प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में उत्तराखंड

31 May 2021
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प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में उत्तराखंड
प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में उत्तराखंड

उत्तराखंड को आपदाओं का प्रदेश भी कहा जाता है समय समय पर यहां भूकंप भूस्खलन और हिमस्खलन की दर्दनाक घटनाएं सामने आती रहती है अभी कुछ समय पहले ही चमोली के रैणी गांव  के समीप हुए एक हिमस्खलन ने न सिर्फ देश का ध्यान उत्तराखंड की तरफ आकर्षित किया बल्कि विश्व भर में ये चर्चा का विषय बना रहा कि आखिर इतना भयावह हिमस्खलन कैसे हो सकता है आखिर इतना खतरनाक एवलांच का निर्माण हुआ कैसे इस खतरनाक हिमस्खलन में कुल 205 लोग लापता हुए थे और अभी इन लापता हुए लोगो का दर्द लोग भूले भी नशि थे कि चमोली में फिर एक और खतरनाक एवलांच ने विकराल रूप ले लिया ये हिमस्खलन सुमना के करीब हुआ जिसमें 293 लोगो को आईटीबीपी ने रेस्क्यू किया आज हम आपको बताएंगे कि क्या मुख्य कारण होते है जिनकी वजह से एवलांच या हिमस्खलन विकराल रूप धारण करता है 

हिमस्खलन या एवलांच (avalanche) किसी ढलान वाली सतह पर तेज़ी से बर्फ के बड़ी मात्रा में होने वाले बहाव को कहते हैं। यह आमतौर पर किसी ऊँचे क्षेत्र में स्तिथ हिमपुंज या जमी हुई बर्फ में अचानक अस्थिरता पैदा होने से शुरू होते हैं।हिमस्खलन या एवलांच होने के कई कारण हो सकते हैं किसी भी ऊँचे पर्वतीय भागों में भारी बर्फ़बारी या हिमपात होने के कारण पर्वत की ढलानों पर बर्फ जमा हो जाता है जिसके वजह से पर्वत के अस्थिर क्षेत्रों में हिमस्खलन का कारण बनता है।हवा की दिशा पहाड़ों के ढलानों पर बर्फबारी के पैटर्न के साथ-साथ बर्फ जमा के पैटर्न को भी निर्धारित करती है। यदि तेज हवा चलती है या बहती है तो पहाड़ों के ऊपरी खड़ी ढलान को ट्रिगर कर सकती है जिसकी वजह से हिमस्खलन या एवलांच होती है।दूसरी वजहधीरे-धीरे हिमपात या बर्फ़बारी के कारण पहाड़ों के ढलान पर बर्फ की परत बन जाती है जिसकी वजह से बर्फ से ढके पहाड़ों के ढलान को अतिसंवेदनशील बना देती है।तीसरा कारणगुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से भी हिमस्खलन होता है। पर्वत की ढलानों पर बर्फ़बारी की वजह से स्टीपर ढलान का निर्माण हो जाता है और यही परत दर परत जमी बर्फ बहुत ज्यादा दबाव बढ़ने की वजह से खिसक जाती हैं और तेज़ी से नीचे की ओर फ़िसलने लगती हैं।

अगला कारण पर्यावरण को दोषी मानते हुए भी समझा जा सकता है तापमान, हिमस्खलन या एवलांच के लिए महत्वपूर्ण कारकों में से एक है क्योंकि उच्च तापमान की वजह से परत दर परत जमी बर्फ की सतह पिघल जाती है। संचित बर्फ नीचे फिसलने के कारण ऊपरी परत अतिसंवेदनशील हो जाती है और नीचे की ओर फ़िसलने लगती हैं। जो एक मुख्य कारण बन जाता है हिमस्खलन का भूकंपीय लहरें भी एक हिमस्खलन का बड़ा कारण है भूकंप परत दर परत जमी बर्फ में कंपन पैदा करता है और उन्हें अतिसंवेदनशील बना देता है जिसके वजह से हिमस्खलन या एवलांच होने की संभावनाये बढ़ जाती है

अब हम उस कारण के बारे में भी बताएंगे जो रैणि आपदा के लिए एक हद तक जिम्मेदार माना जा सकता है क्योंकि वह पर एक डैम का निर्माण कार्य चल रहा था जैसा कि हम जानते हैं कि दिन-प्रतिदिन जनसंख्या बढ़ती जा रही है, जिसके लिए जनसंख्या की आवश्यकता को पूरा करने के लिए विकास गतिविधियों पहाड़ों तक पहुच गयी है। जिसकी वजह से परत दर परत जमी बर्फ को विसर्जित कर सकती है और हिमस्खलन या एवलांच होने की संभावनाये बढ़ जाती है।

वनों को पृथ्वी के फेफड़ों के रूप में जाना जाता है। वे कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को अवशोषित करते हैं जो एक ग्रीनहाउस गैस है। विगत कुछ दशकों से घरेलू, औद्योगिक और यांत्रिक जरूरतों के लिए अत्याधिक वनों की कटाई हो रही है। जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग हो रही है जिससे बर्फीले पहाड़ तक पिघल रहे हैं और पृथ्वी जलमग्न होने की संभावनाये बढ़ रही हैं  एवलांच का एक और मुख्य कारण इंसानों की ग्लेशियर के नज़दीक बढ़ती हलचल भी है   शीतकालीन खेल जैसे स्की करते लोग, स्नोमोबाईल या जानवरों की अत्याधिक आवाजाही गतिविधियों की वजह से परत दर परत जमी बर्फ विसर्जित हो सकती है और हिमस्खलन या एवलांच होने की संभावनाये बढ़ जाती है।

 

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