टिकाऊ कृषि प्रोत्साहन के लिये कृषि परामर्श

27 Mar 2018
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किसान अपना अधिकतम समय खेतों में कृषि चुनौतियों से लड़ने में बिताते हैं, चाहे वो कीटों का आक्रमण हो या सूखे दिन। इस कारण, अच्छी कृषि प्रबन्धन की योजनाएँ बनाना और उनका पालन करना अतिरिक्त बोझ बन जाता है। इन बाधाओं को पहचानकर हम कुछ अच्छी हस्तक्षेप और नीतियाँ बना सकते हैं जो महत्त्वपूर्ण हों। ऐसी स्थिति में यह लाभप्रद टेक्नोलॉजी - टेक्स्ट-आधारित रिमाइंडर उपयोग की वृद्धि कर सकती है। सूक्ष्म कणों के क्षेत्र में यह पाया गया है कि ये बचत के स्तर को धीरे-धीरे आगे बढ़ाने में सहायक होते हैं और उन्हें पूर्व संस्थापित लक्ष्यों के मार्ग पर ला सकते हैं। नियमित परामर्शों के रूप में किसानों को सीधे मौसम की पूर्वानुमान जानकारी पहुँचाने के लिये मोबाइल का तेजी से उपयोग किया जा रहा है। इन परामर्शों का प्रयोग किसानों को टिकाऊ और परिवर्तनात्मक कृषि पद्धति से परिचय कराने के लिये भी किया जा रहा है, जो उपज की बढ़ोत्तरी और लागत को कम करने में योगदान दे सकते हैं। शोध से यह पता चला है कि जिन किसानों ने इस प्रकार के परामर्शों को अपनाया है, वे कीटनाशकों और उर्वरकों का कम प्रयोग करके अपनी कृषि लागत घटा रहें हैं और उन्होंने इन पद्धतियों को अपनाकर उत्पादों में लाभ कमा रहे हैं।

व्यावहारिक अनुसन्धान में हुई आधुनिक प्रगति से पता चलता है कि कैसे सूचना और संचार टेक्नोलॉजी टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने और प्रयोग की मात्रा में सुधार ला सकती है। डुफो एट अल बताते हैं कि किसान, खासकर तनाव के समय या साल के व्यस्त समय में अक्सर अपनी योजना बनाने में तथा उचित कार्य करने में असफल रहते हैं और इसके बाद खेतों में जरूरी कार्यविधि करने से चूक जाते हैं। विशेषतः यह ध्यान रखना उचित होता है कि अच्छे कृषि प्रबन्धन के लिये, प्रबन्धन पद्धतियों में और टिकाऊ कृषि में उच्चतम व्यवस्था की जरूरत होती है।

किसान अपना अधिकतम समय खेतों में कृषि चुनौतियों से लड़ने में बिताते हैं, चाहे वो कीटों का आक्रमण हो या सूखे दिन। इस कारण, अच्छी कृषि प्रबन्धन की योजनाएँ बनाना और उनका पालन करना अतिरिक्त बोझ बन जाता है। इन बाधाओं को पहचानकर हम कुछ अच्छी हस्तक्षेप और नीतियाँ बना सकते हैं जो महत्त्वपूर्ण हों। ऐसी स्थिति में यह लाभप्रद टेक्नोलॉजी - टेक्स्ट-आधारित रिमाइंडर उपयोग की वृद्धि कर सकती है। सूक्ष्म कणों के क्षेत्र में यह पाया गया है कि ये बचत के स्तर को धीरे-धीरे आगे बढ़ाने में सहायक होते हैं और उन्हें पूर्व संस्थापित लक्ष्यों के मार्ग पर ला सकते हैं। स्वास्थ्य सम्बन्धी हस्तक्षेप में भी यह पाया गया है कि मरीज़ों को टेक्स्ट संदेशों के ज़रिये नियमित रिमाइंडर पहुँचाने से उनके चिकित्सा आहार नियम पालन करने में बढ़ोतरी होती है।

कृषि कार्य के सन्दर्भ में बात करें तो, टेक्स्ट सन्देश के रूप में समायोजित रिमाइंडर, वायदे और कार्यक्रम बनाये रखने में, किसानों को लक्ष्यों के अनुसार काम करने में व्यक्तिगत सहायता दे सकता है। टेक्स्ट-आधारित परामर्श सेवाएँ महत्त्वपूर्ण हैं किन्तु ये आमने-सामने बातचीत के माध्यम का पूरी तरह से स्थान नहीं ले सकती। हालाँकि भारत में मोबाइल फ़ोन का उपयोग अधिक हुआ है पर यह मानना भी ज़रूरी है कि किसान नए टेक्नोलॉजी और पद्धतियों को ज़्यादा उपयुक्त तरीके से नहीं अपनाते है जब तक इन पद्धतियों की बैधता क्षेत्रों में जाकर हम स्वयं इसे प्रदर्शित करते हैं।

WOTR में कृषि विशेषज्ञों और प्रशिक्षित पैरा-कृषि विज्ञानियों की टीम ( जो प्रोजेक्ट क्षेत्रों में ही रहते हैं) किसानों को उनके ज़रूरतों और माँगों के अनुसार जरूरी समर्थन करते हैं साथ हीं उन्नत तकनीकों के निरन्तर पालन को बढ़ावा देने के लिये उन्हें मार्ग प्रदान करता है ताकि उनके साथ लगातार जुड़े रह सके। वर्तमान में WOTR 66,817 किसानों को फसल विशेष परामर्श भेजता है। यह परामर्श किसानों को आई.एम.डी. द्वारा प्रदान की गई मौसम पूर्वानुमान जानकारी है। यह जानकारी परियोजना वाले गाँवों में स्थित और पाँच जिलों में फैला हुआ 104 स्वचालित मौसम केंद्रों के एक नेटवर्क द्वारा इकठ्ठा की गई स्थानीय मौसम की जानकारी है। इसके साथ, किसानों को फसल विशेष जानकारी प्राप्त होती है जोकि टिकाऊ प्रबन्धन पद्धतियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करता है।

अगर हमें किसानों को स्थानीय रूप से उपयोगी जानकारी और पद्धतियाँ प्रदान करना है और साथ ही इसके उच्चतम उपयोग और इसे अपनाने को प्रोत्साहित करना है तो व्यक्तिगत रूप से और आई.सी.टी. आधारित भागीदारी, दोनों का संयोजन ज़रूरी है। यह हमें किसानों से मिली प्रतिक्रियाओं के द्वारा परामर्शों को मान्य करने और सुधारने का मौका देता है। यह समझने के लिये अनिवार्य है कि कैसे कृषि परामर्शों को बढ़ाया जा सकता है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि एक बड़े स्तर पर किसानों को उपयोगी और व्यावहारिक जानकारी प्रदान करने के लिये क्या किया जाना चाहिए। हमारे क्षेत्रीय कामों के द्वारा हमने यह सीखा है कि हमारे परामर्श अधिक प्रभावशाली होते है जब उनमें स्पष्टापूर्वक, खेती स्तर पर व्यक्तिगत सन्दर्भ को ध्यान में रखा जाता है।

कृषि-परामर्शों का विस्तार बड़े पैमाने पर है, महाराष्ट्र में केवल, सरकार ने ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (जी.के.एम.एस.) और एम-किसान सेवाओं के द्वारा 50 लाख किसानों को पंजीकृत किया है। इस पैमाने पर पारम्परिक तकनीकों का इस्तेमाल करके व्यक्तिगत और अनुकूलित परामर्श तैयार करना सम्भव नहीं है। इस चुनौती से लड़ने के लिये, WOTR आई.एम.डी., सी.आर.आई.डी.ए., राज्य कृषि विश्वविद्यालय (एस.ए.यु.) और महाराष्ट्र सरकार के साथ मिलकर एक आई.टी. समर्थित कॉन्टेक्स्ट प्रबन्धन और निर्णय समर्थन प्रणाली विकसित करने के लिये काम कर रहा है। यह हमें किसानों तक बड़े स्तर पर पहुँचने में मदद करेगा और किसानों की आवश्यकताओं को भी सावधानी से पूरा किया जा सकेगा। इस प्रकार से किसानों को बदलते मौसम और बदलते कारकों से निबटने और इनके अनुकूल बनाने के लिये एक प्रभावशाली कदम उठाना होगा।

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