शरीर को रखें पानी से लबरेज बने रहेंगे फिट-हिट


गर्मी के मौसम शरीर में पानी की कमी आपके ऊर्जा के स्तर को कम कर सकती है, नतीजतन आप सुस्त और बीमार हो सकते हैं, ऐसे में केवल पानी और लिक्विड डाइट से शरीर को लबरेज रखते हुए खुद को स्वस्थ और तन्दरुस्त बना सकते हैं।

जलगर्मियों में पसीना निकलने की वजह से हमारे शरीर को ज्यादा पानी की जरूरत होती है। इस जरूरत को हम पानी के साथ ही अन्य तरल पदार्थों का सेवन कर भी पूरा कर सकते हैं। पानी एक न्यूट्रिएंट की तरह होता है, जो सिर्फ पानी से ही नहीं बल्कि पेय पदार्थ और खाने की कुछ चीजों से भी प्राप्त किया जा सकता है। पानी युक्त सभी चीजें शरीर से रोजाना होने वाली पानी की कमी को पूरा करने में मदद करती हैं। त्वचा से निकलने वाला पसीना, साँस, मूत्र और मल के जरिए हमारे शरीर से रोजाना पानी निकलता है, जो अच्छे स्वास्थ्य के लिये जरूरी भी है। इन सभी आउटपुट के अनुसार जब पानी की मात्रा शरीर में नहीं पहुँचती है तो डीहाइड्रेशन होने लगता है।

संतुलित रहता बॉडी फ्लूड


हमारा 60 फीसदी शरीर पानी का बना होता है। शरीर में तरल का इस्तेमाल पाचन, अवशोषण, संचार, लार का निर्माण, पोषक तत्वों का वहन और शरीर का तापमान बनाए रखने में होता है। पीयूष ग्रंथि के पिछले हिस्से के जरिए मस्तिष्क किडनी को बताती है कि यूरिन से कितनी मात्रा में पानी निकलना चाहिए और कितना संग्रहित किया जाना चाहिए। शरीर में तरल की मात्रा कम होने पर मस्तिष्क शरीर को थर्स्ट मैकेनिज्म यानी प्यास लगने का अनुभव कराता है। इस कमी को पानी, जूस, दूध, कॉफी या अन्य तरल पदार्थ से पूरा किया जा सकता है।

कब्ज से मिलती राहत


पर्याप्त मात्रा में पानी होने पर गैस्ट्रोइंटेसटाइनल टैक्ट से आसानी से चीजें फ्लो करती हैं और कब्ज होने की आशंका कम रहती है। उचित मात्रा में तरल न होने पर कोलोन मल से पानी लेने लगता है, जिससे कब्ज बनने लगती है।

किडनी करेगी ठीक से काम


शरीर में उपलब्ध तरल उपस्थित अपशिष्ट पदार्थों को कोशिकाओं के अन्दर और बाहर वहन करता है। हमारे शरीर में ब्लड यूरिया नाइट्रोजन मुख्य टॉक्सिन के तौर पर उपलब्ध रहता है। यह पानी में आसानी से घुल जाता है और किडनी के जरिए यूरिन से बाहर निकल जाता है। शरीर में जब तरल की पर्याप्त मात्रा होती है तो किडनी टॉक्सिन से छुटकारा दिलाने और साफ-सफाई करने का काम आसानी से करती है। पानी की उचित मात्रा होने पर यूरिन का रंग हल्का और बदबू रहित होता है जबकि पानी की कमी से रंग, गन्ध और सान्द्रता बढ़ जाती है।

कम करता है कैलोरी


वेट लॉस स्ट्रैटेजी में पानी खूब पीने की सलाह दी जाती है। लेकिन प्रत्यक्ष तौर पर इससे वजन कम होता नहीं है। दरअसल उच्च कैलोरी के पेय पदार्थ की जगह जब पानी लिया जाता है तब इसका असर दिखता है। यानी अगर आप कैलोरी वाले पेय पदार्थ की बजाय पानी या कम कैलोरी वाले तरल या खाने का सेवन करेंगे तो ज्यादा संतुष्टि मिलने के साथ ही कैलोरी भी कम होगी। पानी वाली चीजें ज्यादा बड़ी होती हैं और उन्हें ज्यादा चबाने की जरूरत होती है। साथ ही इसका अवशोषण धीरे होता है और पेट लम्बे समय तक भरा हुआ लगता है। फल, सब्जी, सूप ओटमील और बीन्स आदि को शामिल किया जा सकता है।

नहीं थकेंगी मांसपेशियाँ


हमारे शरीर में जब कोशिकाएँ तरल और इलेक्ट्रोलाइट्स के बीच संतुलन नहीं बना पाती हैं तो मांसपेशियाँ थक जाती हैं। पानी की कमी से मांसपेशी कोशिकाएँ सही तरीके से काम नहीं कर पाती और उनकी परफॉर्मेंस पर असर पड़ने लगता है। यही वजह है कि विशेषज्ञ एक्सरसाइज के दौरान थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी पीते रहने की सलाह देते हैं। एक्सरसाइज करने से दो घंटे पहले करीब 17 आउंस पानी पीना चाहिए और एक्सरसाइज के दौरान थोड़े-थोड़े अन्तराल में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी पीते रहना चाहिए। इससे पसीने से होने वाली पानी की कमी पूरी होती रहती है। पर्याप्त पानी पीते रहें तो शरीर से कई अन्य बीमारियाँ भी दूर ही रहती हैं।

कुछ भ्रांतियाँ और वास्तविकता


हम अक्सर सुनते हैं कि रोजाना कम-से-कम 8 गिलास पानी पीना चाहिए?
देश-विदेश में हुई कई रिसर्च में यह सामने आया है कि शरीर को सिर्फ पानी नहीं बल्कि दूसरे तरल पदार्थों की भी आवश्यकता होती है। इसमें जूस व अन्य पेय पदार्थ जिनमें पानी की मात्रा होती है, शामिल हैं।

बोतलबंद पानी दाँतों के लिये ठीक नहीं होता है?
दरअसल बोतलबंद पानी में फ्लोराइड की मात्रा नहीं होती, जबकि नल के पानी में फ्लोराइड होता है, जो दाँत और हड्डियों के लिये फायदेमंद होता है। इसका मतलब यह नहीं कि बोतलबंद पानी से दाँतों का क्षय होता है। हालांकि लम्बे समय फ्लोराइड युक्त पानी की कमी से दाँतों में कैविटी हो सकती है।

ज्यादा पानी पीने से त्वचा में निखार आता है?
वास्तविकता में त्वचा की रंगत और नमी का प्रत्यक्ष तौर पर कोई सम्बन्ध नहीं होता है। मॉइश्चर लेवल स्किन क्लींजिंग, पर्यावरण, स्किन की देखभाल और तेल ग्रंथियों पर त्वचा की नमी निर्भर करती है। जो पानी हम पीते हैं वो एपिडर्म तक नहीं पहुँचता है। हालांकि बहुत ज्यादा डीहाइड्रेशन होने पर पूरे शरीर पर ही असर दिखाई देता है।

प्यास लगने का मतलब डीहाइड्रेशन है?
वास्तविकता में प्यास तब लगती है जब रक्त की सान्द्रता दो प्रतिशत से कम तक बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब सान्द्रता 5 प्रतिशत तक बढ़ जाती है तब डीहाइड्रेशन होने लगता है।

प्लास्टिक की बोतल का बार-बार इस्तेमाल नहीं करना चाहिए?
इन बोतलों में केमिकल्स होते हैं जो बार-बार पानी भरने से उसमें मिलते रहते हैं। अगर बोतल में मुँह लगाकर पानी पिया जाता है और उसे अच्छी तरह साफ नहीं किया जाता तो मुँह के बैक्टीरिया उसमें जगह बना लेते हैं।

हाई लेवल एथलेटिक्स में पानी की बजाय स्पोर्ट्स ड्रिंक्स की जरूरत होती है?
यह बिल्कुल गलत है। स्पोर्ट्स या विटामिन युक्त पेय पदार्थों का स्वाद अच्छा होता है और महँगे भी होते हैं लेकिन हाइड्रेशन के लिये जरूरी कतई नहीं हैं। इन ड्रिंक्स का इस्तेमाल शरीर में नमक की कमी पूरा करने के लिये किया जाता है जो पसीने के जरिए निकलता है। पानी सभी उम्र के एथलीट के लिये जरूरी होता है क्योंकि यही एक जरिया है जिससे शरीर में पोषक तत्वों और ऊर्जा का वहन होता है। साथ ही अत्यधिक गर्मी को कम किया जाता है।

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