प्राकृतिक संसाधन पर सामुदायिक मलकियत का उत्तराखण्ड सम्मेलन

7 Apr 2016
0 mins read


तिथि: 15-16 अप्रैल, 2016
स्थान: अनासक्ति आश्रम, कौसानी (उत्तराखण्ड)
आयोजक: आजादी बचाओ आन्दोलन


हालांकि यह सच है कि शासन, प्रशासन और भामाशाह वर्ग ही अपने दायित्व से नहीं गिरे, बल्कि समुदाय भी अपने दायित्व निर्वाह में लापरवाह हुआ है। इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं, किन्तु धीरे-धीरे यह धारणा पुख्ता होती जा रही है कि जब तक स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों के मालिकाना, समुदाय के हाथों में नहीं सौंप दिया जाता, न तो इनकी व्यावसायिक लूट को रोकना सम्भव होगा और न ही इनके प्रति समुदाय को जवाबदेह बनाना सम्भव होगा।

नवगठित राज्य झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखण्ड में राज्य बनने के बाद प्राकृतिक संसाधनों की लूट की जो तेजी सामने आई है, इसने जहाँ एक ओर राज्यों को छोटा कर बेहतर विकास के दावे को समग्र विकास के आइने में खारिज किया है, वहीं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में समाज का स्वावलम्बन देखने वालों को मजबूर किया है कि अब वे स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों पर सामुदायिक मालिकाना सुनिश्चित करने के लिये रास्ता खोजें।

आजादी बचाओ आन्दोलन ने सभवतः इसी दृष्टि से दो दिवसीय उत्तराखण्ड सम्मेलन आयोजित करना तय किया है। आजादी बचाओ आन्दोलन, मूलरूप से विदेशी उत्पादों के भारतीय बाजार में प्रवेश के खिलाफ आन्दोलन करने वाला संगठन रहा है। सम्भवतः उसने भारतीय प्राकृतिक संसाधनों पर विदेशी बाजार की लगी गिद्ध दृष्टि को पहचान कर ऐसा करना तय किया है।

प्राप्त आमंत्रण में भवदीय के रूप में चार नाम है: उत्तराखण्ड लोक वाहिनी के अध्यक्ष डाॅ. शमशेर सिंह बिष्ट के अलावा आजादी बचाओ आन्दोलन की राष्ट्रीय संयोजन समिति के तीन सदस्य क्रमशः डाॅ, मनोज त्यागी, श्री राजीव लोचन साह और डाॅ. स्वप्निल श्रीवास्तव के नाम हैं।

अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क :

ईमेल : azadi.bachao.andolan@gmail.com
 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading