राइन नदी में आवाजाही


जर्मनी में यूं तो कई नदियां हैं पर छह नदियां प्रमुख हैं। इनमें राइन भी हैं। जिसे फादर राइन कहा जाता है। जर्मनी में नदियों पर बड़े बड़े जहाज़ भी चलते हैं, सैर सपाटे के लिए क्रूज़ भी और उनके साथ ही चलता है इतिहास भी।

राइन नदी पर चलने वाली नौकाओं और जहाजों के पास जर्मनी की सीमाओं में सात हज़ार किलोमीटर का जल मार्ग है। क्रूज़ जहाजों पर सैलानियों और यात्रियों ने भी कई रास्ते बनाए हैं। पानी के बीच तैरते जहाज पर दीन दुनिया से बेख़बर इन यात्राओं का अपना आनंद है।

इतिहास के नज़रिए से देखें तो पुराने रोमन साम्राज्य की उत्तरी आंतरिक सीमा राइन और डैन्यूब नदियों से बनती थी। उसी दौर से राइन एक जीवंत जलमार्ग है। व्यापारिक माल सामान और वस्तुएं इससे होकर आते जाते रहे हैं। ये एक रक्षात्मक भौगौलिक इकाई भी है। यूरोप की कुछ क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का निर्धारण राइन से ही होता है। नदी के किनारों पर बने किले और दुर्ग इसकी उपयोगिता और सामरिक महत्व के प्रतीक हैं।

 

जल यात्रा से जर्मनी की खोज


कुछ लोगों के लिए क्रूज़ की सैर एक अपमार्केट वैकेशन है जबकि कुछ लोगों के लिए ये एक रईसी बोरियत है। लेकिन क्रूज़ जहाज के डेक से जो नज़ारे दिखते हैं वे कतई ऊबाऊ और एकांगी नहीं हैं।

खुले सागर की सैर का एक बेहतर विकल्प है नदी मार्ग से सैर करना। जर्मनी में किसी भी मशहूर जलमार्ग से आप देश के इतिहास और सांस्कृतिक अतीत से भी रूबरू होते चलते हैं। राइन ही नहीं, वेज़र, डैन्यूब या मोज़ल के सफ़र भी कल्पनातीत सुंदर अवसर प्रदान करते हैं।

 

राइन है कविता और कला में बहता जीवन


राइन जर्मनी की निस्संदेह सबसे प्रसिद्ध नदी है। इसके बारे में कहानियां, कविताएं और लोक मिथक भी सबसे ज़्यादा हैं। जिस तरह भारत में गंगा को मां का भी कहा जाता है उसी तरह जर्मनी में राइन को फादर राइन कहा जाता है।

19 वीं सदी के मध्य से ही चित्रकारों और कवियों की निगाह देश के पश्चिमी किनारे को काटते इस नदी के स्वप्निल रोमानी बहाव पर पड़ी। तब से वो उनके किस्सों-कहानियों और लोकगीतों में आने लगी। हाइनरिष हाइने (1797-1856) ने अपनी सबसे प्रसिद्ध कविताओं में एक लोरेलाई उस चट्टान को समर्पित की है, जो इसी नाम से सेंट गोआरहाउज़न में राइन नदी के किनारे की एक पहाड़ी पर खडी है। दंतकथा के मुताबिक लोरेलाई एक अपूर्व सुंदरी है, जो एक ओझल-सी होती पहाड़ी के किसी मुहाने पर बैठी अपने सुनहरे बाल संवार रही है। राइन पर आवाजाही करने वाले नाविक उसकी अकल्पनीय सुंदरता के इंद्रजाल में फंसते जाते हैं और एक जानलेवा चट्टान से बेसुध होकर अपनी नाव टकरा देते हैं।

बहरहाल इस लोक कथा ने राइन को एक रहस्यमयी रोमानी छवि प्रदान की है। उसके पानी में उतर कर आप खुद को किसी और लोक में पाते हैं।

 

डैन्यूब का पानी


दक्षिणी जर्मनी के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानने में दिलचस्पी रखने वाले यात्री के लिए डैन्यूब नदी की सैर एक सुंदर विकल्प है। यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी नदी डैन्यूब के पास इतिहास के हर दौर का ख़ज़ाना है। रोमन साम्राज्य के अवशेष इसके किनारों पर और इसके पानी की झिलमिल में अब भी फैली हुई हैं।

मध्ययुग के शहर रेगेन्सबुर्ग से बहती हुई डैन्यूब नदी जर्मन सीमा को काटती है और वियेना और बुडापेस्ट की ओर बढ़ जाती है। किले और अंगूर के बगान इसके किनारों के टिमटिमाते सितारे हैं। जिन्हें बस एकबारगी छू लेने को मन मचल जाता है।

 

प्रकृति, संस्कृति और नदियों का पानी


एक प्रमुख नदी और है ओडर। जर्मनी के सबसे पूर्वी छोर की नदी। इसकी सैर जर्मनी और पोलैंड की सीमाओं का मुआयना भी करा देती है। इसके किनारों पर हैं मैरकिशे श्वाइत्स जैसे प्राकृतिक पार्क।

माग्डेबुर्ग से प्राग की नदी यात्रा उनके लिए बेहतर है, जिनके पास पर्याप्त समय है। दक्षिणपूर्वी और पूर्वोत्तर यूरोप के बीच सबसे अहम जल मार्ग बनाती है एल्बे नदी। ये मार्ग है एक हज़ार किलोमीटर लंबा। एल्बे के किनारों पर बाऊहाउस का देसाउ शहर और मार्टिन लूथर का शहर विटेनबर्ग स्थित है। सैक्सोनी सूबे की राजधानी ड्रेस्डेन भी एल्बे के किनारे स्थित है।

ये एक दिलचस्प तथ्य है कि जर्मनी की कई परिकथाएं और दंतकथाएं नदियों के साथ ही बहती है। चाहे वो राइन नदी हो या वेज़र नदी। उत्तरी जर्मनी की वेज़र नदी सैलानी को संगीत और रूमानियत की एक ऐसी दुनिया की मदहोश कर देने वाली सैर कराती है कि वापस आने को जी ही न चाहे। वेज़र के किनारे पर ही आपको संगीतकारों का शहर ब्रेमन मिलेगा, और आगे जाएं तो आपको अनायास ही हैमलिन के पीड पाइपर की करूण सुर लहरियां फिज़ां में तैरती दिखेंगी।

 

 

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