रिसर्च : ढ़ाल क्षेत्रफल विधि द्वारा नहरों/नदियों का जल प्रवाह आंकलन


सारांश


बाढ़ की भविष्यवाणी, नहरों व नदियों में जल स्तर और कई महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिये जल प्रवाह मापन आवश्यक है। सिंचाई एवं विद्युत उत्पादन के लिये नहर के विभिन्न जल स्तरों पर जल की उपलब्ध मात्रा की जानकारी होना महत्त्वपूर्ण है। अतः समय-समय पर नहरों में जल प्रवाह आंकलन के लिये स्टेज डिस्चार्ज वक्र विकसित किये जाते हैं। प्रस्तुत लेख में टोंस नदी पर बैराज के 700m d/s में अमापित (UNGAUGED) स्थल पर डिस्चार्ज के आंकलन के लिये ढ़ाल क्षेत्रफल विधि पर आधारित विकसित सॉफ्टवेयर का उपयोग जल प्रवाह आंकलन एवं गेज डिस्चार्ज वक्र विकसित करने के लिये दर्शाया गया है।

Abstract
Discharge measurement is necessary for flood forecasting, water level in canals and rivers and many more important works. The knowledge of available water at different water levels in canals for irrigation and power generation is crucial. Therefore from time to time, gauge discharge curves are plotted for estimation of canal discharge.

In the full length paper, discharge has been estimated at an ungauged site at 700 m d/s distance from barrage at Tons River and Gauge –Discharge Curve has also been plotted using software developed based on slope area method.

1.0 प्रस्तावना


जल प्रवाह मापन भविष्य बाढ़ की भविष्यवाणी और नदियों में बढ़ते जल स्तर से होने वाले दुष्प्रभाव से बचने के लिये महत्त्वपूर्ण है। जल सन्तुलन का मूल्यांकन, जल-नियन्त्रण और जल संप्रेषण की संरचनाओं के डिजाइन के लिये एवं वर्षा-जलनिकाय और बाढ़-अनुमार्गन मॉडल अंशांकन और सत्यापन के लिये जल प्रवाह मापन बड़ा ही महत्व रखता है। नदियों में उपलब्ध जल को बाँध या बैराज बनाकर नहर प्रणालियों द्वारा घरेलु उपयोग, जल विद्युत उत्पादन, सिंचाई एवं उद्योगों हेतु जल की कमी वाले क्षेत्रों में वितरित किया जाता है। इन संसाधनों द्वारा सिंचाई एवं जल विद्युत उत्पादन हेतु एवं सर्वांगीण विकास हेतु नदियों व नहरों का विभिन्न जल स्तरों पर जल की उपलब्धता ज्ञात होना आवश्यक है।

नहर व नदियों में जल प्रवाह कई कारणों से बहुत ही कम समय में बदल जाता है। हिमालयी क्षेत्रों से स्नोमेल्ट होने पर नदियों के जल प्रवाह पर एक बड़ा प्रभाव पड़ता है। कई स्थानों पर वज्रध्वनी के साथ आने वाली आँधी मूसलाधार वर्षा का उत्पादन करती है, परिणाम स्वरूप फ्लैश बाढ़ का सामना करना पड़ता है। बाढ़ के कारण छोटी नदियों में जल स्तर में वृद्धि होना स्वभाविक है।

हाल ही में जलवायु परिवर्तन का उच्च पहाड़ हिमनदों के पर्यावरण पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हम सभी द्वारा देखा जा चुका है, 14 जून से 17 जून 2013 तक उत्तराखण्ड़ में भारी वर्षा हुई जोकि बेंचमार्क से ऊपर थी। सतत वर्षा के कारण चोराबारी ग्लेशियर पिघल गये और मंदाकिनी नदी में बाढ़ का रूप लिया। कई छोटी योजनाओं के परिकल्पन में योजनाओं के प्रारम्भ और क्षेत्रीय आँकड़ो को एकत्र करने के बीच बहुत ही कम समय (एक साल से अक्सर कम) दिया जाता है अतः इतने कम समय में क्षेत्रीय आँकड़ो को एकत्र कर स्टेज डिस्चार्ज वक्र विकसित करना जटिल एवं दुष्कर कार्य है। जल प्रवाह मापन के लिये प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तकनीक उपलब्ध है।

प्रस्तुत लेख में उत्तराखण्ड़ की टोंस नदी पर बैराज के 700 m d/s पर डिस्चार्ज के आँकलन के लिये ढ़ाल क्षेत्रफल विधि, एक अप्रत्यक्ष माप तकनीक पर आधारित GUGEDIS सॉफ्टवेयर क्षेत्रीय सिंचाई अभियन्ताओं के लाभ के लिये विकसित किया गया है। विकसित सॉफ्टवेयर को आसानी से कुछ ही समय में UNGAUGED व GAUGED स्थलों पर स्टेज डिस्चार्ज वक्र विकसित करने के लिये क्षेत्रीय सिंचाई अभियन्ताओं द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है।

2.0 जल प्रवाह मापन की विधियाँ


(i) प्रत्यक्ष माप विधि
(ii) अप्रत्यक्ष माप विधि

2.1 प्रत्यक्ष माप विधि


प्रत्यक्ष जल प्रवाह माप विधि, विकासशील या प्राकृतिक नदियों/नहरों के लिये जल प्रवाह आंकलित करने का सबसे सीधा तरीका है। इस विधि में छिन्नक (cross-section) के माध्यम से चयनित बिन्दुओं पर वेग ज्ञात कर जल प्रवाह आंकलित किया जाता है। यह सबसे लोकप्रिय तरीका है, वेग मापन के लिये current meter का प्रयोग सबसे लोकप्रिय है। अन्य तरीकों में dynamometers, floats, pitot tube का उपयोग व रासायनिक विधियों का उपयोग किया जाता है।

2.2 अप्रत्यक्ष माप विधि


जब वेग क्षेत्रफल प्रद्धति ज्यादा सटीक तरीके से डिस्चार्ज माप के लिये उपयोग नहीं की जा सकती, तब उन परिस्थितियों में यह तकनीक उपयोगी है। इस विधि में जल प्रवाह, नदियों व नहरों के सतह ढाल व छिन्नक पर निर्भर करता है। इस विधि में ढ़ाल क्षेत्रफल विधि तथा प्रयोगसिद्ध सूत्र का उपयोग करते हुए जल प्रवाह मापन किया जाता है।

2.2.1 ढ़ाल क्षेत्रफल विधि


यद्यपि ढ़ाल क्षेत्रफल विधि द्वारा दिये गए परिणामों की सटीकता वेग-क्षेत्रफल विधि द्वारा दिए गए परिणामों की तुलना में कम है तथापि यही एक ऐसी विधि है जिसे स्टेज डिस्चार्ज वक्र विकसित करने के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तरह के स्थितियों में जहाँ बाढ की भयावहता के निर्वहन को मापने के अन्य तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, वहाँ अप्रत्यक्ष माप तकनीक (ढाल क्षेत्रफल माप) का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है। ढाल क्षेत्रफल विधि में, चैनल विशेषताओं, जल की सतह के प्रोफाइल और खुरदरापन या मंदता गुणांक से जुड़े एक-समान-जल प्रवाह (Uniform flow) समीकरण के आधार पर डिस्चार्ज की गणना की जाती है।

एक नदी या नहर में जल प्रवाह की गणना खुले चैनल फार्मूलों द्वारा किया जाता है। ढाल क्षेत्रफल विधि में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला सूत्र मैनिंग्स समीकरण है।

मैनिंग्स समीकरण

2.2.1.1 मैनिंग गुणांक


अक्सर n के रूप में चिहिन्त Gauckler मैनिंग गुणांक, सतह खुरदरापन और मिट्टी सहित कई कारकों पर निर्भर करता है जो एक अनुभव से व्युत्पन्न गुणांक है। जिन परिस्थितयों में क्षेत्रफल के निरीक्षण सम्भव नहीं होते हैं तब n निर्धारित करने के लिये Gauckler मैनिंग के फार्मूले का उपयोग करके किया जाता है। कृत्रिम और प्राकृतिक नहरों के लिये अनुशंसित मैनिंग गुणांक n निश्चित करने के लिये तालिकाएँ उपलब्ध हैं।

2.2.1.2 ढाल क्षेत्रफल के लिये उपयुक्त नहर या नदी


ढ़ाल क्षेत्रफल विधि निम्न स्थानों पर उपयोग में लायी जा सकती हैः

1. सीधी नहरों व नदियों में जहाँ लम्बाई, नहर व नदी की चौड़ाई से पाँच गुना ज्यादा हो।
2. समरूप छिन्नक (uniform cross section)
3. जहाँ वनस्पति न्यूनतम हो।

चित्र 1.0 ढाल क्षेत्रफल विधि के लिये उपयुक्त स्थल

2.2.1.3 ढ़ाल क्षेत्रफल विधि की परिसीमाएं


ढ़ाल क्षेत्रफल विधि की प्रमुख सीमा यह है कि मैनिंग के सूत्र में बल/खुरदरापन गुणांक n का सही मूल्यांकन दुष्कर है। ढाल क्षेत्रफल विधि खुले चैनलों, जिसमें स्थिर सीमायें, स्थिर सतह व किनारें (जैसे रॉक या बहुत जोड़ने वाला मिट्टी) हो और अपेक्षाकृत उन चैनलों में जहाँ सतह पर मोटी मिट्टी हो, वहाँ इस विधि को उचित सटीकता के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है। यह विधि बल/खुरदरापन गुणांक चयन के कारण अनिश्चितताओं के अधीन है। बहुत बड़े चैनलों में, महत्त्वपूर्ण वक्रता होने व बहुत सपाट सतह ढलानों और उच्च तलछट भार होने पर यह विधि उपयोग के लिये उपयुक्त नहीं है।

3.0 सॉफ्टवेयर विकसन


GAUGEDIS सॉफ्टवेयर2,3 फोरट्रान-77 भाषा में मैनिंग सूत्र का इस्तेमाल कर ढाल क्षेत्रफल विधि का उपयोग करते हुए GAUGED एवं UNGAUGEDIS साईट पर प्रत्येक वांछित जल स्तर पर क्षेत्रफल (Area), नम परिधि (wetted perimeter) और हाइड्रोलिक त्रिज्या (Hydraulic Radius) की गणना एवं जल प्रवाह की गणना के लिये विकसित किया गया है जोकि सिंचाई क्षेत्रीय अभियन्ताओं के लिये बहुत उपयोगी होगा। सॉफ्टवेयर के विकास में अपनायी गयी कार्यप्रणाली अवधारणा में बहुत सरल है, सॉफ्टवेयर बुनियादी डाटा को पढ़ता है और प्रत्येक इच्छित जल स्तर पर क्षेत्रफल, नम परिधि और हाइड्रोलिक त्रिज्या की गणना करने के लिये प्रयोग किया जाता है। यदि छिन्नक प्रोफाइल दो या दो से अधिक चैनलों में विभाजित है तो सॉफ्टवेयर के परिणाम गलत हो सकते हैं। मूल रूप से एक पाठ फाइल (इनपुट डेटा फाइल) को सॉफ्टवेयर से जोड़ा जा सकता है और परिणाम बस एक फाइल का नाम देकर किसी भी फाइल में लिखा जा सकता है। कम्प्यूटर प्रोग्राम की आउटपुट फाइल आत्म व्याख्यात्मक है।

4.0 परिणाम


सॉफ्टवेयर क्षेत्रफल, नम परिधि, हाइड्रोलिक त्रिज्या, वेग की गणना करता है और अलग-अलग छिन्नकों के लिये विभिन्न वांछित gauge अन्तराल पर जल प्रवाह मापन भी करता है। यह सॉफ्टवेयर दिये गये छिन्नक के स्थान से निर्दिष्ट दूरी (नदी के ऊपर या नीचे) पर भी गेज डिस्चार्ज वक्र की गणना करने की क्षमता रखता है।

टोंस नदी पर बैराज के 700 m d/s पर लिये गये छिन्नक (cross section) के आधार पर सॉफ्टवेयर से प्राप्त परिणाम तालिका 1.0 में नीचे दिखाया गया है और गेज डिस्चार्ज वक्र चित्र 2 में दर्शाया गया है। यह सॉफ्टवेयर इच्छित स्थानों पर भी गेज डिस्चार्ज वक्र विकसित करता है।

तालिका-1 इच्छित जल स्तर पर क्षेत्रफल, नम परिधि

5.0 निष्कर्ष/उपसंहार


आज के समय में कम्प्यूटरीकरण से अधिकांश विश्लेषणात्मक कार्य सफलतापूर्वक किया जा सकता है। वर्तमान लेख में चैनल जल प्रवाह के मामले में किसी भी नदी के खण्ड में विभिन्न जल स्तर पर जल प्रवाह की गणना के लिये सॉफ्टवेयर का उपयोग सचित्र दर्शाया गया है। विकसित सॉफ्टवेयर को आसानी से कुछ ही समय में अमापित (UNGAUGED) स्थलों पर स्टेज डिस्चार्ज वक्र विकसित करने के लिये निर्माण स्थलों पर कार्यरत सिंचाई अभियन्ताओं द्वारा भी आसानी से उपयोग में लाया जा सकता है। यद्यपि इन गणनाओं को हाथ से गणना-यंत्र (कैलकुलेटर) की सहायता से भी किया जा सकता है, लेकिन यह एक बहुत समय लेने वाला और बोझिल काम है। इस सॉफ्टवेयर का उपयोग बिना किसी त्रुटि के, बहुत कम समय एवं लागत के और मानवशक्ति में काफी बचत के रूप में किया जा सकता है।

6.0 सन्दर्भ
1. चाव, वेन टी (1959) ओपन चैनल हाइड्रॉलिक्स, मैग्रा हिल कम्पनी, न्यूयार्क।
2. संत, पी.एस. (2014) गेजडिस सॉफ्टवेयर फॉर डवलपिंग गेज डिस्चार्ज कर्व इन चैनल्स/रिवर्स, सिंचाई परिकल्प संगठन, रुड़की (अप्रकाशित)।
3. संत, पी.एस. एवं चालिसगांवकर, आर. (2015) गेजडिस सॉफ्टवेयर फॉर एस्टीमेटिंग डिस्चार्ज इन रिवर्स एट अनगेज्ड साईट यूजिंग स्लोप एरिया मेथड, नेशनल कॉन्फ्रेन्स ऑन रिसर्च एन्ड इनोवेशन इन इंजीनियरिंग एन्ड टैकनॉलॉजी, इन्स्टीटयूशन ऑफ इंजीनियर्स, रुड़की, मार्च 28-29।

सहायक अभियन्ता, सिंचाई अनुसंधान संस्थान, रुड़की, उत्तराखण्ड़ प्रबन्ध निदेशक, उत्तराखण्ड़ परियोजना विकास एवं निर्माण निगम लिमिटेड़, देहरादून

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