संसद में उठा राजसमंद झील भरने का मुद्दा

सांसद ने कहा-जलभराव और सुरक्षा पर ध्यान दे सरकार
सांसद हरिओम सिंह राठौड़ ने राजसमंद झील को भरने के स्थायी स्रोत तलाशने का मुद्दा लोकसभा में सोमवार को उठाया।

लोकसभा में नियम 377 के तहत चर्चा में उन्होंने कहा कि नौ-चौकी तथा राजसमन्द झील ऐतिहासिक और विश्वप्रसिद्ध मीठे पानी की झील है। इसके राज प्रशस्ति-पत्र और शिलालेख भी यहाँ मौजूद हैं। झील को मेवाड़ के महाराणा राजसिंह ने बनाया था, जो पिछले कई वर्षों से यह अपनी भराव क्षमता के अनुरूप पूरी नहीं भर पाई है। इससे पीने के पानी के साथ-साथ सिंचाई की समस्या भी गम्भीर हो गई है। सांसद राठौड़ ने आसन के माध्यम से समस्या के समाधान के लिए नई योजनाओं के तहत नदी और फीडर से राजसमन्द झील को जोड़ने का प्रस्ताव रखा, ताकि आने वाले समय में जल-संकट से त्रस्त जनता को राहत मिल सके।

राठौड़ ने झील के रख-रखाव और सुरक्षा के विषय कोभी इंगित किया। भीम विधायक हरिसिंह रावत ने विधानसभा में देवगढ़ कॉलेज का मुद्दा उठाया। उन्होंने उच्च शिक्षा मन्त्री कालीचरण सर्राफ से सृजित व भरे गए पदों की जानकारी माँगी, जिसके जवाब में मन्त्री ने बताया कि एक प्राचार्य, व्याख्याताओं के चार तथा एक पद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का भरा है, जबकि कुल 20 में से 14 पद खाली हैं। उन्होंने कहा कि नई भर्ती के लिए अभ्यर्थना आरपीएससी को भेज दी है। निर्धारित मानदण्ड पूरे होने पर व्यवस्था कर दी जाएगी। विधायक ने पूरक प्रश्न किया कि यह कब तक सम्भव होगा? मन्त्री ने कहा कि बाकी पद अशैक्षणिक कर्मचारियों के हैं, जो अगले सत्र तक भर दिए जाएँगे। भीम कॉलेज में नए विषय खोलने के मापदण्डों पर विधायक ने कहा कि 30 किमी की परिधि का मापदण्ड है, जबकि भीम से ब्यावर 55, भीलवाड़ा 100 और पाली 90-100 किमी दूर पड़ता है। इस क्षेत्र के करीब साढ़े छह सौ विद्यार्थी अण्डर ग्रेजुएट की पढ़ाई कर रहे हैं। सरकार प्रत्येक पंचायत मुख्यालय के स्कूल में वाणिज्य और विज्ञान विषय खोल रही है, तो कॉलेज में ये विषय क्यों नहीं है?

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