सात हजार लाख लीटर बरसात के पानी की एफडी

28 Sep 2019
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सात हजार लाख लीटर बरसात के पानी की एफडी। फोटो स्त्रोत-naidunia
सात हजार लाख लीटर बरसात के पानी की एफडी। फोटो स्त्रोत-naidunia

मध्यप्रदेश में इस साल 1290 मिमी से अधिक यानी औसत से 39 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। बारिश हमें पूरे वर्षभर के लिए पीने और खेती के लिए पानी उपलब्ध कराती है। हजारों सालों से बारिश का यह चक्र साल-दर-साल अनवरत चलता रहता है। आज से करीब पचास साल पहले तक हमारे पुरखे बारिश के इस प्राकृतिक चक्र को बदस्तूर निभाते आ रहे थे। वे हर साल आने वाली बारिश के कुछ महीनों पहले से ही सजग होकर पानी के खजानों की देखभाल में जुट जाते थे ताकि बारिश शुरू होते ही इसकी एक-एक बूँद को सहेजा जा सके।

इंदौर में नागरथ चैरिटेबल ट्रस्ट और नगर निगम मिल कर जल मित्र के जरिए रूफ वाटर हार्वेस्टिंग लगाने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। अब तक इंदौर जल संकट के मामले में देश में 21 वें नंबर पर था। इंदौर में साढे 27 लाख की आबादी है। यहाँ हर महीने 900 एमएलडी पानी की जरूरत लगती है। फिलहाल नर्मदा से 300 एमएलडी पानी की आपूर्ति होती है। जमीन में 8 सौ से 9 सौ फीट तक पानी पंहुच गया है इसके बाद भी कहीं-कहीं जमीन में धूल उड रही है। यानी जमीन के भीतर पानी तेजी से खत्म हो रहा है।  

वे कुएँ-कुण्डी उलीच कर उनकी सफाई करते। नदी-नालों की गाद हटाते। गाँव से नदी-नालों की तरफ जाने वाली नालियों (नाड़ियों) को परखते। तालाबों के तल को साफ-सुथरा बनाते। ज्यादा से ज्यादा पानी को धरती में रंजाने की कवायद करते ताकि धरती की नीली नसों के खजाने को अगली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रख सकें। नए तालाब, कुएँ और नहरें बनाई जाती। बारिश के साथ ही पौधे लगाए जाते ताकि पर्यावरण बचा रह सके। कुल मिलाकर भरपूर कोशिश होती कि उनके गाँव खेत का एक बूँद पानी भी व्यर्थ बहने न पाए। बारिश थोड़ी-सी भी ज्यादा हो जाए तो हम जल भराव को लेकर सरकार और व्यवस्था को कोसने लगते हैं। जबकि इसके लिए उनका दोष उतना नहीं है, जितना हमारा। हम जहाँ रहते हैं, उसके आसपास बारिश के पानी को रोकने के लिए हमारी कोई तैयारी नहीं होती। जब तक हम अपनी जमीन में इस-इस पानी को थामकर रंजा नहीं पाते तब तक जल स्तर कैसे बढ़ेगा। बारिश का पानी बहते हुए हमसे दूर निकल जाएगा और हम जल स्तर कम होने का स्यापा करते रहेंगे। लेकिन इस बार मध्यप्रदेश के सबसे बडे शहर में पानी की एक ऐसी तकनीक इस्तेमाल की जा रही है जिससे इसी साल हजारों गैलन बरसात के पानी को रोककर जमीन के भीतर उतार दिया। इस तकनीक का नाम है ‘‘रूफ वाटर हार्वेस्टिंग’’। इस तकनीक के जरिए शहर में अब तक 7 हजार लाख लीटर पानी जमीन के भीतर उतार कर उसकी एफडी यानी फिक्स डिपॉजिट कर दी है। अब गर्मी के दिनों में पानी की जरूरत पडने पर इस एफडी से पानी लिया जा सकेगा। इंदौर में आने वाले एक साल के भीतर 50 हजार रूफ वाटर हार्वेस्टिंग लगाकर इंदौर को जल संकट से मुक्ति दिलाने की कोशिश की जा रही है। 

जल शक्ति अभियान से इंदौर में सकारात्मक नतीजा देखने को मिल रहा है। यहाँ बरसात के दिनों में घरों की छत पर गिरने वाला पानी व्यर्थ बह जाता है। इस पानी को बचाकर बोरवेल के जरिए पानी को जमीन में उतारने की तकनीक रूफ वाटर हार्वेसिंग पर काम किया जा रहा है। बीते साल कुछ लोगों ने रूफ वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक इस्तेमाल की थी। इससे जिन लोगों के बोरवेल जनवरी आते सूख जाया करते थे अब जून तक पानी की कमी नहीं होती। 

इंदौर में नागरथ चैरिटेबल ट्रस्ट और नगर निगम मिल कर जल मित्र के जरिए रूफ वाटर हार्वेस्टिंग लगाने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। अब तक इंदौर जल संकट के मामले में देश में 21 वें नंबर पर था। इंदौर में साढे 27 लाख की आबादी है। यहाँ हर महीने 900 एमएलडी पानी की जरूरत लगती है। फिलहाल नर्मदा से 300 एमएलडी पानी की आपूर्ति होती है। जमीन में 8 सौ से 9 सौ फीट तक पानी पंहुच गया है इसके बाद भी कहीं-कहीं जमीन में धूल उड रही है। यानी जमीन के भीतर पानी तेजी से खत्म हो रहा है।  

नागरथ चैरिटेबल ट्रस्ट के डायरेक्टर सुरेश एमजी के मुताबिक यह जरूरी है कि जमीन से पानी उलचने से पहले उसमें बरसाती पानी को डिपॉजिट करें। हमारी कोशिश है कि नगर निगम और सरकार की मदद से हम अगले साल तक 50 हजार रूफ वाटर हार्वेस्टिंग लगवाएँ ताकि बारिश के व्यर्थ बहने वाले पानी को रोक कर हम इंदौर शहर को ‘सेव वाटर‘  में भी नंबर वन बनाएँ। एक हजार स्क्वेयर फीट के ‘‘जी प्लस वन यानी’’ एक मंजिला मकान में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग लगाने का खर्च पांच हजार रुपए होता है। इससे एक से सवा लाख लीटर पानी सहेजा जा सकता है। 

क्या है रूफ वाटर हार्वेस्टिंग -

रूफ वाटर हार्वेस्टिंग ऐसी तकनीक है जिससे घर की छत पर गिरने वाले बारिश के पानी को पाईप और फिल्टर के जरिए गुजारते हुए अपने ही घर के बोरवेल में छोडा जा सके। इससे बारिश का साफ सुथरा पानी अपने ही बोरवेल को रिचार्ज करेगा। इसमें घर की छत के पानी को पाईप से जोडा जाता है। बोरवेल में छोडे जाने से पहले एक फिल्टर लगाया जाता है जो पानी को फिल्टर करता है। पहली बरसात के पानी के बाद गिरने वाले पानी को फिल्टर के जरिए बोरवेल में उतारा जा सकता है।  

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