पीने के पानी में फ्लोराइड की ज्यादा मात्रा से होता है हड्डियों का रोग

23 Nov 2017
0 mins read

जर्नल केमिकल कम्युनिकेशन में प्रकाशित नए शोध में एक सरल रंग बदलते परीक्षण का पता चला है, जो जल्दी और चुनिंदा रूप से फ्लोराइड की उच्च मात्रा का पता लगाता है। लुइस ने कहा- अधिकांश पानी की गुणवत्ता निगरानी प्रणालियों को प्रयोग करने के लिये एक प्रयोगशाला और बिजली आपूर्ति और एक प्रशिक्षित ऑपरेटर की आवश्यकता होती है। हमने जो विकसित किया है, वह एक अणु है, जो कुछ मिनटों में रंग बदलता है और जो आपको बता सकता है कि फ्लोराइड का स्तर बहुत अधिक है।

यूनिवर्सिटी ऑफ बैथ के साइमन लुइस के नेतृत्व में एक रिसर्च टीम ने कलर-चेंजिंग टेस्ट विकसित किए हैं, जो स्केलटल फ्लोरोसिस को रोकने में मदद कर सकते हैं और पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा का पता लगा सकते हैं। ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ बैथ के शोधकर्ताओं ने कहा- फ्लोराइड कि उच्च मात्रा हड्डियों को कमजोर कर सकता है, जबकि फ्लोराइड की मात्रा दाँतों के लिये फायदेमन्द होता है। यह रोग रीढ़ और जोड़ों को अपंग विकृति का कारण बनाता है। यह रोग, खासकर बढ़ती उम्र के बच्चों में होता है, जिनका कद अभी भी बढ़ रहा है।

उल्लेखनीय है कि जब पानी कुछ खनिज पदार्थों से गुजरता है, तो यह फ्लोराइड की मात्रा को भंग कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप भारत, चीन, पूर्वी अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्सों में पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा उच्च होती है। विकसित देशों में पीने के पानी में फ्लोराइड का स्तर नियमित रूप से निगरानी और नियंत्रण में रहता है। हालाँकि दुनिया के क्षेत्रों में जहाँ कोई पाइप वाटर सिस्टम नहीं होता है, वहीं लोग कुओं से अनुपचारित रूप से पानी खींचने में भरोसा करते हैं, जो अक्सर फ्लोराइड की अनुशंसित की गई स्तरों से कहीं अधिक दूषित हो सकते हैं। भूजल में फ्लोराइड की मात्रा मौसम की घटनाओं की वजह से भिन्न हो सकता है, साथ ही जब बहुत बारिश होती है, तब फ्लोराइड का स्तर बहुत अधिक हो जाता है।

जर्नल केमिकल कम्युनिकेशन में प्रकाशित नए शोध में एक सरल रंग बदलते परीक्षण का पता चला है, जो जल्दी और चुनिंदा रूप से फ्लोराइड की उच्च मात्रा का पता लगाता है। लुइस ने कहा- अधिकांश पानी की गुणवत्ता निगरानी प्रणालियों को प्रयोग करने के लिये एक प्रयोगशाला और बिजली आपूर्ति और एक प्रशिक्षित ऑपरेटर की आवश्यकता होती है। हमने जो विकसित किया है, वह एक अणु है, जो कुछ मिनटों में रंग बदलता है और जो आपको बता सकता है कि फ्लोराइड का स्तर बहुत अधिक है। यह तकनीक बहुत ही प्रारम्भिक अवस्थाओं में है, लेकिन हम इस तकनीक को लिटमस पेपर के समान टेस्ट स्ट्रीप में विकसित करना चाहते हैं, जो बिना किसी वैज्ञानिक मदद के और कम कीमत में लोगों को परीक्षण करने के लिये अनुमति देता है। साथ ही में उन्होंने कहा कि हम आशा करते हैं कि भविष्य में यह लोगों के जीवन में एक वास्तविक अन्तर पैदा कर सकता है।

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading