शुद्धता के मापदण्ड (¼ Indian Standard Drinking Water Specification (BIS 10500 : 2009) तय किए हैं। इन मापदण्डों की कुल संख्या 34 है। उनमें पानी के भौतिक गुण, रासायनिक गुण और बैक्टेरालाजिकल गुण सम्मिलित है। पानी सप्लाई करने वाली संस्था का दायित्व है कि वह उनका सख्ती से पालन करे।

समाज का दायित्व है कि वह दूषित पानी का उपयोग नहीं करे। अनेक बार संस्थाएँ मुख्य रसायनों की जाँच को अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान लेती हैं जबकि बहुत ही कम मात्रा में मिलने वाले रसायन अधिक गम्भीर बीमारी का सबब् होते हैं। जरूरी है कि पानी की जाँच कराने वाले संस्थानों को पानी के सभी 34 मानकों की पूरी जाँच कराना चाहिए। इस जाँच में एक भी मानक नहीं छूटना चाहिए। जाँच हमेशा विश्वसनीय तथा प्रतिष्ठित प्रयोगशाला में कराना चाहिए।

अमानक पानी पीने से होने वाली बीमारियों की संक्षिप्त जानकारी निम्नानुसार है-

1. जब एक लीटर पानी में घुले रसायनों की मात्रा 500 मिलीग्राम से अधिक होती है तो आँतों में जलन पैदा होने लगती है।
2. जब एक लीटर पानी में घुले क्लोराइड की मात्रा 250 मिलीग्राम से अधिक हो जाती है तो पाचन तन्त्र पर बुरा असर पड़ता है। क्लोराइड की अधिकता, हार्ट और गुर्दे के रोगियों के लिये घातक होती है।
3. जब एक लीटर पानी में घुले आर्सेनिक की मात्रा 0.01 मिलीग्राम से अधिक, सीसे (लेड) की मात्रा 0.001 मिलीग्राम से अधिक, निकिल की मात्रा 0.02 मिलीग्राम से अधिक, सायनाइड की मात्रा 0.05 मिलीग्राम से अधिक, कैडमियम की मात्रा 0.003 मिलीग्राम से अधिक और पारे की मात्रा 0.01 मिलीग्राम से अधिक होती है तो वह पानी जहरीला हो जाता है।
4. जब एक लीटर पानी में घुले सल्फेट की मात्रा 200 मिलीग्राम से अधिक होती है तो उसके सेवन से आँतों में जलन होती है।
5. जब एक लीटर पानी में घुले नाइट्रेट की मात्रा 45 मिलीग्राम से अधिक होती है तो उसके सेवन से बच्चों को Methaemoglo and binamia रोग होता है।
6. जब एक लीटर पानी में घुले फ्लोराइड की मात्रा 0.1 मिलीग्राम (अधिकतम 0.015) से अधिक हो जाती है तो प्रभावित व्यक्ति के दाँतों का नष्ट होना और हड्डियों में लाइलाज विकार पैदा होते हैं। अन्ततः प्रभावित व्यक्ति अपंग हो जाता है।
7. जब एक लीटर पानी में घुले एल्यूमीनियम की मात्रा 0.03 मिलीग्राम से अधिक होती है तो मस्तिष्क रोग पैदा होता है।
8. जब एक लीटर पानी में घुले बेरियम की मात्रा 0.07 मिलीग्राम से अधिक हो जाती है तो हार्ट सम्बन्धी विकार पैदा होते हैं।
9. जब एक लीटर पानी में घुले क्रोमियम की मात्रा 0.05 मिलीग्राम से अधिक और ब्रोमोफार्म की मात्रा 0.1 मिलीग्राम से अधिक हो जाती है तो कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

उपरोक्त मानक एक लीटर पानी में रसायन की सुरक्षित मात्रा की औसत स्थिति को दर्शाते हैं। इस सुरक्षित मात्रा का सम्बन्ध इस बात से भी है कि व्यक्ति प्रतिदिन कितना पानी पीता है। अर्थात् प्रतिदिन उसके शरीर में पानी के माध्यम से कितना रसायन पहुँचता है। रसायन की शरीर में पहुँची मात्रा ही शरीर पर अच्छा या बुरा असर डालती है। भोजन, चाय या अन्य तरीकों से भी शरीर को हानिकारक रसायन मिलता है। उस पानी के उपयोग से पैदा की सब्जी और अनाज भी शरीर में रसायनों को बढ़ाते हैं।

मेहनत-मजदूरी करने वाले व्यक्ति की पानी की खपत एयरकंडीशन कमरे में बैठकर काम करने वाले की तुलना में अधिक होती है। उसे बोतलबन्द साफ पानी भी नसीब नहीं होता। उसके पास इलाज के लिये धन भी नहीं होता इसलिये जरूरी है कि पानी में मौजूद अशुद्धियों से निजात पाने के लिये मानकों के सत्य को सरल भाषा में समाज तक पहुँचाया जाए। जागरुकता बढ़ाई जाए। शुद्ध पानी की उपलब्धता बढ़ाई जाए और उस पर सबकी पहुँच सुनिश्चित हो।मानकों का निर्धारण वैज्ञानिक और चिकित्सक करते हैं। सरकारें उसे मान्यता प्रदान करती हैं। आम आदमी मानकों की भाषा नहीं समझता। मानकों के आधार पर वह यह तय नहीं कर पाता कि उसे प्रति दिन कितना पानी पीना चाहिए। उसे यह भी पता नहीं होता कि भोजन इत्यादि के माध्यम से उसके शरीर में कितना हानिकारक रसायन जा रहा है।

निरोग रहने की इच्छा के चलते वह यह अवश्य जानना चाहता है कि वह प्रतिदिन कितना पानी पिए ताकि शरीर की जरुरतें भी पूरी हों और वह पानी से होने वाली बीमारियों से बचा भी रहे। यदि सम्भव हो तो वह सावधानियों से भी परिचित होना चाहता है।

उल्लेखनीय है कि आदमी की जीवनशैली पानी की खपत को प्रभावित करती है। मेहनत-मजदूरी करने वाले व्यक्ति की पानी की खपत एयरकंडीशन कमरे में बैठकर काम करने वाले की तुलना में अधिक होती है। उसे बोतलबन्द साफ पानी भी नसीब नहीं होता। उसके पास इलाज के लिये धन भी नहीं होता इसलिये जरूरी है कि पानी में मौजूद अशुद्धियों से निजात पाने के लिये मानकों के सत्य को सरल भाषा में समाज तक पहुँचाया जाए। जागरुकता बढ़ाई जाए। शुद्ध पानी की उपलब्धता बढ़ाई जाए और उस पर सबकी पहुँच सुनिश्चित हो।

Tags


Drinking Water Standard : problems in understanding in Hindi, Essay on Drinking Water Standard in Hindi, Paragraph on Drinking Water Standard in Hindi, Drinking Water Standard essay in Hindi, 1000 words on Drinking Water Standard. Payjala manak samandhi lekh in Hindi language.
Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading