प्रकृति से छेड़छाड़ न करें

7 Jun 2014
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प्रकृति ने हमें कितना कुछ दिया है। उपजाऊ जमीन जो हमारे भोजन और आवास का आधार बनी पानी- जिसके बिना जीवन की कल्पना असंभव लगती है, सांस लेने के लिए शुद्ध हवा और जीवन को सरल सुगम बनाने के अनगिनत साधन। ...लेकिन इस नेमत के बदले हमने क्या लौटाया... दिन-ब-दिन बढ़ती तपन, असुरक्षित और प्रदूषित माहौल घटता भोजन व पानी कभी भी करवट लेने वाला मौसम। प्रकृति की बिगड़ती सेहत देखकर भी हमने अपनी आदतें नहीं बदलीं, तो इस एकमात्र जीवनदायिनी पृथ्वी में ही जिंदगी दूभर हो जाएगी।

ग्लोबल वार्मिंग

सुरक्षित हो आबोहवा


हम ट्यूबलाइट जलाते हैं, तो प्रकृति पर पड़ने वाला बोझ प्रत्यक्ष रूप से नजर नहीं आता, पर ट्यूबलाइड के कारण बिजली की खपत तो होती ही है और बिजली बनाने के लिए भारी मात्रा में भारी मात्रा में कोयला और पेट्रोलियम जलता है। यानी ऊर्जा के ये अनवीनीकृति स्रोत लगातार घट रहे हैं, साथ ही वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है। बिजली की खपत में कमी लाएंगे, तो प्रकृति को काफी फायदा मिलेगा।

1. गाड़ी की सर्विसिंग वक्त पर न कराकर आप गाड़ी के साथ-साथ पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे वाहनों से रोज लाखों टन जहरीली धुआं निकलता है।

2. दिनोंदिन बढ़ती गाड़ियां वायु प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा दे रही है। कम दूरी के लिए पैदल या साइकिल से जाएं। लंबी दूरी के लिए कार पूलिंग और सार्वजनिक यातायात के साधनों का प्रयोग मददगार होगा।
3. कम हवा हो, तो ईंधन ज्यादा खर्च होता है, इसलिए गाड़ी के टायरों में पर्याप्त हवा भरवाने का ख्याल रखें।
4. स्थानीय उत्पादकों से सब्जी, फल आदि खरीदें। किसानों और पर्यावरण को फायदा होगा ही, आपकों भी उच्च गुणवत्ता वाली चीजें मिलेंगी।
5. कचरा न जलाएं। इससे असीमित मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित होती हैं।
6. हवाई यात्रा के बजाए रेल यात्रा को प्रथामिकता दें इससे वायु प्रदूषण कम करने में बहुत मदद मिलेगी।
7. ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं। घर के आसपास उपलब्ध खाली स्थान पर नीम, आम जैसे स्थानीय वृक्ष लगाएं। वायु प्रदूषण रोकने और तापमान कम करने में इनकी भूमिका छोटे पौधों के मुकाबले कई गुना ज्यादा होती है।
8. पेपर नैपकिन और कागज का बेजा इस्तेमाल रोक कर आप लाखों पेड़ों को कटने से बचा सकते हैं। ऑफिस में कागज को दोनों ओर से उपयोग करें। पेपर बिल के बजाए ई-बिल सुविधा को प्राथमिकता दें। जरूरी न हो, तो एटीएम मशीन से रसीद और बैंक से पेपर स्टेटमेंट न निकालें सफर करते समय टिकट के डिजीटल रूप से ही काम चलाएं।

जल से ही तो जीवन है...


पिछले सौ सालों में जितनी तेजी से आबादी बढ़ी है, उससे दोगुनी से ज्यादा दर से पानी का खर्च बढ़ा है। एक अनुमान के मुताबिक 2025 तक दुनियाभर की दो-तिहाई आबादी जलसंकट से जूझ रही होगी।

1. घर की साफ-सफाई के लिए आप जिन रासायनिक द्रव्यों का इस्तेमाल करते हैं, अंततः वे जल स्रोतों या भूमि में मिलकर उन्हें दूषित करते हैं। जहां तक संभव हो सफाई के लिए सिरका, नींबू और खाने का सोडा जैसी प्राकृतिक चीजें उपयोग करें।
2. पूजन सामग्री को पॉलीथिन समेत जलाशयों में न बहाएं। पूजा के फूल और राख बगीचे में डालें। इसके अलावा मूर्ति विसर्जन केवल प्रशासन द्वारा निर्धारित स्थानों पर ही करें।
3. घर के लीक हो रहे नल ठीक कराकर 10 गैलन तक पानी बचा सकते हैं।
4. नहाते समय बाल्टी का इस्तेमाल करें। ब्रश, बर्तन धोने जैसी दैनिक क्रियाओं के दौरान नल खुला न छोड़े।
5. कोई फ़ैक्टरी या कारखाना अपने अपशिष्ट रसायनों को जल स्रोतों में बहा रहा है, तो उसके खिलाफ नजदीकी थाने या पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण मंडल में शिकायत करें या सीधे अदालत में जनहित याचिका भी दायर कर सकते हैं आप।
6. अपने शहर के पर्यावरण समूह से मिलकर आसपास के जल स्रोतों को साफ करने और अन्य लोगों को जागरूक बनाने का प्रयास करें।7. खाने की चीजें उगाने के लिए पानी चाहिए। मसलन, एक सेब का वाटर फुटप्रिंट 125 लीटर होता है। ऐसे ही रोजमर्रा की उपयोगी चीजों, कपड़े, साजो-समान आदि के निर्माण के लिए भी उद्योगों में जल की भारी मात्रा में खर्च होती है। हमें इस्तेमाल के समय इस पानी के बारे में गुमान भी नहीं रहता। इसलिए चीजों का सीमित उपयोग जल संरक्षण में अहम भूमि निभाएगा।
8. एक अरब से ज्यादा लोग प्रदूषित जल पीने के लिए मजबूर हैं।
9. दुनिया में पानी से जुड़ी बीमारियों के कारण हर 21 सेकेंड में एक बच्चे की मौत हो जाती है।
10. 20 करोड़ मानव घंटे लगते हैं दुनियाभर में महिलाओं को हर दिन पानी की व्यवस्था करने में कुल मिलाकर।

बचेगी ऊर्जा तो घटेगा बिल


दुनियाभर की 16 फिसदी आबादी भारत में बसती है, जबकि यहां दुनिया के ऊर्जा संसाधनों का लगभग 1 प्रतिशत ही उपलब्ध है। कोयला, तेल और प्राकृतिक गैसे जैसे अनवीनीकृत ऊर्जा संसाधनों का इस्तेमाल भारी मात्रा में हो रहा है, जबकि आगामी 40 सालों में इन अनवीनीकृत स्रोतों के भंडार खत्म होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। इसलिए ऊर्जा की बचत की आदत आज नहीं डाली, तो कल उपयोग करने के लिए वह उपलब्ध भी नहीं रहेगी।

1. दिन के वक्त लाइट जलाने से पहले सोचें, क्या खिड़की खोलकर आवश्यक रोशनी की पूर्ति की जा सकती है।
2. जरूरत न होने पर कंप्यूटर, पंखा आदि बंद रखें।
3. गैजेट्स हमेशा पावर सेविंग मोड पर रखें।
4. रोज आधे घंटे के लिए फ्रिज बंद करें। फ्रिज में गर्म चीजें न रखें। इन्हें ठंडा करने में अधिक ऊर्जा लगेगी। फ्रिज के बजाए मटके का पानी पीने की आदत डालें, आपको सेहत का लाभ मिलेगा और पानी ठंडा करने में व्यर्थ ही ऊर्जा जाया नहीं होगी।
5. ऐसी के बजाए छोटे कूलर को तवज्जों दें और अगर एसी इस्तेमाल कर ही रहे है तो उसके चालू होने पर कमरे के सभी खिड़की दरवाजें याद से बंद रखें। इससे ठंडक देने के लिए उसकी दोगुनी ऊर्जा खर्च नहीं होगी।
6. बार-बार खाना गर्म न करें और कम मात्रा की चीजों को गर्म करने के लिए बड़े बर्तनों का इस्तेमाल न करें।
7. गाड़ी हमेशा ईकोनॉमी स्पीड पर चलाएं। इससे पेट्रोल की काफी बचत होगी। ऐसे ही ज्यादा भीड़भाड़ वाली सड़कों पर ड्राइव करने से बचें और हां, कार में अनावश्यक चीजों का बोझ न बढ़ाएं। इन्हें ढोने में भी ज्यादा ईंधन खर्च होता है।
8. ट्रैफिक सिग्नल पर रुकने पर गाड़ी बंद कर दें।
9. खाना रखने के बाद ही अवन चालू करें। उसे पहले से गर्म करने से बचें।
10. संभव हो तो रोज के कपड़े हाथ से धो लें। वॉशिंग मशीन इस्तेमाल भी करें, तो ड्रायर का उपयोग बहुत आवश्यक होने पर ही करें।
11. 12 फीसदी बिजली की खपत वार्षिक तौर पर कम की जा सकती है सफेद रंग में घर की दीवारों को रंगकर।
12. 28 में से केवल 9 राज्यों (आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, गोवा, दिल्ली, हरियाणा, केरल, पंजाब और तमिलनाडु के रहवासियों को पर्याप्त बिजली उपलब्ध है हमारे देश में
13. 5वें पायदान पर आता है भारत बिजली की खपत करने वाले देशों में, पहले चार क्रमशः अमेरिका, चीन, जापान और रूस हैं।

जमीन में हमारी भी जड़े बसती हैं!


यूनाइडेट स्टेट एन्वायरमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी के मुताबिक उनका केवल 25 फीसदी ई-वेस्ट (इलेक्ट्रानिक कचरा) री-साइकिल किया जाता है, शेष 75 फीसदी एशिया और अफ्रिका के अविकसित और विकासशील देशों में भेजा जा रहा है। इस ईवेस्ट से निकले अनेक हानिकारक तत्व (लेड, कैडमियम, मर्करी, आर्सेनिक आदि) भूमि को विषैला बनाने और उसकी उर्वरता घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। लाखों साल जमीन के अंदर रहने पर भी इस ई-कचरे का कुछ नहीं बिगड़ता। इसके अलावा कागज, प्लास्टिक, पॉलीथिन आदि चीजें जो हम यूं ही फेंक देंते हैं, वे भी भूमि की उर्वरता कम कर रही हैं।

खेती के लिए उपलब्ध जमीन भी तेजी से कांक्रीट के जंगलोंं में तब्दील हो रही है। खुद ही सोचें, क्या इन परिस्थितियों के चलते निकट भविष्य में हम इसी भूमि से उच्च गुणवत्ता की फसल और अनाज प्राप्त करने की उम्मीद लगा सकते हैं?

1. 33 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ पैंकिंग्स का होता है औद्योगिक कचरे में, सो पैंकिंग वाली चीजों का इस्तेमाल कम-से-कम करें।
2. 20 सालों में भारत में 70 प्रतिशत मोबाइल ट्रैफिक बढ़ा है।
3. 50 प्रतिशत प्लास्टिक हम केवल एक बार उपयोग करके ही फेंक देते हैं।
4. नया मोबाइल खरीदने पर पुराने को तुरंत किसी जरूरतमंद को बेच दें या ई-साइकल स्टोर को सौंप दें।
5. प्लास्टिक और थर्माकोल डिस्पोजेब्लस के बजाए पत्तों और मिट्टी से बनी प्लेटें और दोने व कुल्हड़ इस्तेमाल करें।
6. रसायनों का इस्तेमाल भूमि की उर्वरता घटाता है। बगीचे में रासायनिक खाद और कीटनाशकों के बजाए प्राकृतिक उपायों को प्राथमिकता दें।
7. प्लास्टिक के डिब्बों में रखी जाने वाली खाने की चीजों में हानिकारक रसायनों के मिलने की आशंका रहती है, इसलिए रसोई में प्लास्टिक के बजाए धातु के विकल्पों का इस्तेमाल करें।
8. आधुनिक तकनीक की दीवानगी हमें नए-नए गैजेट्स खरीदने के लिए प्रेरित करती है, जिससे हर साल लाखों टन ई-कचरा बढ़ रहा है। अगली बार पसंद या शगल को नहीं, बल्कि जरूरत को नए गैजेट का आधार बनाएं।
9. पेंट, मोटर ऑयल अमोनिया जैसे रासायनिक पदार्थ सीधे जमीन में न फेंकें। ये सभी भूमि की उर्वरता कम कर उसे बंजर बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
10. यूज एंड थ्रो की प्रवृत्ति के लिए नुकसानदायक है। इलेक्ट्रानिक सामान, घड़ियां जैसी चीजें, खराब हो, तो उन्हें सुधारकर दोबारा प्रयोग में लाएं।
11. पॉलीथिन का कचरा भूमि के लिए बड़ खतरा है। बाजार जाते वक्त हमेशा कपड़े या जूट का बैग साथ रखें।

1. 40 प्रतिशत पेड़ दुनियाभर में केवल कागज बनाने के लिए काट डाले जाते हैं।
2. 9 लाख टन कागज विद्यार्थियों द्वारा सालभर में इस्तेमाल किया जाता है।
3. 25 प्रतिशत उर्जा बचाती है सीएफएल पारंपरिक बल्ब के मुकाबले पर अब एलईडी का विकल्प भी है। यह सीएफएल से ज्यादा ऊर्जा बचाएगा और ज्यादा चलेगा।
4. 14 प्रतिशत कीमत बढ़ जाती है प्रॉपर्टी की यदि उसमें शानदार बगीचा बनाया गया हो या उसके आसपास पर्याप्त हरियाली का इंतजाम हो।
5. 13,000 करोड़ से ज्यादा लागत के खाद्य पदार्थ हर साल यूं ही बर्बाद हो जाते हैं हमारे देश में, जबकि लाखों लोगों को पर्याप्त भोजन तक उपलब्ध नहीं है।
6. 2400 झीलें हैं मध्य प्रदेश में, लेकिन इनमें से केवल 20 का पानी ही पीने योग्य है। ये सच अधिकृत सरकारी आंकड़ें ही बयान कर रहे हैं।
7. 20 प्रतिशत लोगों को दुनियाभर में पर्याप्त बिजली मुहैया नहीं होती। इनमें 40 करोड़ से ज्यादा तो भारतीय हैं।
8. 200 वर्षों में जलवायु परिवर्तन इतनी तेजी से हुआ है कि प्राणी व वनस्पति जगत को इस बदलाव के साथ सामंजस्य बैठा पाने में बड़ी मुश्किल हो रही है। इस परिवर्तन के लिए काफी हद तक मानवीय क्रिया-कलाप ही जिम्मेदार हैं।

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