सतही अपवाह को भंडारित करने वाली एक ढंकी हुई भूमिगत सरंचना जिसे स्थानीय भाषा मं टंका कहते है। इस प्रकार के टंके भारत के शुष्क प्रदेशों में अधिकांश रूप से प्रयोग में लाये जाते है। टंका 3 से 4 मी. व्यास का एक गोल गङ्ढा खोदकर उसके आधार एंव किनारे की दीवारों को 6 मी.मी. मोटे लाईम मोर्टार या 3 मी.मी. मोटे सिमेंट मोर्टार से प्लास्टर किया जाता है। टंकों का निर्माण पत्थर अथवा ईट की दीवार बनाकर भी किया जाता है परन्तु ऐसे टंकों की निर्माण लागत ज्यादा आती है।
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