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साईकिल यात्रा
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भगत सिंह पार्क संसद भवन से 17 से 24 नवम्बर 2009
दिल्ली यंग आर्टिस्टस् फोरम, बिहार बाढ़ विभीषिका समाधान समिति
सुबह के 3 बजे सब्जी बेचने वाले की पत्नी पति को जगाते हुए कहती है ”टेम्पो वाला हारन दे रहा है मंडी नहीं जाना है क्या?” सब्जी वाला उठता है, चुपचाप कुर्ता और चादर लेता है, आंख मलता हुआ टेम्पो पर चढ़ जाता है। करीब 7 बजे वह उसी टेम्पो से सब्जी लेकर आता है और वापस आकर सो जाता है पत्नी उन सब्जियों को साफ कर ठेले पर सजाती है। बच्चा स्कूल से वापस आकर दोपहर से सब्जी बेचता है 4 बजे तक पति भी तैयार होकर सब्जी बेचने आ जाता है, तब से 10 बजे रात तक वह दुकान पर रहता है 11 बजे दुकान बन्द कर खाना खा कर 12 बजे सो जाता है क्योंकि उसे 3 बजे सब्जी लाने मंडी जाना है।´´

किसी आलीशान शादी के पंडाल की सजावट देख कर मेजबान की मेजबानी के शौक का एहसास होता है लेकिन उसी पंडाल के पीछे छुप कर सोया हुआ एक आदमी दो कनात के बीच से जब दिखाई देता है, तब अंदर से हमारा मन इस पंडाल की खूबसूरती और रखरखाव को प्रश्न के दायरे में खड़ा करने लगता है कि ये यहां क्यूं सोया है? काश कि हमें इस बात की जानकारी होती कि करोड़ो के इस पंडाल को सजाने में पिछले तीन दिनों से यह मजदूर सोया नहीं था और आपके डिनर व डांस के बीच के मौके में छुपकर सो रहा है क्यूंकि 2 दिनों तक बिना सोये उसे फिर इस पंडाल को खोलना भी है।

साथियों ! ये टेंटवाले, सब्जीवाले कौन लोग है और क्यूं दिल्ली में आकर इस तरह की जिंदगी जीने को मजबूर है। यह जानने के लिये हमें इस पूरे चक्र को समझना पड़ेगा। आइये जानतें हैं इनकी बदहाली की कहानी के पीछे की सच्चाई।

पिछले तीन सालों से लगातार बिहार में सैलाब आने के कारण लाखों लोगों का बसा-बसाया घर उजड़ गया, लोग इस कदर परेशान हुए कि आज लाखों लोग बेघर होकर सड़कों पर जिन्दगी जी रहे हैं। हजारों बच्चों का स्कूल छूटा और आज भी वह स्कूल से बाहर ही हैं। सरकार की ऐसी कोई पहल न होने के कारण जिससे दोबारा जिन्दगी संवर सके, लोगों की मायूसी ने प्रवास का रूप लिया। 2008 के कोसी सैलाब से आज तक उन इलाके के लोग लगातार बड़ी संख्या में शहर की ओर आ रहे हैं। 2009 में सैलाब का साथ सूखे ने भी दिया, जिसके कारण लोगों में उदासी बढ़ी और प्रवास व पलायन लगातार बढ़ना जारी रहा। इन पलायन करने वालों का एक बड़ा हिस्सा दिल्ली आकर कुछ भी रोजगार कर अपनी जिन्दगी गुजारने पर मजबूर है। चाहे राजस्थान में हर साल का अकाल हो और चाहे महाराष्ट्र के विदर्भ के किसानों का कर्ज या फिर आदिवासियों की जमीन का छीनना, ये लोग पेट भरने के लिए दिल्ली जैसे शहरों की राह पकड़तें है। आज दिल्ली जैसे शहर में पहले से लाखों मजदूर अपने मानवाधिकारों को भूल कर सड़कों पर सो कर, एक कमरे में 8-10 लोग एक साथ रहकर, दो हजार रूपये में 14 घण्टे काम कर, तीन चार दिनों तक बिना किसी आराम के टेन्ट लगाने या शादी पार्टी का काम करने जैसे क्षेत्र में काम कर रहे हैं। ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि शहर में मजदूरों की कमी नहीं है। मजदूरों की अधिक संख्या को देखकर मन्दी के बहाने दिल्ली के कुछ इलाकों में 200 से 300 रुपये प्रतिमाह मजदूरी कम कर दी गई। यहां हमें लोगों का बेहतर जिन्दगी के लिए पलायन एवं बसे बसाये घर के सैलाब से उजड़ जाने या सूखे के कारण मजबूर होकर प्रवास करने में फर्क करना होगा। दिल्ली में मजदूर वर्ग चार पांच तरह से प्रवास करते है। शहर का एक बड़ा हिस्सा झुग्गी बस्तियों में रहता है एवं दूसरा बड़ा हिस्सा पुनर्वास कालोनियों में। पहले यह आबादी भी झुग्गी बस्तियों में थी जिसे विकास के नाम पर उजाड़ा गया। शहर में एक बड़ा हिस्सा बेघरों का है जो अपने रोजगार और जीने के साधन के आसपास रहता है। पिछले कुछ वषों में झुग्गियों के टूटने एवं वैकल्पिक प्लाट न मिलने के कारण इनकी संख्या में बहुत अधिक बढ़ोतरी हुई है।

मजदूर वर्ग का एक बड़ा हिस्सा कच्ची कालोनियों में रहता है। यह सरकार की नज़र में ऐसी अवैध कालोनियां हैं जो किसानों से जमीन खरीद कर बनाई गई है। इसे वैध करने का सरकारी फारमूला यह है कि यह कालोनियां चुनाव से पहले वैध होने लगती है और सरकार के गठन के बाद अवैध हो जाती हैं। इन सभी कच्ची कलोनियों, पुनर्वास कालोनियों और झुग्गी बस्तियों में बुनियादी जरूरतें जैसे पानी, बिजली, शिक्षा, सफाई और राशन की स्थिति ऐसी है मानों इन इलाकों में रहने वालों का न तो कोई मानवाधिकार है और न ही सरकार की इनके प्रति कोई जिम्मेदारी। कहीं लोग जमीन से निकाल कर कच्चा पानी पीने पर मजबूर हैं तो कहीं 2 से 3 दिनों तक टैंकर का इंतजार करने को बेबस। पानी भरने का इंतजाम इतना गैर जिम्मेदाराना हैः टैंकर बस्ती में ले जाकर खड़ा कर देना एंव पाईप खोल देना ही सिर्फ सरकारी कर्मचारियों की जिम्मेदारी है? उसमें से कितना पानी लोगों को मिल रहा, कितना बरबाद हो रहा है यह जिम्मेदारी किसी की नहीं होती।

सरकारी स्कूलों की हालत देखें तो पता चलता है कि शिक्षा सफर जैसी कोई चीज है, जो कोई गाड़ी में चढ़ेगा आगे बढ़ेगा ही। स्कूल में बच्चों का आना और आकर शिक्षक के इंतजार में बैठे रहना इन बच्चों का काम है। शिक्षक की कोई जिम्मेदारी नहीं होती उंहें पढ़ाने की।

स्कूल के रखरखाव की जिम्मेदारी किसकी है यह तो समझ में ही नहीं आता। इन सभी बस्तियों में बुनियादी जरूरतों की सभी चीजों का हाल लगभग एक जैसा ही है, और इसे ठीक करने की इच्छा सरकार के किसी भी विभाग में दिखाई नहीं देती। पर्यावरण से जुड़े इन मुद्दों के चक्र को लोगों के सामने रखने और समाधान तलाशने के लिए साईकिल यात्रा आयोजित है।

बाढ़, सूखा और प्रवास, नाकाम रहा है ये विकास!
घटी मजूरी, न बुनियादी जरुरत ही हुई पूरी !!


सम्पर्क - डी 117 भगवती विहार, उत्तम नगर, नई दिल्ली - 110059,
Email: delhiyoungartistsforum@gmail.com

S.No

Venue

Date

K.M.

1.

SHAHEED BHAGAT SINGH PARK

17.11.09

00

2.

ITO

1.0

3.

Laxmi Nagar Chowk

3.1

4.

Shashi Garden Mode

3.0

5.

Trilokpuri 13 Block Chowk

2.2

6.

L.B. Shashtri Hospital

1.0

7.

Fly Over

1.4

8.

Patpad Ganj I. A.

2.3

9.

Dilshad Garden Metro St.

4.7

10.

Jhilmil I. A.

0.6

11.

Shyam Lal Collage

3.4

12.

Seelam Pur Chowk

1.5

13.

Gokulpuri Chowk

2.9

14.

Khajuri Chowk

2.8

15.

(Sonia Vihar)

Night Stay

1.0

16.

Khajuri Chowk-

18 Nov.

1.0

17.

Nanak Sar

1.6

18.

Wazirabad

1.5

19.

TimarPur

.9

20.

Mall Road

1.4

21.

DU Art Faculty

1.6

22.

Malka Ganj Chowk

1.5

23.

Ghanta Ghar Chowk

0.5

24.

Rana Pratap Bagh

1.4

25.

Nanak Piawoo Chowk

1.4

26.

Model Town

1.8

27.

Azad Pur

2.8

28.

Mukund Pur

2.0

29.

Bhalshawa Lake

1.4

30.

Bhalshwa Punrwas Colony

1.5

31.

Bhalshwa Lake

1.5

32.

By Pass

2.1

33.

Haidar Pur

2.0

34.

Ayurvigyan Hospital

1.0

35.

Wazir Pur

Night Stay

4.2

36.

T.V.Tower

(19 Nov.)

1.7

37.

Maya ram Hospital

0.8

38.

Madhuban Chowk

1.3

39.

Sai Baba Chowk

0.9

40.

nahar pur

1.7

41.

Rohini Sec-3

0.6

42.

Mangolpur Kala

1.0

43.

Mangole puri Y Block

2.0

44.

Avantika

1.5

45.

Budh Vihar- 2

1.1

46.

Rohini Sec-24

0.6

47.

Shahbad D

5.0

48.

Puth Khurd

5.9

49.

Bawana

Night Stay

5.4

50.

Kanjhawala Chowk

20 Nov.

10.5

51.

Shabda Ghevra

7.2

52.

Prem Nagar

10.9

53.

Nagloi

1.5

54.

Ranhaula Vill.

5.1

55.

Vikas Nagar

2.4