प्रदूषण नियंत्रण हेतु इलेक्ट्रिक कार की सम्भावनाएँ

3 Nov 2017
0 mins read

हम एक ऐसी कार की कल्पना कर रहे हैं जिसमें साइलेंसर न हो, बिजली से चल पड़े, पेट्रोल पम्प की जगह बैटरी चार्ज करने के स्टेशन बन जाएँ जिस तरह हम अपने मोबाइल को चार्ज करते हैं। कितना आनन्द आएगा जब ये गाड़ियाँ सड़कों पर सरपट दौड़ने लगेंगी, धुआँ भी नहीं उठेगा और प्रदूषण की चर्चा भी नहीं होगी। इसी सपने को साकार करने के लिये कई कार कम्पनियाँ प्रयास में जुटी हुई हैं। अगर हम सड़कों पर चलने वाले वाहनों में से आधे वाहनों को भी बिजली से चलाने लगे तो सड़कों पर न तो ध्वनि प्रदूषण होगा और न ही वायु प्रदूषण। इस प्रयास से बड़े महानगरों की तो कायापलट ही हो जाएगी।

पिछले कई दशकों से देश के बड़े महानगरों में वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिसके परिणामस्वरूप इन शहरों के लोग प्रदूषण की चपेट में आकर अनेक भयावह रोगों की चपेट में आ रहे हैं। साथ-ही-साथ डीजल व पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से आम आदमी परेशान हो रहा है तथा विदेशी मुद्रा का अत्यधिक मात्रा में क्षरण हो रहा है।

इन समस्याओं से निपटने के लिये वैज्ञानिकों की चिन्ता हमेशा बढ़ी रहती है। इसके निवारण हेतु हम एक ऐसी कार की कल्पना कर रहे हैं जिसमें साइलेंसर न हो, बिजली से चल पड़े, पेट्रोल पम्प की जगह बैटरी चार्ज करने के स्टेशन बन जाएँ जिस तरह हम अपने मोबाइल को चार्ज करते हैं। कितना आनन्द आएगा जब ये गाड़ियाँ सड़कों पर सरपट दौड़ने लगेंगी, धुआँ भी नहीं उठेगा और प्रदूषण की चर्चा भी नहीं होगी। इसी सपने को साकार करने के लिये कई कार कम्पनियाँ प्रयास में जुटी हुई हैं। अगर हम सड़कों पर चलने वाले वाहनों में से आधे वाहनों को भी बिजली से चलाने लगे तो सड़कों पर न तो ध्वनि प्रदूषण होगा और न ही वायु प्रदूषण। इस प्रयास से बड़े महानगरों की तो कायापलट ही हो जाएगी।

इलेक्ट्रिक कार की खोज वर्ष 1830 में हुई थी, लेकिन सिद्ध तब तक नहीं हुआ जब तक कि वर्ष 1859 में रिचार्जेबल बैटरी नहीं बनी। वर्ष 1912 तक करीब 50 कम्पनियाँ 34,000 इलेक्ट्रिक कारें बना रही थीं। जैसे ही इलेक्ट्रिक से चालू होने वाली मोटर की शुरुआत हुई वैसे ही ईंधन की कीमत कम हो गई और इलेक्ट्रिक कार उद्योग पर भी संकट आ गया था। 1970 के दशक में तेल संकट ने एक बार फिर से कार कम्पनियों को इलेक्ट्रिक कार की तरफ झुकने को मजबूर कर दिया लेकिन इसकी उच्च कीमत एक बड़ी बाधा बन गई। इस कार की बड़ी लागत ने निर्माताओं को बाजार में मुनाफे के साथ बेचना लगभग असम्भव कर दिया था।

1980 के दशक में तेल व ईंधन की कीमतें कुछ नीचे गिरीं तथा प्रदूषण दूर करने वाली मशीनें भी आईं, जिससे इलेक्ट्रिक कारों में प्रगति नहीं हो पाई। इसके साथ यह भी देखा गया है कि ईंधन से चलने वाली कारें बहुत ज्यादा वातावरण को प्रदूषित कर रही थीं जो कि सरकार व कार निर्माताओं के लिये चिन्ता का विषय था। 1990 के दशक में बड़े बदलाव आये। जब नई बैटरी बाजार में आईं, जिनसे इलेक्ट्रिक कार की क्षमता में बढ़ोत्तरी हुई।

इलेक्ट्रिक कारों की तकनीक


इलेक्ट्रिक कारें बहुत ही साधारण तकनीक पर आधारित होती हैं। जिस तरह हम अपने मोबाइल व लैपटॉप की बैटरी रिचार्ज करते हैं उसी तरह इलेक्ट्रिक कार की बैटरी को भी रिचार्ज किया जाता है। BEV यानि बैटरी इलेक्ट्रिक वेहिकल में बिजली के सहयोग से बैटरी में एनर्जी स्टोर की जाती है। इस बैटरी की एनर्जी से इसकी मोटर को चलाया जाता है जो इस वाहन के पहिए को घुमाती है। जब इस बैटरी की एनर्जी कम हो जाये या क्षीण हो जाये तो इसे फिर से रिचार्ज करना पड़ता है।

इलेक्ट्रिक कार

समस्याएँ


इलेक्ट्रिक कार आमतौर पर पेट्रोल चालित कारों की तुलना में अधिक महंगी होती हैं। इसका प्रमुख कारण बैटरियों का अधिक मूल्य होता है। अमेरिकी और ब्रिटिश कार खरीददार इलेक्ट्रिक कार का अधिक मूल्य देने को तैयार नहीं होते हैं। इस कारण से बड़े पैमाने पर पेट्रोल चालित कारों से इलेक्ट्रिक कारों की ओर परिवर्तन नहीं हो पाता है। दूसरी बड़ी समस्या है इसकी बैटरी। किसी बैटरी वाहन के परिचालन खर्च का अधिकांश हिस्सा बैटरी पैक के रख-रखाव एवं बदलने में आता है। इलेक्ट्रिक कारों में बैटरियाँ महंगी होती हैं और एक समय के पश्चात उन्हें बदलना पड़ता है। एक बार बैटरी चार्ज होने पर ये सीमित दूरी ही तय कर सकती हैं, फिर इसे लम्बे समय के लिये रिचार्ज करने की जरूरत पड़ती है।

शोध और विकास


इस कार्य के लिये जर्मन कम्पनियों ने रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) पर रिकॉर्ड पैसा खर्च किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल जर्मन कम्पनियों ने रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर 62.4 अरब यूरो खर्च किये। नई तकनीक और कार्यक्षमता को बेहतर करने के लिये रिसर्च में सबसे ज्यादा पैसा कार उद्योग लगाया। मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू एवं फोक्सवैगन ने 21.7 अरब यूरो शोध और विकास पर खर्च किये। स्टिफटरब्रांड के गेरो स्टेंक कहते हैं आपको यह ध्यान में रखना होगा कि ऑटोमोटिव उद्योग का सामना बहुत ही बड़ी चुनौती से हुआ है।

इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और खुद चलने वाली कारें, नई बातें नहीं हैं, लेकिन इन्हें लेकर अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा छिड़ चुकी है और कार उद्योग पर दबाव है कि वह प्रतिस्पर्धा में टिका रहे। दावा किया जा रहा है कि इलेक्ट्रिक और ऑटोमोटिक कारें अनुमान से भी जल्द दुनिया का चेहरा बदल देंगी। इलेक्ट्रिक और ऑटोमेटिक कारों में अमेरिकी कम्पनी टेस्ला, एप्पल और गूगल ने भारी निवेश किया है।

मर्सिडीज ने दावा किया है कि वह मैबेक 6 नाम की कई कार लांच करेगा जो 500 किलोमीटर तक चल सकती है। टेस्ला की तर्ज पर देश की दूसरी सबसे बड़ी पैसेंजर कार निर्माता कम्पनी हुंडई भी अब इलेक्ट्रिक कार बाजार में जारी करने के लिये प्रतिबद्ध है। उनका दावा है कि ये सिंगल चार्ज में 500 किलोमीटर तक चलेगी। कार निर्माता कम्पनी निसान ने घोषणा की है कि वह भी जल्द ही अपनी इलेक्ट्रिक कार लीफ को पेश करेगी। इसे कम्पनी ई-पेडल के साथ लांच करेगी। ई-पेडल एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिससे कि ड्राइवरों को पेडल के सहारे स्पीड मिलती है।

भारत में बिजली से चलने वाले वाहनों के विकास कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने की राह अब और सुगम हो गई है। पिछले महीने देश की तीन शीर्ष कार और एसयूवी निर्माता कम्पनियों ने बिजली से चलने वाली और हाइब्रिड कारों के कलपुर्जे बनाने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। पूर्ण रूप से बिजली से चलने वाली कारें या हाइब्रिड कारें मौजूदा समय को देखते हुए व्यावहारिक और सस्ती दोनों हैं, लेकिन इनका विकास थोड़ा खर्चीला है। इलेक्ट्रिक कार पर आने वाली कुल लागत में बैटरी पर ही आधा खर्च आता है।

भारत की सबसे सस्ती एसयूवी बनाने वाली कम्पनी महिन्द्रा ने अपनी बिजली से चलने वाली कार रेवा ई2 ओ पेश की है। माना जा रहा है कि यह दुनिया की सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक कार है। महिन्द्रा रेवा ई2ओ की स्पीड 80 किलोमीटर प्रति घंटा है। और एक चार्ज में यह कार 100 किलोमीटर चल सकती है। इस कार को आम बिजली के कनेक्शन से पाँच घंटे में चार्ज किया जा सकता है।

भारत सरकार की योजना है कि वर्ष 2030 तक देश को 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन वाला राष्ट्र बनाया जा सके। प्रस्तावित योजना के तहत लोगों को महंगे पेट्रोल व डीजल जैसे ईंधन के उपयोग से जो बचत होगी, उससे वाहन खरीद सकेंगे। सरकार शून्य डाउन पेमेंट पर इलेक्ट्रिक कार उपलब्ध कराने की योजना पर भी काम कर रही है।

इलेक्ट्रिक कार गैसोलीन के मुकाबले में करीब 80 प्रतिशत ज्यादा कार्यकुशल है। इलेक्ट्रिक कार पूरी तरह से ग्रीन कार है, कई बार तो इसे ZEVs (Zero Emmission Vehicle) भी कहा जाता है। ये कार्बन डाइऑक्साइड भी करीब-करीब नहीं के बराबर छोड़ती हैं। यदि भारत में इलेक्ट्रिक कारों की योजना सफल हो गई तो इससे वायु प्रदूषण में अप्रत्याशित गिरावट तो आएगी ही साथ ही हमारी डीजल व पेट्रोल की खपत भी कम हो जाएगी। इससे हमारे देश के विदेशी मुद्रा भण्डार में वृद्धि होगी।

लेखक परिचय


श्रीमती आशा सिन्हा
सी-51, सेक्टर-36
ग्रेटर नोएडा 201 308


TAGS

electric car in india, electric cars information in hindi, electric cars pros and cons in hindi, electric cars tesla in hindi, electric car price in hindi, What is a eco friendly car?, What it means to be eco friendly?, Why it's important to be environmentally friendly?, Which car is the best for the environment?, How does an eco car work?, What is an eco fuel?, What is the meaning of eco friendly products?, What is an eco friendly car?, How does a hybrid car work?, What is the ECO button for on an equinox?, What is Eco mode on a Toyota?, Which fuel is environmentally friendly?, How can you make a car more environmentally friendly?, electric car for sale in hindi, electric cars bmw in hindi, 2017 ford focus electric in hindi, electric car price in india 2017, electric cars in india price list in hindi, low cost electric car in india, upcoming electric cars in india 2016, upcoming electric cars in india 2017, electric car in india 2017, toyota electric car in india, electric cars in india 2017 price list, eco friendly vehicles in india, eco friendly cars benefits in hindi, eco friendly vehicles ppt in hindi, eco friendly transport in hindi, importance of eco friendly fuels in hindi, most environmentally friendly cars 2016 in hindi, eco friendly fuels wikipedia in hindi, green vehicle in hindi, Electric, Hybrid, Fuel Efficient, Eco Friendly Cars in hindi, Top 5 Eco-friendly cars in India, Top 5 Hybrid/Electric Cars in India, The Most Environmentally Fuel Efficient New Cars in hindi, Benefits of Green Eco-Friendly Cars, benefits of eco friendly cars in hindi, importance of eco friendly vehicles in hindi, importance of eco friendly fuels in hindi, disadvantages of eco friendly cars in hindi, what is eco friendly vehicles in hindi, eco friendly vehicles in india, eco friendly vehicle cycle in hindi, eco friendly vehicles essay in hindi, eco friendly vehicles images in hindi, Benefits of Driving Green ECO Cars in hindi, electric cars in india price in hindi, hybrid cars in india price in hindi, electric cars in india price list in hindi, upcoming electric cars in india 2017, low cost electric car in india, tata electric car in india, hybrid cars in india 2017, cheap hybrid cars in india.


Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading