प्लास्टिक में पैक भोजन शरीर और पर्यावरण के लिए ज़हर

30 Sep 2019
0 mins read
प्लास्टिक में पैक भोजन शरीर और पर्यावरण के लिए ज़हर।
प्लास्टिक में पैक भोजन शरीर और पर्यावरण के लिए ज़हर।

विज्ञान ने इंसान के जीवन को काफी आसान बना दिया है। नई-नई तकनीकों के आविष्कार ने पहले की अपेक्षा हर कार्य में तेजी ला दी है, जिससे इंसान जटिल से जटिल कार्यों को आसानी से कर लेता है। ये कई मायनों में विकास की दृष्टि से काफी लाभदायक भी है, लेकिन विज्ञान और हर आविष्कार के दो पहलू होते हैं, लाभ और हानि। बेशक आविष्कारों ने इंसानों के लिए काफी चीज़ों को सरल कर दिया है और कई आविष्कार तो मानवजगत के लिए वरदान साबित हुए हैं, लेकिन इनमें से कई आविष्कारों के आवश्यकता से अधिक उपयोग ने मानव के जीवन और पृथ्वी पर नकारात्मक प्रभाव डाला है, जिससे पृथ्वी के साथ ही इंसान का अस्तित्व विनाश की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इसमें एक आविष्कार प्लास्टिक है। जिसका लाभ तो हर कोई लंबे समय से उठा रहा है, लेकिन किसी ने सोचा नहीं था कि ये अकल्पनीय आविष्कार एक दिन अभिशाप बना जाएगा और धरती, हवा, पानी और अंतरिक्ष तक में इंसानों के साथ ही जीव-जंतुओं की सांसों और भोजन में ज़हर घोलने का कार्य करेगा। ये विडंबना ही है कि प्लास्टिक के नुकसान के बारे में पता होने के बावजूद भी हमने इससे परहेज नहीं किया और भोजन रखने, पैक करने आदि में इसको उपयोग करने लगे। नतीजन, हानिकारक प्लास्टिक को हमारे शरीर के अंदर पहुंचने का एक और माध्यम मिल गया। जिसे फूड पैकेजिंग और ऑनलाइन फूड डिलीवरी ने और बढ़ा दिया है। इससे पर्यावरण को भारी क्षति पहुंच रही है।

कई कंपनियां माइक्रोवेव सेफ और बीपीए-फ्री प्लास्टिक प्रोडक्ट बनाती है, लेकिन ये भी सुरक्षित नहीं है और इनमे खाना खाने से बीमारी का खतरा बना रहता है, क्योंकि कंपनियों का ये केवल मार्केटिंग का एक तरीका है। कई शोध में तो एल्युनिनियम के नुकसान के बारे में भी चेताया गया है। दरअसल एल्युनिनियम के इस्तेमाल से इनटेक अल्जाइमर हो सकता है। रोजाना एल्युमिनियम का उपयोग करने से ब्रेन सेल्स की विकास दर घट जाती है।

विज्ञान और आविष्कार ने लोगों को इतना आलसी बना दिया कि अब हर प्रकार का पंसदीदा भोजन घर तक भेजा जाने लगा है। भोजन की ऑनलाइन डिलीवरी करने वाली कई ऑनलाइन कंपनियां खुल गई हैं, जो लोगों को आकर्षित करने के लिए समय-समय पर विशेष ऑफर तक देती हैं। हालाकि इसमे कोई समस्या नहीं है और सुविधा पाना तथा रोजगार करना सभी का अधिकार है, लेकिन समस्या तब खड़ी होती है, जब गरमागरम खाने को प्लास्टिक की थैलियों  और डिब्बों के पैक किया जाता है। तो वहीं रोटियों को एल्युमिनियम फाॅयल में पैक किया जाता है। इससे गरम चीज के संपर्क में आते ही प्लास्टिक के डिब्बे में लगा कैमिकल हमारे शरीर में घुल जाता है और धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाता है। उसी प्रकार एल्युमिनियम धीमे जहर का काम करता है। प्लास्टिक की थैलियों या प्लास्टिक के डिब्बे में खाना खाने से प्लास्टिक के साथ ही हमारे शरीर में कई हानिकारक कैमिकल पहुंच जाते  हैं, इसमें सबसे खतरनाक ‘‘एंडोक्रिन डिस्ट्रक्टिंग’’ केमिकल होता है,  जो कि एक प्रकार का जहर है, जो हार्मोंस को असंतुलित कर देता है। इससे हार्मोंस काम करने की क्षमता खो देते हैं। ये धीमे जहर की तरह ही काम करता है और लंबे समय तक प्लास्टिक के बर्तनो में खाना खाने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही अन्य बीमारियां होने की संभावना भी बनी रहती है, जिससे इंसान की मौत भी हो सकती है। वहीं माइक्रोवेव में भी प्लास्टिक के डिब्बे में खाना गर्म करने पर केमिकल खाने में मिल जाता है। कई रिसर्च में सामने आया है कि प्लास्टिक फूड कंटेनर्स के केमिकल्स से ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा रहता है।  इससे पुरुषों में स्पर्म काउंट घटने की संभावना बढ़ जाती है। गर्भवती महिलाओ और बच्चों के लिए भी यह नुकसानदायक है। प्लास्टिक बोतल में पानी जमाने या लंबे समय तक प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से भी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। एक ही प्लास्टिक बोतल का बार बार उपयोग करना भी कैंसर का कारण बन सकता है। 

कई कंपनियां माइक्रोवेव सेफ और बीपीए-फ्री प्लास्टिक प्रोडक्ट बनाती हैं, लेकिन ये भी सुरक्षित नहीं है और इनमे खाना खाने से बीमारी का खतरा बना रहता है, क्योंकि कंपनियों का ये केवल मार्केटिंग का एक तरीका है। आजकल एक नया ट्रेंड भी चला है जिसमें फलों, ड्राईफ्रूट आदि को प्लास्टिक में रैप किया जाता है। इसकी एक प्रक्रिया में सामान को पतली पन्नी में डाला जाता है और उसे हीट देकर फल आदि से चिपका दिया जाता है, इससे पैकिंग के अंदर गैस नहीं रहती है और सामान काफी दिनों तक चलता है, लेकिन इससे सेहतमंद इन फलों में कैमिकल के रूप में प्लास्टिक का जहर छूट जाता है। कई शोध में तो एल्युनिनियम के नुकसान के बारे में भी चेताया गया है। दरअसल एल्युनिनियम के इस्तेमाल से इनटेक अल्जाइमर हो सकता है। रोजाना एल्युमिनियम का उपयोग करने से ब्रेन सेल्स की विकास दर घट जाती है। लेकिन ऑनलाइन भोजन में सिंगल यूज प्लास्टिक की थैलियां और प्लास्टिक के डिब्बों का उपयोग किया जाता है। इस भोजन को खाने से हमारा पेट तो भरता है, लेकिन प्लास्टिक के संपर्क में आने के बाद खाने में मिला केमिकल हमें धीरे-धीरे बीमारी दे जाता है। वहीं इस सिंगल यूज प्लास्टिक को कूड़ेदान या खुले में फेंका जाता है। 

सिंगल यूज होने के कारण इसे रिसाइकिल भी नहीं किया जाता सकता। जिससे ये जहां तहां फैल रहा है। बरसात और हवा से नदियों और नालों में चले जाता है और वहां से समुद्र में। वैसे भी दुनिया भर का प्लास्टिक वेस्ट पहले ही समुद्र के एक बहुत बड़े हिस्से में फेंका जाता है, जिससे जलीय जीवन प्रभावित हो रहा है। प्लास्टिक की इस बढ़ती समस्या को देखते हुए दुनिया के सभी देशों ने अपने अपने स्तर पर प्लास्टिक के खिलाफ जंग छेड़ दी है। कई संगठन और लोग भी अपने-अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं। भारत भी सिंगल यूज़ प्लास्टिक के खिलाफ दो अस्क्टूबर को बड़ा निर्णय लेने जा रहा है और सिंगल यूज प्लास्टिक  पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा सकता है । जो कि काबिलेतारीफ है, लेकिन देखना ये होगा कि ये निर्णय धरातल पर कितना लागू किया जाता है। हालाकि प्लास्टिक पर रोक के लिए जनता को भी जागरुक होना होगा और प्लास्टिक का उपयोग अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए खुद ही बंद करना होगा, क्योंकि शरीर से बड़ी कोई संपत्ति नहीं। वहीं फूड कंपनियों को भी प्लास्टिक के बजाए मोटे कागज में खाने के सामान को पैक करने की पहल करनी चाहिए। 

 

TAGS

plastic pollution solutions, plastic pollution project pdf, plastic pollution essay in english, causes of plastic pollution in points, how does plastic harm the environment, how is plastic harmful to humans, harmful effects of plastic in points, plastic pollution in hindi, plastic waste free india, plastic waste management, plastic waste in india, plastic waste management rules 2016 pdf, plastic waste management rules 2018, plastic waste management rules 2016, plastic waste management rules, plastic waste is a valuable resource, plastic waste free india essay, plastic waste in hindi, plastic surgery, plastic surgeon in dehradun, plastic pollution, plastic waste management, diseases caused by plastic pollution, diseases caused by plastic bags, diseases caused by plastic in hindi, diseases caused by plastic in tamil, diseases caused by plastic, 10 diseases caused by plastic, micro plastic pvt ltd, micro plastic meaning, micro plastic company, micro plastic in drinking water, micro plastic surgery, micro plastic in water, micro plastic in fish, micro plastic rain, diseases caused by microplastics, plastic in sea animals, plastic in sea water, plastic in sea salt, plastic in sea life, plastic in sea facts, plastic in sea turtles, plastic in sea creatures, plastic in sea images, plastic ke nuksan kya hain, samudra mein plastic, micro plastic kya hota hai, plastic almirah, plastic chairs, plastic paint, plastic mukt bharat, how plastic damaging the earth and environment, how plastic damaging the earth and environment in hindi, what is sea pollution, what is sea pollution in hindi, plastic garbage in sea, what are the harmful affects of plastic, 10 points on harmful effects of plastic bags, harmful effects of plastic in points, how does plastic harm the environment, how is plastic harmful to humans, plastic pollution essay, plastic pollution project pdf, plastic pollution solutions, plastic pollution essay in english, plastic pollution essay in hindi, plastic garbage in ocean, short essay on plastic pollution, micro plastic meaning, micro plastic private limited, micro plastic company, micro plastic in fish, micro plastic rain, micro plastic injection molding machine, micro plastic surgery, microplastics in sea salt, microplastics in sea water, microplastics in sea ice, microplastics in sea animals, microplastics in sea, microplastics in sea turtles, microplastics in sea life, icroplastics in sea cucumber, microplastics in mediterranean sea, why plastic should be banned, reason of plastic bann, plastic ban in india.

 

Posted by
Attachment
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading