सीएसई का बारहवां मीडिया फैलोशिप- आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ायी गई

सेंटर फॉर साईंस एंड एन्वायर्न्मेंट (सीएसई) की पापिया समजदार से प्राप्त सूचना के अनुसार सीएसई के बारहवें मीडिया फैलोशिप- वाटरबॉडीज इन इंडिया: पब्लिक स्पेस, प्राइवेट डिजायन- में आवेदन करने की अंतिम तिथि बढाकर 31 मई,2011 कर दी गई है। इस सिलसिले में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए कृपया निम्नलिखित नंबर पर फोन या फैक्स करें- फोन: 011-29955124, 29955125, फैक्स: 011-29955879' 9811906977

उद्योग-धंधे, शहरीकरण, बढ़ती आबादी, आधे-अधूरे कानून-- जमीन ही नहीं जलाशयों पर भी इन सबका भारी दबाब है। हजारो-हजार की तादाद में नदी-तालाब, झील-झरने, नहर-नाले और जलागार इन सबका दबाब झेल रहे हैं। एक तरफ देश के शहर हैं जहां कम पड़ते पीने के पानी के लिए हाय-तौबा मची है तो दूसरी तरफ हैं जलाशयों पर नजर गड़ाये बैठे रीयल इस्टेट और उद्योग-धंधों के मालिकान और इन दोनों के बीच हैं कानून रचने वाले वे सत्ताधीश जो कुछ और ही सोच रहे हैं। डायरेक्टरी ऑव एशियन वेटलैंडस्(1989) के अनुसार, भारत में कुल 27,403 जलाशय हैं और ये जलाशय कुल 40 लाख 10 हजार हेक्टेयर का क्षेत्रफल घेरते हैं। वाइल्ड लाइफ इस्टीट्यूट ऑव इंडिया के एक सर्वेक्षण के मुताबिक देश में जलाशयों का क्षेत्रफल सालाना 2 से 3 फीसद की रफ्तार से घट रहा है।जलाशयों को हथियाने के हालिया उदाहरणों में एक है भावनगर(गुजरात) स्थित निरमा सीमेंट फैक्ट्री और इसकी दूसरी मिसाल है ककरापल्ली(आंध्रप्रदेश) में बनने वाला ऊर्जा-संयंत्र।

सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायर्नमेंट(सीएसई) की और से इस विषय के व्याख्या-विश्लेषण या ऐसी घटनाओं से जुड़ी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए मीडिया फैलोशिप प्रदान की जा रही है। नीचे उन संभावित विषयों में से कुछ के शीर्षक सुझाये गए हैं जिनकी जांच-परख आप इस फैलोशिप में कर सकते हैं--:

जलाशयों का जबरिया अधिग्रहण

संघर्ष और जन-आंदोलन

जल-प्रबंधन से जुड़े कानून और उनका इस्तेमाल

जलाशयों का वर्गीकरण

जैव-विविधता

जीविका और जल

वेटलैंड बैंकिंग

प्रदूषण

फैलोशिप की अवधि-

इस फैलोशिप के लिए दो माह(1 जून,2011 से 1 अगस्त, 2011) की अवधि प्रस्तावित है। इसमें एक महीना खोज-यात्रा के लिए और दूसरा महीना शोध, लेखन, प्रकाशन तथा लिखित-प्रकाशित सामग्री(स्टोरी और फीचर) की सुपुर्दगी के लिए है।

फैलोशिप की रकम(यात्रा तथा अन्य खर्च सहित)

चयनित अभ्यर्थियों को कुल 40 हजार रुपये( टीडीएस नियमों के अधीन) की रकम बतौर स्टाइपेन्ड दी जाएगी। यह रकम शोध, खोज-यात्रा और निर्धारित अवधि में लिखित सामग्री तैयार करने के लिए होगी।

स्टाइपेन्ड की रकम दो किस्तों में दी जाएगी- पहली किस्त यात्रा-भत्ता के रुप में होगी और इसे फैलोशिप की अवधि की शुरुआत में दिया जाएगा। दूसरी किस्त परियोजना की सफल समाप्ति के बाद निर्गत की ।

अपने आवेदन-पत्र के साथ निम्नलिखित सामग्री जरुर भेजें-:


अभ्यर्थी का आत्मवृत(Curriculum vitae)

प्रिन्ट के पत्रकार अपनी तीन प्रकाशित(वैकासिक मुद्दों से संबंधित) रचनाएं बतौर सैम्पल संलग्न करें। यहां प्रकाशित शब्द से आशय किसी क्षेत्रीय या राष्ट्रीय अख़बार या पत्रिका में प्रकाशित सामग्री से है।

क्षेत्रीय भाषाओं में पत्रकारिता करने वाले अभ्यर्थी कम से कम अपने एक आलेख का अंग्रेजी अनुवाद आवेदन पत्र के साथ जरुर संलग्न करें।

टेलीविजन और रेडिया के लिए पत्रकारिता कर रहे अभ्यर्थी वैकासिक मुद्दों पर प्रसारित कम से कम दो सामग्री अपने आवेदन-पत्र के साथ भेजें। क्षेत्रीय भाषाओं में टेलीविजन या रेडिया पत्रकारिता कर रहे अभ्यर्थी अपने आवेदन-पत्र के साथ भेजे जा रहे प्रसारित कार्यक्रम(सैम्पल) का एक सार-संक्षेप भेजें और साथ में उसकी सीडी भी।

अभ्यर्थी अपने आवेदन-पत्र के साथ किसी अख़बार, पत्रिका या फिर रेडिया-टीवी चैनल के संपादक का आश्वस्ति-पत्र भी संलग्न करें कि फैलोशिप के अन्तर्गत प्रस्तुत सामग्री का प्रकाशन-प्रकाशन किया जाएगा। (फ्रीलांस पत्रकारों को छोड़कर सभी अभ्यर्थियों के लिए अनिवार्य)

अभ्यर्थी अपने आवेदन के साथ शोधपत्र का प्रस्ताव (एक व्यापक रुपरेखा) प्रस्तुत करें जिसमें बताया गया हो कि आप किस या किन विषयों को लेकर खोज-यात्रा करेंगे, किन कथा-विचारों के अन्तर्गत अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे। इसमें यात्रा का विवरण(अंतरिम) और जिन लोगों का साक्षात्कार लिया जाना है, उनके नामों की सूची भी संलग्न करें।

आवेदन-पत्र जमा करने की आखिरी तारीख- मई 15, 2011(यह अवधि बढ़ाकर अब 31 मई,2011 कर दी गई है)

बहुत संभव है सीएसई की तरफ से फैलोशिप की शुरुआत के समय प्रस्तावित विषय पर एक संक्षिप्त कार्यशाला आयोजित की जाय। चयनित अभ्यर्थी और दिलचस्पी रखने वाले कुछ अन्य पत्रकारों को इसमें आमंत्रित किया जाएगा।

चयनित अभ्यर्थियों से अपेक्षा-

चयनित अभ्यर्थियों(प्रिन्ट के पत्रकार) से अपेक्षा होगी कि वे फैलोशिप की अवधि में कम से कम 5000 शब्दों की सामग्री का प्रकाशन करें। यह फीचर या फिर न्यूज-आयटम या अभ्यर्थी की सुविधा के लिहाज से रिपोर्ताज या अन्य विधा में हो सकता है। फैलोशिप की समाप्ति पर प्रकाशित रचनाओं की मूल कॉपी प्रस्तुत करें। अभ्यर्थियों से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी खोज-यात्रा के दौरान ली गई तस्वीरें भी प्रकाशित सामग्री के साथ भेजेंगे।

ऑडियो-विजुअल माध्यम के पत्रकारों से अपेक्षा है कि वे या तो एक फिल्म बनायें या फिर विषय को बतौर धारावाहिक प्रस्तुत करें। यह सामग्री खोज-यात्रा पर आधारित होनी चाहिए। अभ्यर्थियों को फैलोशिप की अवधि की समाप्ति पर सामग्री की वीडियो और सीडी प्रस्तुत करनी होगी।

आवेदन-पत्र निम्नलिखित पते पर भेजें-

पापिया समजदार
असिस्टेंट कोऑर्डिनेटर

मीडिया रिसोर्स सेंटर
सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायर्नमेंट
41, तुगलकाबाद इंस्टीट्यूशनल एरिया
नई दिल्ली - 110 062

फोन- 011-29955124, 29955125, Fax: 011-29955879
मोबाइल - 9811906977

ईमेल: papia@cseindia.org
वेवसाइट: www.cseindia.org

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