फ्लोरोसिस से पीड़ित मियांपुरा के बच्चे

skeletal fluorosis
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अधिकांश बच्चे दंतीय फ्लोरोसिस से पीड़ित हैं। वहीं माध्यमिक विद्यालय आली में मियांपुरा से जाने वाले छठीं-सातवीं व आठवीं के बच्चों में भी इसका प्रकोप देखा गया है। ग्रामीणों ने बताया कि बड़े बच्चे 18 से 20 वर्ष के लड़के व लड़कियों के दांत भी पीले पड़ गए हैं। उनके दांत को देखने पर ऐसा लगता है कि तम्बाखू व गुटखे-पाऊच का सेवन करने वाले हो। धार/नालछा। नालछा विकासखंड की ग्राम पंचायत मियापुरा में काफी समय से फ्लोरोसिस का प्रकोप बना हुआ है। फ्लोराइड युक्त पानी पीने से यहां के सैकड़ों के बच्चों के दांतों में बीमारी लगी है। इसमें बच्चों के दांत पीले पड़ गए हैं और खराब हो रहे हैं। प्राथमिक व माध्यमिक स्तर तक पढ़ने वाले बच्चों के साथ-साथ बड़े लोगों को भी इस बीमारी का प्रकोप लगा है।

इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे गांव में जो पानी पीने के उपयोग में लिया जाता है उसमें भी फ्लोराइड की मात्रा अधिक है। इस प्रतिनिधि ने जब गांव में भ्रमण कर हालात जाने तो स्थिति चैंकाने वाली सामने आई। मियांपुरा के प्राथमिक विद्यालय में छोटे-छोटे बच्चों के दांत पीले पड़ गए हैं।

अधिकांश बच्चे दंतीय फ्लोरोसिस से पीड़ित हैं। वहीं माध्यमिक विद्यालय आली में मियांपुरा से जाने वाले छठीं-सातवीं व आठवीं के बच्चों में भी इसका प्रकोप देखा गया है। ग्रामीणों ने बताया कि बड़े बच्चे 18 से 20 वर्ष के लड़के व लड़कियों के दांत भी पीले पड़ गए हैं। उनके दांत को देखने पर ऐसा लगता है कि तम्बाखू व गुटखे-पाऊच का सेवन करने वाले हो।

अलबत्ता कई ग्रामीणों के दांत भी ऐसे ही देखने को मिले हैं। प्राथमिक विद्यालय परिसर में लगा हैंडपंप जो कि चालू अवस्था में है। लोगों ने बताया कि इसके पानी का स्वाद भी अलग ही है। किंतु मजबूरी में पीना पड़ रहा है।

महसूस होती है झिझक


छोटे बच्चों के साथ-साथ बड़े लड़के व लड़कियों को दांत खराब होने की वजह से उन्हें कई विपरीत परिस्थतियों का सामना करना पड़ता है। कई बार कॉलेज स्तर पर उन्हें अन्य छात्र दांत खराब होने से उपहास का पात्र भी बना देते हैं। वहीं वैवाहिक संबंधों के दौरान भी दांतों की खराबी बाधा बन जाती है।

चिंता का विषय


पानी की खराबी के चलते ग्रामीणों में चिंता बनी हुई है। अभी तो सिर्फ दांत ही खराब हुए हैं किंतु आने वाले समय में और कोई खतरनाक बीमारी को लेकर भी लोग चिंता में पड़े हुए हैं। लोगों का कहना है कि उच्च स्तर पर यहां पर पानी की जांच करना चाहिए। खासकर कुछ लोगों में विकलांगता के लक्षण भी देखे गए हैं।

जलस्रोत की स्थिति


वर्तमान में यहां पर पांच हैंडपंप चालू अवस्था में है जिसका पानी पीने के लिए उपयोग में लिया जाता है। वहीं कई लोग खेतों में बोरिंग का पानी भी पीने के लिए उपयोग में लेते हैं। इसके बावजूद भी हर घर में बच्चों को दांतों में खराबी होने की बीमारी लगी है। इससे लोगों ने ऐसी आशंका जताई है कि यहां के पानी में ही कुछ गड़बड़ी है।

मियापुर का नाम नहीं


क्षेत्र के करीब 30 से अधिक फ्लोराइड से प्रभावित ग्रामों में पेयजल पहुंचाने के लिए नालछा सिंचाई हेतु बनाए गए मानसरोवर तालाब से पाइप लाइन के माध्यम से पानी पहुंचाने के लिए बनाई गई करोड़ों रुपए की योजना पर कार्य चल रहा है। हालांकि योजना से जुड़े ग्रामों में मियांपुरा का नाम नहीं है। वैकल्पिक व्यवस्था बतौर पानी के अभाव में योजना से गांव को जोड़ा जा सकता है।

उपचार और जांच की आवश्यकता


ग्राम के सरपंच करण राठौर ने बताया कि फ्लोराइड युक्त पानी को लेकर सभी को चिंता है। यहां पर चिकित्सकों द्वारा बच्चों की जांच कर उपचार देने की आवश्यकता है। साथ ही पानी की जांच कर अन्य जलस्रोत या वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए या फ्लोराइड से मुक्ति के लिए फिल्टर प्लांट आदि की दरकार भी यहां आवश्यक है।

खास-खास


1. माध्यमिक स्तर पर 50 तथा प्राथमिक स्तर के 60 से अधिक बच्चे दंतीय फ्लोरोसिस से पीड़ित।
2. 16 से 22 उम्र के दर्जनों युवक-युवती भी ग्रसित हैं।
3. नालछा विकासखंड के ग्राम पटाड़ा व पीपलीमाल के बच्चों में फ्लोराइड से हाथ-पैर में विकृति का मामला भी सामने आ चुका है।

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