राजस्थान राज्य जल नीति 2010

15 Apr 2010
0 mins read


राजस्थान की जल नीति को 15 फरवरी 2010 को कैबिनेट सब-कमेटी ने प्रदेश की पहली जल नीति के रूप में मंजूरी दे दी है।

राज्य जल नीति के उद्देश्य हैं: सस्टेनेबल आधार पर नदी बेसिन और उप बेसिन को इकाई के रूप में लेते हुए जल संसाधनों की योजना, विकास और प्रबंधन को एकीकृत और बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाना, और सतही और उपसतही जल के लिये एकात्मक दृष्टिकोण अपनाना। नीति में पानी की पहली प्राथमिकता पेयजल, दूसरी पशुओं के लिए और उसके बाद खेती एवं ऊर्जा को देने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही भूजल दोहन के लिए कानून शहरों में बारिश जल संग्रहण को सख्ती से लागू करने के लिए नगरीय विकास विभाग से उप नियमों में संशोधन करने और पानी की दरें तर्क संगत बनाने की बात कही गई है। नीति में ड्रिप से सिंचाई को प्राथमिकता देने के साथ ही फव्वारा सिंचाई को वरीयता देने का प्रावधान किया गया है।

इस नीति में पीने के पानी को सर्वोच्च और उद्योगों को मिलने वाले पानी को अंतिम वरीयता दी गई है। नीति के अनुसार राज्य में एक जल नियामक आयोग भी बनेगा जो पानी के उपयोग पर लगने वाले शुल्क की दरें तय करेगा। नहरी क्षेत्र में नहरी पानी का उपयोग करने वाले किसानों को अब तय सीमा से अधिक उपभोग पर नई दरों के साथ भुगतान करना पड़ेगा।

इसमें ज्यादा उपयोग करने वालों को ज्यादा पैसा शुल्क के रूप में देना पड़ेगा। राज्य में अब तक जल नीति के लिए कई बार विभिन्न बिंदु तय किए गए, लेकिन उन्हें नीति के रूप में सरकारी स्तर पर लागू करने के प्रयास नहीं किए गए। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में बारहमासी नदी केवल एक चम्बल ही है। राज्य के जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, पाली जैसे शहर गंभीर पेयजल संकट से जूझ रहे हैं।

राज्य सरकार ने हाल ही दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और गत वर्ष तेरहवें वित्त आयोग के सदस्यों के समक्ष राज्यों को जलीय संकट से उबारने के लिए विशेष दर्जा देने की मांग की है। राज्य के श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिलों में नहरी पानी, भीलवाड़ा, टोंक, अजमेर, कोटा आदि में पेयजल को लेकर उग्र प्रदर्शन होते रहे हैं। हाल ही राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश सरकार से हाड़ौती क्षेत्र में पानी पहुंचाने को लेकर सम्पर्क किया। पंजाब, हरियाणा व गुजरात के साथ राज्य के वर्षो से जल विवाद चले आ रहे हैं।

 

पांच हिस्से, हिसाब से वितरण


जल नीति में राज्य को पांच अलग-अलग क्षेत्रों में बांटकर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति के हिसाब से जल वितरण करने की अनुशंसा की गई है। इसके अनुसार राज्य के बड़े शहरों (जहां पाइपलाइन से वितरण होता हो और सीवरेज लाइनें हों) में 120 लीटर प्रतिदिन, छोटे शहरों (जहां पाइपलाइन से वितरण हो रहा हो और सीवेरज लाइनें बनाए जाने का प्रावधान हो) में 100 लीटर प्रतिदिन, छोटे व कस्बाई शहरों (जहां पाइपलाइन से जल वितरण हो रहा हो, लेकिन सीवरेज लाइनें नहीं हों) में 100 लीटर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति के हिसाब से पानी दिया जाएगा। शहरों के बाद राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों (रेगिस्तानी) में 70 लीटर प्रतिदिन और गैर-रेगिस्तानी ग्रामीण क्षेत्रों में 60 लीटर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति के हिसाब से पानी दिया जाएगा।

 

जल प्रबंधन पर गंभीर


जल संसाधन मंत्री महिपाल मदेरणा की अध्यक्षता में सचिवालय में कैबिनेट सब कमेटी की बैठक हुई। इसमें जल नीति मंजूर की गई। सिंचाई जल, जलीय पर्यावरण प्रबंधन, गंदे पानी को साफ करने, जल की आपूर्ति व उससे जुड़े शुल्क, एकीकृत जल संसाधन आदि बिंदुओं पर चर्चा की गई। केंद्र सरकार के विभिन्न प्रावधानों और अन्य राज्यों में जल प्रबंधन के लिए किए जा रहे प्रयासों पर भी चर्चा हुई।

राजस्थान राज्य जल नीति 2010 का पूरा प्रारूप यहां संलग्न है, आप डाऊनलोड कर सकते हैं

1- संलग्नक अंग्रेजी प्रति
2- हिन्दी संस्करण

 

 

 

Posted by
Attachment
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading