प्रशासन और परिषद में तालाब के मालिकाना हक की शुरू हुई जंग

26 May 2016
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कानपुर – हिन्दुस्तान की पहल पर जलपुरुष नाम से विख्यात राजेन्द्र सिंह के द्वारा एक तालाब की खुदाई का शुभारम्भ श्रमदान से किये जाने को लेकर प्रशासन तथा आवास विकास परिषद के बीच मालिकाना हक को लेकर जंग शुरू हो गई है। आवास विकास परिषद ने दावेदारी की है कि जिस नाना के तालाब को तालाब बताकर प्रशासन तथा हिन्दुस्तान ने संयुक्त रूप से जलपुरुष से श्रमदान करवा कर खुदाई शुरू की है वो अधिगृहित की गई जमीन है जिसका मालिकाना हक परिषद के पास है।

11 मई 2016 को हिन्दुस्तान की पहल पर जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने प्रशासन द्वारा मुहैया कराए गए मसवानपुर स्थित नाना के तालाब नाम की जगह पर श्रमदान कर तालाबों के खुदाई का शुभारम्भ किया। दूसरे दिन जिस जगह को तालाब बताकर प्रशासन तथा हिन्दुस्तान ने खुदाई का शुभारम्भ करवाया था उस पर अपना मालिकाना हक दिखाते हुए आवास विकास परिषद ने काम रुकवा दिया और बताया कि जिस जमीन को तालाब बताया जा रहा है वो वास्तविकता में आवास विकास परिषद की है उसने यह जमीन एक व्यक्ति से अधिगृहित की है जिसका मुआवजा भी उस व्यक्ति को दिया जा चुका है। आवास विकास ने जो तथ्य दिये उसे प्रमुखता से अमर उजाला समाचार पत्र ने प्रकाशित कर दिया।

आवास विकास परिषद ने बताया कि यह जमीन अम्बेडकर पुरम (योजना संख्या-3) के लिये गाँव मोहसिनपुर की आराजी संख्या-860 की करीब 14 बिस्वा जमीन का अधिग्रहण किया गया था। वर्ष 1980 में जमीन अधिग्रहण के लिये धारा (28) और 1982 में धारा (32) की कार्रवाई हुई। वर्ष 1986 में परिषद ने जमीन का मुआवजा अवार्ड कर दिया। इसके बाद तत्कालीन जिला प्रशासन के अधिकारियों ने जमीन आवास विकास परिषद के नाम हस्तान्तरित कर दी थी। परिषद के अधिशाषी अभियन्ता रहुक यादव ने बताया कि योजना के सेक्टर–4 (गायत्री पैलेस के पीछे) में भवन, पार्क और सड़क के लिये आरक्षित जमीन पर तालाब खुदवाए जाने की जानकारी पर कम को रुकवा दिया गया है। जिलाधिकारी को अधिग्रहण के साक्ष्यों के साथ पत्र भेजा है।

अमर उजाला समाचार पत्र में आवास विकास परिषद के मालिकाना हक की खबर जैसे ही प्रकाशित हुई हिन्दुस्तान समाचार पत्र ने आवास विकास परिषद के दावेदारी को झूठा तथा प्रशासन को सही ठहराते हुए 18 मई को एक समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया। हिन्दुस्तान समाचार पत्र ने समाचार में प्रकाशित किया कि आवास विकास परिषद को प्रशासन द्वारा नाना के तालाब की खुदाई बन्द आँख भी नहीं भाई। यही वजह है कि जिस जमीन को परिषद अधिग्रहण की हुई जमीन बता रही है वो उसकी है ही नहीं।

अम्बेडकरपुरम योजना के कुछ अफसरों ने योजनाबद्ध तरीके से किसानों से अधिग्रहण की गई जमीनों को बेच डाला। साथ ही तालाबों और बगीचों को भी नहीं बख्सा। समाचार में बताया गया कि 11 मई 2016 को आराजी संख्या-845 पर श्रमदान का शुभारम्भ राजेन्द्र सिंह के द्वारा करवाया गया था।

जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने इस बारे में बताया कि खाली जमीन पर जल संचयन को तालाब खुदवाना गलत नहीं है। यदि परिषद की जमीन है तो अधिकारी राजस्व अपर जिलाधिकारी शत्रुघन सिंह से व्यक्तिगत मिलकर अपनी समस्या रखें। जबकि अपर जिलाधिकारी राजस्व शत्रुघन सिंह ने बताया कि तालाब सही जगह खुदवाया जा रहा है।

अमर उजाला


17 मई 2016

जिला प्रशासन-जलपुरुष ने खुदवाया अवैध तालाब


आवास विकास परिषद अधिकारियों ने रुकवाया काम

अमर उजाला ब्यूरो

जल पुरुष राजेंद्र सिंह की मौजूदगी में जिला प्रशासन ने मसवानपुर में आवास विकास परिषद की अधिगृहीत जमीन पर तालाब खुदवा दिया। आवास विकास अधिकारियों को योजना की जमीन पर तालाब खुदवाए जाने की जानकारी मिली तो हड़कम्प मच गया। परिषद के अधिकारियों ने तालाब निर्माण रुकवा दिया है। अधिकारियों ने मकान, पार्क और सड़क के लिये आरक्षित जमीन पर तालाब खुदवाए जाने पर आर्थिक हानि का हवाला देते हुए डीएम को पत्र भेजा है।

आवास विकास परिषद ने अम्बेडकरपुरम (योजना संख्या -3) के लिये गाँव मोहसिनपुर की आराजी संख्या-860 की करीब 14 बिस्वा जमीन का अधिग्रहण किया था। 1980 में जमीन अधिग्रहण के लिये धारा (28) और 1982 में धारा (32) कीकार्यवाई हुई। 1986 में परिषद ने जमीन का मुआवजा अवार्ड कर दिया। इसके बाद तत्कालीन जिला प्रशासन के अधिकारियों ने जमीन आवास विकास के पक्ष में हस्तान्तरित कर दी थी।

परिषद के अधिशासी अभियन्ता राहुल यादव ने बताया कि योजना के सेक्टर-4 (गायत्री पैलेस के पीछे) में भवन, पार्क और सड़क के लिये आरक्षित जमीन पर तालाब खुदवाए जाने की जानकारी पर कम रुकवा दिया गया है।

परिषद के अधीक्षण अभियन्ता एसपीएन सिंह ने बताया कि यह भुमिहारी की जमीन है। पूरा मुआवजा देकर जमीन का अधिग्रहण किया गया है। योजना के लिये जमीन अधिगृहीत करते समय तालाब की जमीन पर तालाब ही बनाते है। यहाँ पर कभी तालाब नहीं रहा। डीएम को अधिग्रहण के साक्ष्यों के साथ पत्र भेजा गया है

जब तालाब की खुदाई शुरू हुई थी, तब आवास विकास परिषद के अधिकारी कहा करते थे। यह आवास विकास परिषद की लापरवाही है। यदि उनके पास जमीन के कागज है तो वह व्यक्तिगत रूप से एडीएम फाइनेंस से मिलकर अपनी बात कहे। खाली पड़ी जमीन पर वाटर रिचार्जिंग की व्यवस्था कराना गलत नहीं है। यह शहरवासियों की सुविधा को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। आवास विकास परिषद भी शहरवासियों के लिये काम करता है। तालाब की खुदवाई रुकवाए जाने से सम्बन्धित जानकारी नहीं है... कौशल राज शर्मा, डीएम कानपुर नगर।

हिन्दुस्तान


18 मई 2016

झूठ से पाट नहीं पाये नाना का तालाब


सच परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। झूठ की कलई खुल ही जाती है। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे आवास विकास के अफसरों ने सरकारी दस्तावेजों में दर्ज नाना का तालाब (मसवानपुर) को पाटाही नहीं बल्कि प्लाट काटकर अपने चहेतों को उपकृत करते हुए लाखों के वारे न्यारे भी किये। नक्शा और खतौनी चीख-चीख कर सच को बयाँ कर रहे हैं लेकिन आवास विकास है कि झूठ-पर-झूठ बोल रहा है, वह भी हेराफेरी वाले दस्तावेजों के सहारे। जिला प्रशासन सच को जानता है इसलिये तालाब की खुदाई जारी है। पानी का स्रोत फूट चुका है। तालाब को लेकर क्षेत्रीय लोगों में भी उत्साह है, श्रमदान को लगातार हाँथ बढ़ रहे है। आवास विकास को जनता की बजाय हाथ से फिसलती काली कमाई की चिन्ता है। तालाबों को बचाने का हिन्दुस्तान का अभियान शिद्दत और मजबूती के साथ लगातार जारी रहेगा। साथ ही आवास विकास के भ्रष्ट अफसरों ने कितने तालाबों, सरकारी जमीनों को अपने खातिर खुर्दबुर्द किया है उस पर भी हमारी नजर रहेगी।

हिन्दुस्तान

पड़ताल

कानपुर। प्रमुख संवाददाताआरटीआई में झूठ, जाँच में झूठ, रिकार्ड में झूठ, नक्शे में झूठ और जवाब में झूठ। तालाब बेचने के लिये जन भावनाओं और रिकार्ड के साथ कुछ ऐसा खिलवाड़ किया गया। सारे मसवानपुर में जिस नाना तालाब की खुदाई जिला प्रशासन ने कराई वो आवास विकास को बन्द आँख भी नहीं भाई। अम्बेडकरपुरम योजना बसाने के लिये आवास विकास के कुछ अफसरों ने जो खेल योजनाबद्ध तरीके से खेला, उसमें कोई बदलाव नहीं आया है। एक तरफ किसानों से करोड़ों की जमीन हथियाकर बेच डाली तो दूसरी ओर तालाब और बाग तक नहीं छोड़े। आज सैकड़ों किसान मुआवजे केलिये भटक रहे हैं।

भूमि एवं अध्याप्ति के कुछ बाबुओं के साथ मिलकर आवास विकास ने ऐसा खेल खेला की नाना तालाब को संग्रमणीय भूमिधरी दर्शा दिया। जहाँ तहसील और केडीए के रिकार्ड और नक्शे में तालाब है वहाँ जमीन दिखा दी और यह भी बता दिया कि इस जमीन का मुआवजा वर्ष 1989 से 2003 के बीच दिया जा चुका है। ऊच्चाधिकारियों के निर्देश पर एसडीएम ने इसकी जाँच कराई तो सारा सच सामने आ गया। लिहाजा सातवें दिन (मंगलवार को) भी खुदाई जारी रही। दरअसल, आवास विकास ने डीएम को जो पत्र भेजा है उसमे अराजी संख्या 860 में खुदाई दर्शाई है कि खुदाई 860 में नहीं 845 में हो रही है जो पहले से तालाब था।

पूरा खोदा तालाब तो टूटेगें कई मकान


गनीमत यह है कि जिला प्रशासन ने अभी तक उन मकानों को नहीं छुआ है जो इस नाना का तालाब की परिधि में आ रहे हैं। राजस्व अभिलेखों में इस तालाब का क्षेत्रफल 1950 वर्ग गज था जबकि मौके पर आधे से कुछ ही अधिक जमीन बची है।इसी में खुदाई हो रही है। अगर पूरा तालाब खोदा जाये तो कई मकान टूट जाएँगे। जिस रोड को कब्जा करके पतला कर दिया है वह भी तालाब में है और उससे सटे तीन अन्य मकान भी। एसडीएम सदर का कहना है कि सारे अवैध कब्जे ढहाए जाएँगे।

फूटे स्रोत से ही खुल गई थी पोल


11 मई को हिन्दुस्तान की पहल पर जिला प्रशासन ने सारे मसवानपुर में गायत्री पैलेस के पीछे अराजी संख्या 845 में तालाब की खुदाई शुरू कराई थी। जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने फावड़ा चलाकर स्थानीय निवासियों के साथ श्रमदान किया था। उस समय जिलाधिकारी का कार्य देख रहे अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व शत्रुघ्न सिंह, एसडीएम सदर डीडी वर्मा, तहसीलदार सदरअनिल कुमार, राजस्व निरीक्षक वृन्दावन पाण्डेय और लेखपाल आलोक दुबे खुद मौजूद थे। विधायक सलिल विश्नोई, रघुनन्दन सिंह भदौरिया, भाजपा के उत्तर जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र मैथानी, बसपा नेता निर्मल तिवारी और कांग्रेस नेता शैलेन्द्र दीक्षित के अलावा व्यापारियों व किसानों ने भी शिरकत की और प्रशासन की हौसला अफजाई की। अब बाकी जमीन पर भी खुदाई हो रही है।

खुदाई के बाद जिला प्रशासन द्वारा तैयार किया गया नाना का तालाब

डीएम को पत्र में हिन्दुस्तान का हवाला


आवास विकास के कुछ अधिकारियों ने फर्जीवाड़ा करने के लिये कई बार अराजियाँ बदली हैं। किसान एक तरफ शोर मचाते रहे कि उनकी अराजी में आवास विकास ने कब्जा करके जमीन हथिया ली है और आवास विकास कहता रहा कि जो जमीन ली गई है उसकी अराजी संख्या अलग है। मसलन, मसवानपुर मोहसिनपुर की अराजी संख्या 844 में दयाशंकर पाण्डेय की जमीन खतौनी में है जिसे आवास विकास इसे कोई और अराजी बताता चला आ रहा है। तहसील से जब सीमांकन कराया गया तो आवास विकास की कलई खुल गई। जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के आदेश पर इस मामले की पहले से जाँच चल रही है।

फर्जीवाड़े के लिये कई बार बदली अराजी


आवास विकास परिषद ने इस पहल पर गलत जानकारी के साथ आपत्ति उठाई है और जिलाधिकारी को पत्र लिखा है। परिषद की ओर से अधिशासी अभियन्ता राहुल यादव ने जिलाधिकारी को लिखे गए पत्र में हिन्दुस्तान का हवाला दिया है। कहा है कि हिन्दुस्तान समाचार पत्र में प्रकाशन और निरीक्षण के जरिए संज्ञान में आया कि मोहसिनपुर में अराजी संख्या 860 की भूमि पर तालाब खोदा जा रहा है। जबकि हकीकत यह है कि हिन्दुस्तान की खबर में न तो मोहसिनपुर का जिक्र आया और न ही अराजी संख्या 860 का। पहले ही दिन से अराजी संख्या 845 में ही तालाब खुदा जाना बताया गया। आवास विकास के पत्र से इस झूठ का खुलासा भी हो गया है।

नाना तो बहाना, 50 लाख कमाना


हकीकत यह है कि नाना का तालाब पर कोई और अराजी दर्शाना तो महज एक बहाना है। इससे पीछे आपत्ति के कारण और मंशा कुछ और ही नजर आ रही है। असल में गायत्री पैलेस के बगल की जमीन का सौदा इसी के पीछे छिपा है। जिसमें आवास विकास परिषद और भूमि एवं अध्याप्ति का एक कॉकस शामिल है। दरअसल, 50 लाख रुपए की इस जमीन को हथियाने की योजना हाल में ही बनाई गई थी इसीलिये जमीन पर बाड़ लगा दी गई। जो 11 मई को तालाब की खुदाई के दौरान ही अचानक हटा दी गई। इसी के बाद विरोध शुरू हुआ और आपत्ति दिखाने के लिये झूठी और गलत जानकारी का सहारा लेते हुए पत्र और शिकायत की कोशिशें की जाने लगी।

आवास विकास दिखाए साक्ष्य


आवास विकास को अगर लगता है कि जहाँ तालाब खोदा जा रहा है वहाँ अराजी संख्या 860 है तो साक्ष्य दिखाए। राजस्व रिकार्ड में जहाँ तालाब था, वहीं खुदाई कराई जा रही है। आवास विकास की अन्य भी कई शिकायतें आई हैं जिसकी जाँच की जा रही है... कौशल राज शर्मा, जिलाधिकारी

रिकार्ड के हिसाब से खुदवा रहे तालाब


राजस्व रिकार्ड के हिसाब से ही सराय मसवानपुर के तालाब को खुदवाया जा रहा है। आवास विकास जिस आराजी को संक्रमणीय भूमिधरी बता रहा है। मुआवजा दूसरी अराजी से सम्बन्धित है। उसका इसका लेना देना नहीं है... शत्रुघ्न सिंह, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व

आवास विकास ने की अवैध प्लाटिंग


आवास विकास ने कई जगह अवैध तरीके से प्लाटिंग की है। राजस्व रिकॉर्ड से इतर कई जगह दूसरी अराजी दर्शाया है। आबादी और तालाब की जमीनों में भी भूखण्ड काट दिये गए हैं। मसवानपुर में नाना के तालाब की खुदाई बिल्कुल सही जगह हो रही है।। अभी भी जारी है... डीडी वर्मा, एसडीएम सदर

केडीए के रिकार्ड में भी यहाँ तालाब


तालाब की यह जमीन केडीए के प्रबन्धन में है। तहसील के साथ ही केडीए के भी राजस्व अभिलेखों में यहाँ तालाब ही था। खुदाई के समय प्रशासन के साथ केडीए के राजस्व की टीम भी गई थी। सही जगह तालाब खुद रहा है आवास विकास यहाँ गलत अराजी बता रहा है... बीएल पाल, तहसीलदार (केडीए)

रविवार, 21 मई 2016

पोकलेन मशीन से निकाली जाएगी पानी में बची राख, खुदाई के बाद हुआ चौकोर


नाना का तालाब हो गया तैयार


हिन्दुस्तान का असर

कानपुर। प्रमुख संवाददाता, हिन्दुस्तान की पहल आखिर रंग लाई। सराय मसावनपुर में नाना का तालाब लगभग तैयार हो गया है। जिला प्रशासन ने खुदाई के बाद इसे चौकोर रूप दे दिया है बिना पानी भरे ही इस तालाब में भरपूर पानी है जिसके कारण गहरी खुदाई नहीं हो पाई है। बीच-बीच में बच गए रख के छोटे-छोटे टीलों को अब पोकलेन मशीन से निकाला जाएगा। वहीं पीछे की तरफ तालाब में बनी झाड़ी को भी इसी मशीन से निकलने की तैयारी की जा रही है।

11 मई को हिन्दुस्तान की पहल पर जिला प्रशासन ने इस तालाब की खुदाई शुरू कराई थी। जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने शहर के सम्भ्रान्त लोगों और प्रशासनिक अफसरों के साथ श्रमदान किया था। बाद में जेसीबी से खुदाई शुरू हुई तो कुछ ही घंटे बाद पाँच फीट नीचे से पुराना जलस्रोत फूटा और पानी लबालब हो गया। इससे खुदाई में बहुत दिक्कत आई मगर प्रशासन पीछे नहीं हटा। दसवें दिन तालाब अपने पुराने स्वरूप में आ गया। हालांकि अगल-बगल की जमीन को बराबर करके कब्जे से मुक्त किया जाना है। फिलहाल तालाब के लिये गठित की गई समिति मौके पर डटी हुई है और आगामी सहयोग से सुन्दरीकरण कराने को तैयार है। इसके लिये समिति की ओर से एक पत्र अपर जिलाधिकारी वित्त राजस्व शत्रुघ्न सिंह को भेजा गया है। उन्होंने एसडीएम सदर डीडी वर्मा को इसकी प्रक्रिया पूरी करने को कहा है।

अब इसे बनाएँगे मॉडल तालाब


नाना का तालाब को मॉडल तालाब बनाएँगे। इसे इतना खूबसूरत बनाया जाएगा कि इसे देखकर लोग गर्व की अनुभूति करेंगे। लोगों की भावनाओं को देखते हुए यहाँ वृक्षारोपण कराने के साथ ही चारों तरफ से बाड़ लगाई जाएगी। जालीदार ईंट भी लगेगी ताकि इसकी सुरक्षा बनी रहे। फूलों की क्यारी लगाकर गाँव की समिति की देखरेख में तालाब को दे दिया जाएगा। इस मॉडल को देखकर ही अन्य तालाब दुरुस्त किये जाएँगे... कौशल राज शर्मा, जिलाधिकारी’

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