सफाई अभियान का एकमात्र सूत्र - ‘देवालय से पहले शौचालय’

26 Dec 2015
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संकीर्ण मानसिकता से ऊपर उठकर देखेंगे तो समझ आएगा कि जैसे मन्दिर में जाने से पहले शरीर को शौचालय जाकर साफ-सुथरा रखना हमारी प्राथमिकता होती है वैसे ही देश जैसे मन्दिर को हम गन्दा कैसे रख सकते हैं? हमारी सरकारों ने भी सफाई यानी स्वच्छता को कठोरता से लिया है। यूँ तो स्वच्छता अभियान पिछली यूपीए सरकार के समय 2012 को ‘निर्मल भारत’ अभियान के तहत शुरू किया गया था लेकिन जब आज़ादी के 67 वर्ष बाद, स्वतंत्रता दिवस पर ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रथम सम्बोधन 15 अगस्त 2014 में इस अभियान को उद्घोषित करते हुए कहा कि मेरे देश को ‘देवालय से भी पहले शौचालय’ की जरूरत है तो देशवासियों को सफाई अभियान की प्राथमिकता, प्रेरणास्वरूप, तीक्ष्ण गति से समझ में आई। महात्मा गाँधी के 145वें जन्मदिवस पर राजघाट नई दिल्ली से 2 अक्टूबर 2014 को मोदी ने खुद हाथों में झाड़ू उठाकर इस अभियान का शुभारम्भ करते हुए महात्मा गाँधी जी के 150वें जन्मदिवस यानी 2019 तक भारत को इस अभियान के माध्यम से ‘स्वच्छ’ बनाने का दृढ़ संकल्प लिया।

यह अभियान दुनिया के सभी स्वच्छ अभियानों में से अब तक का सबसे बड़ा अभियान माना जा रहा है क्योंकि एक ही दिन में स्कूलों व कॉलेजों के विद्यार्थियों समेत लगभग 30 लाख सफाई कर्मचारी इस अभियान का हिस्सा बने। इस अभियान को तीव्र गति देने के लिये उन्होंने देश व समाज की 9 जानी-मानी हस्तियों को इस अभियान का ब्रांड अम्बेसडर बनाया। सचिन तेन्दुलकर, प्रियंका चोपड़ा, अनिल अम्बानी, सलमान खान, पूर्व मंत्री शशि थरूर, बाबा रामदेव, कपिल शर्मा, समाज सेविका मृदुला सिन्हा व मशहूर तारक मेहता का उल्टा चश्मा (टी.वी. सीरियल लोगो) को केन्द्रीय स्तर पर इस अभियान का हिस्सा बनाया।

उद्देश्य : यहाँ एक तरफ अन्य उन्नत देशों के मुकाबले सफाई के आधार पर स्वच्छ बनाकर देश की छवि को सुधारना है वहीं सदियों से भारत में चली आ रही सिर पर मैला ढोने की लानत से छुटकारा दिलाकर देश व समाज को समकक्षी बनाना है। गाँवों में खास तौर पर खुले में शौचालय जाने की आदत को हरेक घर में शौचालय बनाकर बदलना जिससे बीमारियों से निजात दिलाकर स्वस्थ भारत का निर्माण हो सके। टीवी के माध्यम से जागरुकता पैदा कर लोगों को इसका हिस्सा बनने प्रति प्रेरित करना। शहरों में से कूड़ा-करकट को आधुनिक उद्योगों के माध्यम से बिजली संयंत्र लगाना व वेस्ट मैनेजमेंट के जरिए वातावरण को हाईजेनिक बनाना। भारत को स्वच्छ व हरित भारत बनाना। पंचायती राज संस्थाओं को इस अभियान के माध्यम से स्वास्थ्य चेतना के साथ जोड़ना। महात्मा गाँधी के स्वच्छ भारत स्वप्न को मूर्त रूप देना। इसका उद्देश्य तकरीबन 1.04 करोड़ शौचालयों का निर्माण करना है।

475 चिन्हित शहरों व कस्बों की इस उद्देश्य को लेकर रैंकिंग तय की गई है। 22 नवम्बर 2015 को मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार सबसे स्वच्छ शहरों को सूचीबद्ध किया गया है, जिसके मुताबिक चंडीगढ़ नम्बर एक पर है, 2- मैसूर (कर्नाटक), 3- सूरत (गुजरात), 4- तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु), 5. नवी मुम्बई (महाराष्ट्र), 6-कोच्चि (केरल), 7- हसन (कर्नाटक), 8- मांड्या (कर्नाटक), 9- बंगलुरु (कर्नाटक), 10- तिरुवन्नतपुरम (केरल), 11- हालीशहर (पश्चिम बंगाल), 12- गंगटोक (सिक्किम), 13- जयपुर (राजस्थान) को रखा गया है जबकि सबसे गन्दे शहरों में रैंकिंग के हिसाब से न्यूनतम भिंड (मध्य प्रदेश) (475), पलवल (हरियाणा) (474), भिवानी (हरियाणा) (473), चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) (472), बुलन्दशहर (उत्तर प्रदेश) (471), निमच (मध्य प्रदेश) (470), रेवाड़ी (हरियाणा) (469), हिंदुअन (राजस्थान) (468), सम्बलपुर (ओड़िशा) (467) स्थान पर रखा गया है। उद्देश्य केवल स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के साथ स्वच्छता अभियान के माध्यम से उन्नत शहरों को समकक्ष लाना व जवाबदेही को सुनिश्चित करना है। केन्द्रीय सरकार द्वारा वर्ष 2014 (अप्रैल) से जनवरी 2015 तक 31.83 लाख शौचालयों का निर्माण किया गया। पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के तहत 86,781 शौचालयों को बनाया गया। निजी क्षेत्र के माध्यम से टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, महिन्द्रा ग्रुप तथा रोटरी इंटरनेशनल ने 3195 शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा है।

सुझाव : दूसरे विश्व युद्ध के बाद यहाँ यूरोपीय देशों में मर्दों के अत्यधिक संहार के बाद लिंग असन्तुलन पैदा होने के कारण लाखों टन हथियारों के कचरे व गन्दगी को साफ करने हेतु विशेषकर महिलाओं ने स्वच्छता अभियान की चुनौती को स्वीकार कर इसे अंजाम तक पहुँचाया। जहाँ इस अभियान को सफल बनाने हेतु सभी भारतवासियों को एकजुट होना होगा वहीं भारत के 65 प्रतिशत युवाओं जिनके कारण विश्व में भारत को युवा देश की संज्ञा दी गई है को विशेष रुचि लेकर स्वस्थ भारत बनाना होगा, तभी स्वस्थ्य भारत स्वच्छ होगा। देश स्वच्छ तब होगा जब हम अपना नजरिया बदलेंगे। जैसा प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने सम्बोधन में आह्वान किया कि अगर 125 करोड़ भारतवासी प्रण कर लें कि हमको देश में गन्दगी नहीं फैलानी तो विश्व की कोई भी ताकत भारत को गन्दा नहीं कर सकती। मेरा दृढ़ विश्वास है कि एक दिन मोदी जी के स्वच्छता अभियान को जरूर कामयाबी मिलेगी। इसके लिये केवल प्रेरणा देने के लिये ही सही एक निर्णय लेकर एक दिशा इस अभियान को देनी होगी। भारत को तब बड़ी शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है जब भारतीय रेलगाड़ी दिल्ली या अन्य बड़े शहरों में दाखिल होती है। रेलवे लाइन पर जब हजारों लोग शौच करते दिखाई देते हैं तो विदेशों से आये लोगों को भारत की उन्नति को लेकर दिए गए आँकड़ों पर शक पैदा होता है। अरबों रुपए इस अभियान पर खर्चे जा रहे हैं। क्या इस नारकीय दृश्यों के भारत के शहरों को विशेषकर पहल के तौर पर दिल्ली को निजात नहीं दिलाई जा सकती?

अगर हम देश के इस बहुआयामी अभियान को कामयाब बना लें तो न केवल हमारा जीवनस्तर ही ऊँचा उठेगा बल्कि विश्व में भारत की छवि स्वस्थ, स्वच्छ भारत की उभरेगी। खासतौर पर दिल्ली को इस अभियान की जुबान बनाने का प्रयोग करना हितकर रहेगा। इससे प्रधानमंत्री मोदी का सपना ‘देवालय से पहले शौचालय’ व महात्मा गाँधी के कथन ‘जहाँ सफाई वहाँ भगवान’ को बल मिलेगा। मात्र एक सूत्र से इस अभियान को सफल किया जा सकता है। मोदी जी व महात्मा गाँधी जी के सपनों को मूर्त रूप दिया जा सकता है क्योंकि मंजिल तक पहुँचने के लिये ताकत के साथ-साथ प्रेरणा की ज्यादा जरूरत होती है। प्रधानमंत्री मोदी के सपनों व हौसलों से देशवासियों का हौसला जुड़ गया तो इस देश को अपनी मंजिल पर पहुँचने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती। क्योंकि ‘‘मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, अरे पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।’’

ईमेल : dpchandan@yahoo.com

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