पर्यावरण एवं सूचना तकनीक

जीवन को निर्मित करने में पर्यावरण मानव अहम् भूमिका निभाता है। पर्यावरण मानव-जीवन को आधार प्रदान करता है। पर्यावरण के तत्वों की विद्यमानता से ही पृथ्वी पर जीवन संभव हुआ है। मानव के चारों ओर का वह क्षेत्र, जो उसे घेरे रहता है, उसके जीवन तथा क्रियाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है, पर्यावरण कहलाता है। आधुनिक युग में पर्यावरण के अध्ययन के बढ़ते महत्व को कई बिंदुओं के परिप्रेक्ष्य में स्पष्ट किया जा सकता है। सूचना तकनीक एक अधिग्रहण, संग्रहण, मौखिक, चित्रमय, मूल पाठ तथा संख्यात्मक सूचनाओं का प्रक्रम है, जो कम्प्यूटर तथा दूरसंचार के मिश्रण पर आधारित है। यह प्रबंधन तकनीकी का एक ऐसा क्षेत्र है, जिसके अंतर्गत प्रक्रिया, कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर, कार्यक्रम, सूचना तंत्र एवं ज्ञात आंकड़े आते हैं। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि सूचना तकनीक, बहुमाध्यम वितरण क्रिया-विधि की सहायता से दृष्टि की रूप रेखा में लिए गए आंकड़े, सूचनाएं, ज्ञान आदि का अनुभव है। विस्तार में सूचना तकनीक हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर दोनों हैं, जो सूचनाओं को संग्रहित करने में सहायक है।

भारत में सूचना तकनीक 1967 में सर्वप्रथम मुंबई में टाटा समूह उद्योग द्वारा स्थापित हुई। सूचना तकनीक के आने से आधुनिक युग में विकास को गति प्राप्त हुई, जो अब मानव जीवन का एक आवश्यक हिस्सा बन चुकी है। जीवन को निर्मित करने में पर्यावरण मानव अहम् भूमिका निभाता है। पर्यावरण मानव-जीवन को आधार प्रदान करता है। पर्यावरण के तत्वों की विद्यमानता से ही पृथ्वी पर जीवन संभव हुआ है। मानव के चारों ओर का वह क्षेत्र, जो उसे घेरे रहता है, उसके जीवन तथा क्रियाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है, पर्यावरण कहलाता है। आधुनिक युग में पर्यावरण के अध्ययन के बढ़ते महत्व को कई बिंदुओं के परिप्रेक्ष्य में स्पष्ट किया जा सकता है। जैसे-नवीनतम आधुनिक तकनीक का प्रयोग, अधिक संसाधनों संदोहन, बढ़ती जनसंख्या का भार, नगरीकरण एवं औद्योगीकरण के दोष आदि के कारण, परिणाम एवं निवारण के उपाय खोजने के लिए पर्यावरण का अध्ययन आवश्यक है। प्रकृति स्वतः पर्यावरणीय घटकों में निश्चित अनुपात सदैव बनाए रखने का प्रयास करती है, किंतु मानव की प्रकृति-रोधी गतिविधियों से इसकी मूल-संरचना में अभूतपूर्व परिवर्तन आ रहे हैं। फलस्वरूप पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति को देखकर समस्त पर्यावरणीय, पर्यावरणविद् तथा अन्य ज्ञानी समाज इसके प्रति चिंतन मनन कर रहे हैं।

पर्यावरण जागरूकता में सूचना तकनीक की भूमिका


आधुनिक सूचना तकनीक ने फ्रैंसिस बेकन के कथन ‘Knowledge is Power’ को सच साबित कर दिखाया। सूचना तकनीक एक ऐसी तकनीक है, जो दुनिया में किसी भी व्यक्ति को, किसी भी समय, कहीं भी घटने वाली घटना या प्रसंग के बारे में संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराती है। सूचना तकनीक के जरिए घर बैठे ही पर्यावरण से संबंधित सभी जानकारियां आज जैसे किस क्षेत्र में कितना प्रदूषण है, वन्य जीवों की सुरक्षा के क्या इंतजाम है।

देश-विदेश में पर्यावरण संरक्षण हेतु क्या शोध किए जा रहे हैं, आदि प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही इन संवेदी उपग्रहों की सहायता से दुनिया भर में हो रही पर्यावरणीय घटनाओं जैसे-ओजोन क्षरण, प्राकृतिक प्रकोप, वन-विनाश इत्यादि से संबंधित सूचनाएं तुरंत ही संसार के विभिन्न भागों में पहुंच जाती हैं। इसके अलावा बहुत-सी छोटी-छोटी घटनाओं की पूर्व सूचना भी विश्व के कोने-कोने में पहुंचाई जा सकती है। आज एक आम व्यक्ति इंटरनेट और ई-मेल के जरिए किसी भी क्षेत्र की जानकारी प्राप्त कर सकता है। वर्तमान में पर्यावरण प्रबंधन में भी सूचना तकनीक अहम् भूमिका निभा नहीं है। आज जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन संबंधी जानकारियां सूचना तकनीक जैसे-रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट आदि के माध्यम से प्रसारित पर्यावरण नाटक, विज्ञापन आदि पर्यावरण के संबंध में जन-जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

पर्यावरणीय एवं वन मंत्रालय तथा भारत सरकार ने एक तंत्र की स्थापना की है, जिसे पर्यावरण सूचना-तंत्र कहा जाता है। इसका मुख्यालय राजधानी दिल्ली में स्थापित किया गया है। पर्यावरण सूचना तंत्र के द्वारा पर्यावरण संबंधी सभी जानकारियां जैसे-प्रदूषण के उपाय, नवीनीकरण ऊर्जा, मरुस्थलीकरण, जैव विविधता आदि के बारे में जानकारियों को हमेशा के लिए कंप्यूटर में संग्रहित किया जा सकता है। अतः वर्तमान युग में सूचना तकनीक इतनी विकसित हो गई है कि मानव-जीवन का कोई पहलू अब सूचना तकनीक से पृथक् नहीं है तथा सूचना तकनीक आधुनिक युग की सबसे अधिक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में सूचना तकनीक द्वारा पर्यावरण जागरूकता


पर्यावरण के प्रति जागरूकक होने की आवश्यकता प्रत्येक नागरिक को है, क्योंकि पर्यावरण हमारे जीवन का आधार है। शहरी इलाकों में औद्योगीकरण, शहरीकरण, आधुनिकता आने से पर्यावरण को क्षति तथा पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। साथ ही इन इलाकों में सूचना तकनीक का विकास तेजी से हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप यहां के लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता देखने को मिलती है। हमें आवश्यकता है पर्यावरण जागरूकता की उन ग्रामीण क्षेत्रों में, जो समाज में रहते हुए भी सामाजिक तौर से प्राप्त होने वाली कई सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं। प्रस्तुत शोध के दौरान दुर्ग जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे किया गया। दुर्ग जिला शिवनाथ महानदी घाटी के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित है। यहां की कुल जनसंख्या 28,10,436 (2001 सेंसस के अनुसार) है। इसका भौगोलिक क्षेत्रफल कुल 8,702 वर्ग किमी है। दुर्ग जिले में कुल 1,821 ग्राम हैं जिनमें से विद्युतिकृत ग्रामों की संख्या 1,775 है। सर्वे में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता के साथ-साथ पर्यावरण शिक्षा भी अपेक्षाकृत कम देखने को मिली। कोई भी राज्य पूर्णतः विकसित तभी हो पाएगा, जब उस राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों का विकास होगा। शिक्षा तथा जागरूकता ग्रामीणों के पूर्ण विकास की प्राथमिक शर्ते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा न केवल पर्यावरण के प्रति अपितु सभी क्षेत्रों में जागरूकता विकास की अतिआवश्यक मूल धारा है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सूचना तकनीक के माध्यम से ग्रामीण तथा शहरी दोनों क्षेत्रों में पर्यावरण शिक्षा एवं पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाना आवश्यक हो गया है। कोई भी क्षेत्र इसकी उपेक्षा कर आगे नहीं बढ़ सकता।

ग्रामीण क्षेत्र में पर्यावरण संबंधी नई-नई जानकारियां उपलब्ध करानी चाहिए। इसके लिए इन क्षेत्रों में सूचना तकनीक का विकास किया जाना चाहिए। दूरस्त शिक्षा पद्धति एवं कंप्यूटर शिक्षा द्वारा गामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को शिक्षित किया जा सकता है। इंटरनेट के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़कर देश और विदेश में होने वाले पर्यावरण संबंधी नई-नई खोजों की जानकारी दी जा सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में सूचना तकनीक पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने एवं पर्यावरण शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ ऊर्जा उत्पादन, कृषि में उन्नति, भूमि में सुधार आदि में भी लाभकारी साबित हो सकती है। वैसे नव-निर्मित छत्तीसगढ़ राज्य में सरकार एवं गैर सरकारी संगठनों द्वारा ऐसे कई योजनाएं लागू की जा रही हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में विकास हो सके और इन योजनाओं के माध्यम से सूचना तकनीक पर्यावरण जागरूकता में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है।

आज पर्यावरण की दशा इतनी दयनीय हो चुकी है कि प्रत्येक नागरिक को पर्यावरण के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। सूचना तकनीक के माध्यम से वर्तमान में संसार के सभी क्षेत्र में विकास एवं उन्नति संभव हो पाई है। सूचना तकनीक को समाज के विकास का मूल स्रोत कहा जा सकता है। वर्तमान में शिक्षा, विज्ञान, चिकित्सा, पर्यावरण के प्रति परिवहन, संचार आदि सभी क्षेत्रों में सूचना तकनीक का विकास हो रहा है। सूचना तकनीक पर्यावरण शिक्षा, पर्यावरण के प्रति जागरूकता में भी अहम भूमिका निभा रही है। इसलिए आज के समाज को सूचना समाज कहा जाता है। यदि किसी प्रकार सूचना तकनीक के माध्यम से लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता एवं पर्यावरण शिक्षा का विकास होता रहा तो हम पर्यावरण, जो मानव जीवन का आधार है, को संरक्षित कर आने वाली पीढ़ियों को इसके लाभ एवं महत्व से अवगत करा सकते हैं।

सहायक प्राध्यापक कंप्यूटर विभाग स्वामी स्वरूपानंद शिक्षण संस्थान,
हुडको, भिलाई

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