फ्लोराइड युक्त प्रसाधन यथा दंत मंजन एवं मुख प्रक्षालक

दांतों में फ्लोरोसिसगुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रियाएं संचालित करने वाली प्रयोगशालाओं द्वारा फ्लोराइड की मात्रा का परीक्षण करने हेतु तीस प्रकार के दंत मंजनों (जिन पर “फ्लोराइड युक्त” अंकित नहीं था, परंतु दोनों एक ही कंपनी द्वारा बनाए गए थे) का विश्लेषण किया गाया है।

यह पाया गया है कि अब तक विश्लेषित किसी भी प्रकार का दंत मंजन फ्लोराइड मुक्त नहीं है। पेस्ट निर्माण में प्रयुक्त कच्चे माल, जैसे कैल्शियम कार्बोनेट, टैल्क एवं खड़िया द्वारा उत्पन्न प्रदूषक फ्लोराइड की मात्रा में 800 से 1000 पीपीएम तक हो सकी है। फ्लोराइड युक्त ब्रैंडों में 1000-4000 पीपीएम तक फ्लोराइड मिलाई जा सकती है जो मुख प्रक्षालक विशेष ब्रैंड के नामों से बेचे जाते हैं, वे और कुछ नहीं अपितु प्लोराइड की अत्यधिक मात्रा युक्त जल है। यह माना जाता रहा है कि फ्लोराइड युक्त मंजन एवं मुख प्रक्षालक मुंख में कुछ ही समय के लिए रहते है और जब मुंख को पानी से साफ करते है तो रसायन उसके साथ धुल कर बाहर आ जाता है। ये विचार अब ठीक नहीं माने जाते क्योंकि यह विदित है कि मुंह की म्यूकोसा झिल्ली एवं जीभ के नीचे स्थित रक्त वाहिकाएं फ्लोराइड को मिनटों में अवशोषित कर लेती हैं। जीभ के नीचे स्थित रक्त वाहिकाएं रोगियों, विशेषकर हृदय विकार के रोगियों के शरीर में दवा पहुंचाने का एक साधन है। भारतीय अध्ययनों के द्वारा फ्लोराइड युक्त मंजन से दांत साफ करने के कुछ ही मिनट बाद फ्लोराइड का अवशोषण होना पाया गया है। मंजन करने के एक घंटे बाद भी मुख गुहा से प्राप्त लार (सलाइवा) का परीक्षण करने पर उसमें फ्लोराइड की उच्च मात्रा पाई गई।

उक्त प्रमाणों में रखते हुए 1945 के औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम (जिसमें दंत मंजन में विषाक्त रसायन मिलाने पर कोई विशिष्ट प्रतिबंध नहीं थे) को 1991 में संशोधित किया गया। दंत मंजन निर्माण हेतु, प्रारुपित राजपत्रित अधिसूचना द्वारा तीन अनुबंध प्रतिपादित किए गए।

दंत मंजन निर्माण के समय उसमें फ्लोराइड की मात्रा 1000 पीपीएम से अधिक नहीं होनी चाहिए। यह 1000 पीपीएम मात्रा जान बूझ कर मिलाने के लिए नहीं कहा गया है, अपितु यह ध्यान रखा गया है कि चूंकि कच्चे माल में प्राकृतिक रूप से प्लोराइड की उक्त मात्रा होती है, अतः उत्पादक हेतु यह अनुचित होगा कि वह संपूर्ण सामग्री को पहले विफ्लोरीकृत करे।

सात वर्ष से कम आयु के बच्चे फ्लोराइड युक्त मंजन नहीं करें। यह मंजन की सभी ट्यूबों एवं डिब्बों पर अंकित होना चाहिए।

चूंकि कुछ प्रकार के दंत मंजन, उनमें उपस्थित सोडियम मोनो फ्लोरो फॉस्फेट के कारण अपघटित हो जाते हैं, अतः मंजन की ट्यूब एवं डिब्बों पर उत्पादन तिथि एवं प्रयोग की अंतिम तिथि अंकित होनी चाहिए।

अंतिम राजपत्रित सूचना प्रारूपित राजपत्रित सूचना के एक वर्ष बाद, 1992 में प्रकाशित की गई (जनता के विचार जानने हेतु साधारणतः 60 दिन प्रदान किए जाते हैं) और आश्चर्यजनक रूप से यह पाया गया कि उसमें से सात वर्षीय बच्चों से संबंधित प्रतिबंध संख्या 2 गायब हो गया।

अतः वर्तमान में क्रम संख्या 1 और 3 वाले दो ही प्रतिबंध हैं। उत्पादक फ्लोराइड मिलाने के बाद भी डिब्बों पर यह अंकित करते हैं कि उत्पादन के समय पेस्ट में 1000 पीपीएम फ्लोराइड है।

इसके अतिरिक्त जो उत्पादक फ्लोराइड मिलाए बिना दंत मंजन का उत्पादन कर रहे हैं वे उत्पादों की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और कच्चे माल द्वारा उत्पन्न फ्लोराराइड की मात्रा (जो 1000 पीपीएम तक हो सकता) को इंगित नहीं कर रहे हैं।

यह स्पष्टतः निर्दिष्ट करता है कि 1992 के औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम 149ए में अतिरिक्त संशोधन की आवश्यकता है। उपभोक्ताओं को फ्लोराइड से होने वाली हानि से सावधान करने की आवश्यकता है।

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