प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का काला कारनामा

यह कहना अनुचित न होगा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और इस विभाग के मंत्री और उनका मंत्रालय निश्चित ही इस अवैध और अवांक्षित कार्य के लिए पूर्ण रूप से उत्तरदायी है और दंडनीय भी। संक्रामक बीमारियों को जन्म देता संस्थान के स्वामी व प्रबंध द्वारा अपशिष्ट निस्तारण के नाम पर किया जा रहा धनार्जन मानव जीवन से खिलवाड़ है।

विश्व भर में प्रदूषण सर्वाधिक चिंता का विषय है। पीने के पानी से लेकर नदियों के प्रदूषण, वायु-प्रदूषण की रोकथाम के लिए विभिन्न उपाय अमल में लाए जा रहे हैं। अनेक स्वयंसेवी संस्थाएं प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर कमा-खा रही हैं, लेकिन प्रदूषण है कि बढ़ता ही जा रहा है। दरअसल, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ही मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए प्रदूषण फैलाने वालों को संरक्षण दे रहा है। फैजाबाद रायबरेली मार्ग पर मऊशिवाला बाजार में एक कार्यशाला में विगत 5-6 वर्ष पहले रुई-पट्टी बनाने का कार्य होता था। कार्यशाला के स्वामी ने इस भवन को बेच दिया। इस भवन में एक अन्य कार्य के लिए सरकारी अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरू हुई। मैसर्स सोनो मेडिकल सिस्टम (इंडिया) प्रा. लि., एफ-23, भीमताल इंडस्ट्रियल इस्टेट, भीमताल (उत्तरांचल) नामक फर्म द्वारा उक्त मऊशिवाला स्थित कार्यशाला में बायो मेडिकल वेस्ट के ट्रीटमेंट हैंडलिंग डिस्पोजल प्रोजेक्ट के लिए आवेदन किया। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रमाणपत्र मांगा गया।

इस संबंध में क्षेत्रीय कार्यालय फैजाबाद द्वारा भेजा गया पत्र सं. 406/जी.चि.अ./06-07 दिनांक 17-10-06 राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 13-11-06 को प्राप्त हुआ। जवाब में कहा गया कि प्रस्तावित स्थल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से उचित प्रतीत नहीं होता है, अत: आवेदन अस्वीकृत किया जाता है। एस.एस. मेडिकल सिस्टम संस्था द्वारा जिस कार्य के लिए प्रमाणपत्र की याचना की गई थी वह पर्यावरणीय मानकों के अनुसार प्रस्तावित स्थल पर वर्जित है। पास ही कई हजार की घनत्व वाली आबादी है। संस्था द्वारा यहां तमाम सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों के तमाम कचरे, जिसमें अस्थि, मज्जा युक्त कचरा भी शामिल है, तकनीकी उपकरणों की मदद से नष्ट करने वाला सिस्टम लगाने के लिए प्रमाणपत्र मांगा गया था। यहां घनी आबादी के बीच में कचरा सड़ाने, गलाने, जलाने का कार्य किया जाता है। संस्था को मऊशिवाला के निकट कचरे के विनष्टीकरण का अधिकारपत्र दे दिया गया।

क्षेत्रीय प्रदूषण बोर्ड अधिकारी फैजाबाद से लेकर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तक के लोग ही नहीं, बल्कि संबंधित मंत्रालय के तत्कालीन मंत्री भी इस अनापत्तिपत्र जारी करने के कृत्य में शामिल थे। मेडिकल सिस्टम (इंडिया) प्रा.लि. मऊशिवाला फैजाबाद को संबोधित व प्रेषित किया गया, जिसमें नियमों का उल्लेख किया गया है। इसमें लिखा है कि मैसर्स एस.एस. मेडिकल सिस्टम (इंडिया) प्रा.लि. इज हीयर ग्रांटेड एन आथराइजेशन टू आपरेट ए फैसिलिटी फॉर कलेक्शन, रिसेप्शन, स्टोरेज, ट्रांसपोर्ट एंड डिस्पोजल ऑफ बायो केमिकल्स वेस्ट इन द प्रिमिसेज सिचुएटेड एट मऊशिवाला फैजाबाद यह अधिकार पत्र दो वर्ष के लिए प्रभावी करार दिया गया है। कचरे के विनष्टीकरण के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्गत अधिकार पत्र के साथ ही मैसर्स एस.एस. मेडिकल सिस्टम संस्था द्वारा पूर्व निर्धारित कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया।

इस संस्था में जिन-जिन जनपदों के चिकित्सालयों के कचरे के आने की व्यवस्था है, इनमें फैजाबाद, गोरखपुर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती, सुलतानपुर, बाराबंकी सहित अंबेडकरनगर, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच व श्रावस्ती शामिल हैं। क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड फैजाबाद द्वारा बताया गया है कि मैसर्स एस.एस. मेडिकल सिस्टम (इंडिया) प्रा.लि. रायबरेली रोड, मऊशिवाला फैजाबाद जिसके स्वामी संचालक मुनीश भंडारी निवासी लखनऊ हैं और यह संस्था यूपी, एचएसडीपी द्वारा वित्तपोषित है जिसके संचालन का वर्ष जनवरी 2008 है। यहां विभिन्न अस्पतालों का लगभग 1600 कि.ग्रा. कचरा प्रतिदिन आता है। विषाक्त मानव अंगों सहित अस्पतालों के कचरे को यहां लाकर नष्ट करने के कारण निकलती भयंकर दुर्गंध से संपूर्ण वातावरण दूषित हो जाता है जो कई तरह की बीमारियों को जन्म दे रहा है। इस कार्यशाला को यहां से हटाए जाने के संबंध में स्थानीय निवासियों ने विरोधस्वरूप ज्ञापन, प्रार्थनापत्र, धरना प्रदर्शन आदि सबकुछ किया, लेकिन क्षेत्रवासियों की उपेक्षा के अलावा आज तक हुआ कुछ नहीं।

उक्त संस्था के प्रतिनिधि रंजीत सिंह द्वारा क्षेत्र के प्रमुख विरोधी कार्यकर्ताओं जिनमें जंगजीत बहादुर सिंह, शिवराम सिंह, गयाबख्श सिंह, रवींद्र बहादुर सिंह, मनोज कुमार मालवीय, अशोक कुमार मिश्र, अर्जुन सिंह, जयनाथ सिंह, राम किशोर सिंह आदि के बीच द्विपक्षीय वार्ता के दौरान एक लिखित समझौता भी किया गया था। समझौते में कहा गया कि अब यहां कोई कचरा नहीं लाया जाता। स्थानीय लोगों ने भी इसकी पुष्टि की है। जनपद फैजाबाद के एस.एस. मेडिकल सिस्टम (इंडिया) प्रा.लि. के इंसीनेटर में लखनऊ, गोरखपुर, देवीपाटन मंडलों के आठ जिलों के सैकड़ों (निजी-सरकारी) अस्पतालों के कचरे सहित शहर फैजाबाद के भी अस्पतालों का कचरा यहां आ रहा है। जनपद में इस समय 50 नर्सिंग होम व अस्पताल पंजीकृत हैं। बायो मेडिकल वेस्ट को इंसीनेटर में जलाकर नष्ट किया जाता है म्यूनिसिपल वेस्ट को मिट्टी के गड्‌ढों में पाट दिया जाता है सिरिंज, ग्लूकोज की बोतलों आदि को माइक्रो वेयर में उच्चताप पर उबालकर थ्रेडर में गलाया जाता है।

एक अनुमान के मुताबिक यहां आने वाले कुल कचरे में 45 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक म्यूनिसिपल वेस्ट होता है। कंपनी के पास कचरे को जलाने हेतु इंसीनेटर प्लांट तो हैं, लेकिन इसका आंतरिक तापमान मानक से कम है जो कि 800 से 1000 सेंटीग्रेट तक होना चाहिए। संस्थान में एपीटी (शुद्धिकृत संयंत्र प्लांट) भी नहीं लगा है। पर्यावरण मंत्री के निर्देश पर उक्त संस्थान में हुई जांच के बाद जांच कमेटी ने पाया कि संस्थान का उत्प्रवाह शुद्धिकरण यंत्र सही नहीं है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइड लाइन के अनुसार पीसीएल सिस्टम ऑटोमेटिक फीडिंग सिस्टम प्रभारी तथा सेकेंड्री चेंबर हेतु लोमीटर तथा कूलिंग प्रेशर निगेटिव प्रेशर के मापन एवं रिकार्डिंग की मशीन नहीं लगी मिली। संस्थान के प्रतिनिधि के अनुसार कचरा लेकर प्रतिदिन शाम को गाड़ियां संस्थान पर आती हैं। ये गाड़ियों की कहां धुलाई की जाती है, इसका कोई अता-पता नहीं है। लखनऊ से फैजाबाद के बीच की 130 किमी. की दूरी तय करके कौन-सी बंद एसी गाड़ी कचरे को लाती है, यह भी अंधेरे में है। समाचार पत्रों में क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड फैजाबाद द्वारा कहा गया है कि अस्पताल शैक्षिक संस्थानों न्यायालयों आदि के 100 मीटर की परिधि का क्षेत्र साइलेंट जोन माना गया है।

यह भी कहा गया कि आवासीय क्षेत्र में औद्योगिक व्यवसायिक गतिविधियां मान्य नहीं हैं। एस.एस. मेडिकल्स के एक ठेकेदार मनोज कुमार मिश्र से भी उत्तेजित ग्रामीणों के मध्य स्थानीय पुलिस प्रशासन की उपस्थिति में जो समझौता हुआ था वह भी हवा-हवाई ही है। स्थानीय लोगों में जंगजीत बहादुर सिंह, पत्रकार अनंत राम पांडेय, गया बख्श सिंह, जयनाथ सिंह, राज कुमार यादव, शिवराम सिंह, रंजीत सिंह, रमेश प्रताप, उमेश प्रताप, अरविंद कुमार, मंशाराम, अंकित यादव, विशाल यादव, मंगरू आदि अभी भी इस प्लांट को यहां से अन्यत्र स्थानांतरित कराने को प्रयासरत हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। संस्थान को पहले अनुपयुक्त पाकर फिर किन दशाओं में अनापत्ति प्रमाण पत्र देकर संस्था को कार्य निष्पादन हेतु अधिकार पत्र निर्गत कर दिया। यह गंभीर रूप से जांच का विषय है। यह कहना अनुचित न होगा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और इस विभाग के मंत्री और उनका मंत्रालय निश्चित ही इस अवैध और अवांक्षित कार्य के लिए पूर्ण रूप से उत्तरदायी है और दंडनीय भी। संक्रामक बीमारियों को जन्म देता संस्थान के स्वामी व प्रबंध द्वारा अपशिष्ट निस्तारण के नाम पर किया जा रहा धनार्जन मानव जीवन से खिलवाड़ है। मैसर्स एस.एस. मेडिकल सिस्टम (इंडिया) प्रा.लि. मऊ यदुवंशपुर फैजाबाद कार्यालय का नवीनीकरण तो तत्काल ही रोक दिया जाना जनहित में होगा।
 

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