तिल-तिल मर रही बिहार की सरिसवा नदी


नेपाल के बारा जिले के 47 कल-कारखाने नदी में छोड़ रहे विषाक्त जल
.बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों की जीवनदायिनी सरिसवा नदी तिल-तिल कर मर रही है। प्रमुख कारण पड़ोसी देश नेपाल के कल कारखानों से निकला विषाक्त पानी है। प्रदूषण से नदी किनारे बसे लोगों का जीना मुहाल हो गया है। लोग लिवर की बीमारी और जलजनित अन्य रोगों से असमय काल कवलित हो रहे हैं। नदी को बचाने के लिये जारी अभियान को अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी है। नेपाल प्रशासन ने प्रदूषण के जिम्मेदार कारखानों को नोटिस देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है।

सरिसवा नेपाल के बारा जिले के रामवन निंकुज के समीप से निकलती है। बारा और पर्सा जिले की करीब 22 किलो मीटर की यात्रा कर पनटोका पंचायत के समीप भारतीय सीमा में प्रवेश करती है। उद्गम स्थल से कुछ दूरी तय करने के बाद ही बारा जिले के लगभग 147 कल कारखानों का अपशिष्ट पदार्थ नदी में प्रवाहित होने लगता है। दुष्प्रभाव से जलीय पौधे व जीव जंतु समाप्त हो गए हैं। नदी की मौत सन्निकट देख भारत नेपाल सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आंदोलन शुरू किया। दबाव बढ़ने पर नेपाल के बारा व पर्सा जिला प्रशासन ने जाँच कमेटी गठित की। कमेटी ने पर्यावरण की सुरक्षा व प्रदूषण मामले में नेपाल प्रशासन को रिपोर्ट सौंपी। पर्सा जिले के पर्यावरण कार्यकर्ता और जाँच कमेटी के प्रमुख रितेश त्रिपाठी के मुताबिक, 47 कल कारखानों द्वारा जहरीला जल नदी में छोड़ने की पुष्टि हुई। नेपाल के अंतरिम संविधान के मुताबिक यह अन्तरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। ऐसे कारखानों की अनुज्ञप्ति रद्द हो सकती है। प्रशासन ने जल शोधन संयंत्र लगाने के लिये नोटिस दिया।

नदी किनारे की आबादी बीमार


सरिसवा नदी के किनारे रक्सौल शहर के आठ मोहल्ले और चार गाँव बसे हैं। यहाँ पिछले चार वर्ष में एक दर्जन से अधिक लोग लिवर सिरोसिस से दम तोड़ चुके हैं। कई लोग जीवन मौत से जूझ रहे हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सा प्रभारी डॉ. शरतचंद्र वर्मा ने कहा कि दुर्गंधयुक्त पानी से शहर में मच्छरों का प्रकोप बढ़ा है। चर्मरोग, लिवर सिरोसिस, पीलिया, गेस्ट्रोट्राइटिक्स व सांस सम्बंधी रोगों का फैलाव हो रहा है।

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading