शहरीकरण से बढ़ता जल संकट

20 Apr 2021
0 mins read
शहरीकरण से बढ़ता जल संकट
शहरीकरण से बढ़ता जल संकट

आज भारत एक गहरे जल संकट के दौर से गुजर रहा है । और देश मे शहरों का विस्तार लगातार जारी है वर्ष 2001 में जारी जनगणना के हिसाब से भारत मे तब 26.75 प्रतिशत आबादी शहरों में रहती थी जो दस साल बाद यानी 2011 में करीब  3.35 फीसदी दर से बढ़कर 30 प्रतिशत तक पहुँच गई । एक अध्ययन के अनुसार अगले 10 सालों,वर्ष 2030 तक  देश की 40 प्रतिशत आबादी शहरों में रहने लगेगी।यानी 2001 में शहरी आबादी जहाँ 28 करोड़ थी 10 साल बाद 2011 में  में वहा  37.7 करोड़ तक पहुँच गई।  और 2030 तक यह 60 करोड़ हो जाएगी। ऐसे में कितने लोगों को स्वच्छ पानी मिल पायेगा ये कल्पना से परे है आज देश में पानी की उपलब्धता और गुणवता की समस्या बढ़ती जा रही है ऐसे में सवाल उठता की भारत मे इतना पानी शहर और ग्रामीण इलाकों में जरूरत पूरी कर पायेगा या नही? जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत द्वारा लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में बताया गया कि मौजूदा समय में भारत के 19.2 करोड़ ग्रामीण घरों में सिर्फ 56 करोड़ घरों तक नल के जरिए पानी की आपूर्ति की जा रही है इसका मतलब है कि देश के 34 फ़ीसदी ग्रामीण घरों तक पानी पहुंच गया है।  अगर देश के ग्रामीण इलाकों में 100 पीस दी नल से जल पहुंचने की बात करें तो देश के सिर्फ दो राज्यों  के अलावा 52 जिलों  63  ब्लॉक  40086  पंचायतों और 76196  गांवों तक नल के जरिए पीने का साफ पानी पहुंच चुका है। 

वही जल शक्ति राज्य मंत्री रतनलाल कटारिया ने मार्च 2020 में जानकारी दी कि साल 2001 में देश में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 1816 घन मीटर थी जो वर्ष 2011 में घटकर 1545 घनमीटर रह गई वर्ष 2021 में यह और कम होकर 1486 घनमीटर रह गई।  जो साल 2031 में 1367 घन मीटर रह जाएगी। यानी जनसँख्या के बढ़ने से देश में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता कम होती जाएगी  नेशनल रिपोर्ट सेंसिंग सेंटर के प्रयोग से हाइड्रोलॉजिकल मॉडल और वाटर बैलेंस का इस्तेमाल कर सेंट्रल वॉटर कमिशन ने 2019 में रिएसेसमेंट ऑफ़ वाटर अवेलेबिलिटी ऑफ वाटर बेस इन इंडिया यूजिंग स्पेस इनपुट नाम की रिपोर्ट जारी की थी इसके मुताबिक या पता चला है कि देश जल संकट के दौर से गुजर रहा है भूजल अत्यधिक दोहन एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है अभी भी देश मे  हैंड पंप वाले कुएं 2 करोड़ से अधिक लगने की वजह से भूजल का स्तर लगातार गिर रहा है। 

सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के मुताबिक देश में  पानी की मात्रा 0.4 मीटर कम रही है इस वजह से बहुत बड़े पैमाने पर मिट्टी का कटाव और गाद जमा होता जा रहा है। शहर की आबादी के लिए विभिन्न जल स्रोतों से पानी लाया जा रहा है वही राजधानी दिल्ली के लिए 300 किलोमीटर दूर उत्तराखंड के टिहरी बांध से पानी पहुँचाया जा रहा है आईटी हब की रूप में जाने जाने वाले हैदराबाद में पानी 116 किलोमीटर दूर कृष्णा नदी के नागार्जुन सागर बांध से पहुँचया जा रहा है। जबकि  बेंगलुरु के लिए 100 किलोमीटर दूर कावेरी नदी से पानी की आपूर्ति की जा रही है।राजस्थान के  उदयपुर शहर के लिए जयसमंद झील से पानी लिया जा रहा है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से झील सिकुड़ती जा रही है,कम वर्षा के कारण उसमें पानी लगातार सूख रहा है जिससे आने वाले समय में नई आबादी को पानी की किल्लत से जूझना पड़ेगा। कायलाना झील राजस्थान के जोधपुर से आठ किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। यह एक निर्मित झील है सदाबहार जल तत्व की कमी और मॉनसून में बदलाव के चलते शहरों में जल संकट की स्थिति पैदा हो रही है  वही नदियों में पानी की कमी के कारण किसानों के बीच भी इसको लेकर लड़ाई हो रही है ,  शहर के कुछ क्षेत्रों का गांव से सट्टे होने के कारण किसानों को  फसलों के लिये पर्याप्त पानी नही मिल पा रहा है जिससे फसलों का उत्पादन घट रहा है।  

गांव के पानी को शहरों की तरफ मोड़ने से ग्रामीण इलाकों में भी चिंतन हो रहा है। ऐसा ही एक उद्धरण भारत के दक्षिण राज्य तमिलनाडु  का है जहाँ राजधानी चेन्नई में पानी की जरूरत के लिए जब वीर नामा झील में गहरी बोरिंग की गई तो किसानों ने इसके खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया और  पंपिंग स्टेट और पानी की सप्लाई के लिए लगाए गए पाइप क्षतिग्रस्त कर दिए । किसानों की नाराजगी के कारण राज्य सरकार को इस योजना को पूरी तरह से बंद करना पड़ा। गर्मी में मध्यप्रदेश के कुछ शहरों मे पानी की समस्या इतनी विकराल हो गई थी  कि पानी की सप्लाई करने के लिए राशन की दुकानों से कूपन बांटना पड़ा था विकट जल संकट से जूझ रहा  मध्यप्रदेश के शिवपुर शहर में पानी की सप्लाई करने के लिए प्रशासन ने 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी ट्यूबल्स को अपने अधिकार में ले लिया था देवास में 222 किलोमीटर लंबी वाटर सप्लाई पाइप लाइन को किसानों से बचाने के लिए कर्फ्यू तक  लगाना पड़ा ।

इससे  स्पष्ट है कि पर्यावरण पर पानी की मांग पर बदलाव आ रहा है। अब कृषि क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के बजाए विस्तार पाते शहर औद्योगिक क्षेत्र में पानी की जरूरतों को पूरा किया जा रहा है। देश में  बढ़ते जल सकंट को रोकने के लिये भारत सरकार को शहरों में भी गांव के जल संरक्षण के पुराने तौर तरीकों को अपनाने में ज़ोर देना होगा ताकि शहरों में पानी के लिये गांवों पर निर्भरता कम हो जाये। और आने वाले सालों में न ही शहर और ना ही गांवों को जल संकट का सामान करना पड़े।

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading