तटबंधों की निगरानी और बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने में ड्रोन करेगा मदद

बागमती बाढ़ प्रबंध योजना के तहत हैड रेगुलेटर सह सड़क पुल निर्माण
बागमती बाढ़ प्रबंध योजना के तहत हैड रेगुलेटर सह सड़क पुल निर्माण

बिहार सरकार इस बार बाढ़ से निबटने के लिए जमीनी स्तर पर तो काम कर ही रही है, साथ ही साथ इस साल अत्याधुनिक तकनीकों के भी भरपूर इस्तेमाल पर जोर दे रही है।

सोशल मीडिया

पिछले दिनों तटबंधों में दरार या कटाव की जानकारी प्राप्त करने के लिए जल संसाधन विभाग ने सोशल मीडिया पर #HelloWRD अभियान शुरू किया था, जिसमें कोई भी व्यक्ति अपने क्षेत्र के तटबंधों की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए सरकार तक पहुंचा सकता है।

ड्रोन के जरिए निगरानी

अब आपदा प्रबंधन विभाग ने तटबंधों की निगरानी ड्रोन से करने का फैसला लिया है। आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ड्रोन के जरिए निगरानी से तटबंधों के बारे में रिअल टाइम जानकारी मिल पाएगी, जिससे तेजी से तटबंधों की मरम्मत की जा सकेगी। ड्रोन का इस्तेमाल तटबंधों की निगरानी करने के साथ ही बाढ़ के हालात बन जाने पर फंसे हुए लोगों के ठिकाने के बारे में पता लगाने में इस्तेमाल किया जाएगा। 

मौजूदा व्यवस्था में फंसे हुए लोगों की तरफ से जानकारी मिली जानकारी के आधार पर बचाव कार्य किया जाता है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि लोगों की तरफ से अपने ठिकाने की जानकारी देने के बावजूद उन्हें ढूंढना कठिन हो जाता है। ड्रोन की मदद से इस समस्या का हल निकल जाएगा और लोगों के ठिकाने की सटीक जानकारी मिल पाएगी। इससे ये फायदा होगा कि फंसे हुए लोगों को तुरंत बरामद कर सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाया जा सकेगा।  

सभी जिलों को भेजा गया पत्र

इस संबंध में पिछले दिनों आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव अमृत प्रत्यय ने सभी जिलों के जिला मजिस्ट्रेटों और प्रमंडलीय आयुक्तों को पत्र लिखकर अवगत करा दिया है। 

पत्र में अमृत प्रत्यय लिखते हैं, “बाढ़ या अन्य आपदाओं के समय खोज एवं बचाव के दौरान आनेवाली कठिनाइयों को देखते हुए ड्रोन के उपयोग की आवश्यकता महसूस की जा रही है। बाढ़ के दौरान नावों से लोगों के निष्क्रमण के दौरान सुदूर क्षेत्र में फंसे होने पर उनकी सही स्थिति ज्ञात नहीं होने के कारण बचाव व राहत कार्य में कठिनाई उत्पन्न होती है। अन्य आपदाओं में भी लोगों के फंसे होने पर उनकी स्थिति की जानकारी  ड्रोन की मदद से प्राप्त की जा सकती है। ड्रोन के परिचालन के संबंध में पूर्व से गाइडलाइन निर्गत है।”

आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, 22 जून को राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक में बाढ़ व अन्य आपदाओं के दौरान फंसे हुए लोगों के ठिकानों के बारे में पता लगाने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल की हरी झंडी मिल गई थी, जिसके बाद इसकी जानकारी सभी जिलों के आला अधिकारियों को दे दी गई है।

आपदा प्रबंधन विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने इंडिया वाटर पोर्टल को बताया, “अभी बाढ़ की स्थिति नहीं है और हमारे अधिकारी हर जगह आसानी से पहुंच रहे हैं, इसलिए फिलहाल ड्रोन का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। हमलोग ड्रोन का इस्तेमाल तब करेंगे, जब प्रभावित क्षेत्रों में हमारी पहुंच सीमित हो जाएगी।”

जल संसाधन विभाग की तरफ से 8 जुलाई की शाम जारी बुलेटिन के अनुसार, खगड़िया के बालतरा स्टेशन में कोसी नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, लेकिन बिहार के बाकी फ्लड मॉनीटरिंग स्टेशनों पर नदियां खतरे के निशान के नीचे हैं।

उन्होंने आगे कहा, “पूरे राज्य में 20-25 संवेदनशील जगह हैं, जहां कमोबेश हर साल तटबंध टूटते हैं और बाढ़ के गंभीर हालात बन जाते हैं। हमलोग इन संवेदनशील जगहों पर ड्रोन का इस्तेमाल करेंगे।”


हर साल बाढ़ से होता है करोड़ों का नुकसान

तटबंध को कटाव से बचाने के लिये मरम्मत कार्यतटबंध को कटाव से बचाने के लिये मरम्मत कार्य

गौरतलब हो कि बिहार में खासकर उत्तरी बिहार में कमोबेश हर साल बाढ़ आती है, जिससे जान-माल दोनों का भारी नुकसान होता है। बिहार का 76 प्रतिशत हिस्सा बाढ़प्रवण है।  पिछले साल बाढ़ ने सूबे के 13 जिलों की 1269 पंचायतों के 88.46 लाख लोगों को प्रभावित किया था। इस बाढ़ में 130 लोगों की मौत हुई थी। इससे पहले वर्ष 2018 की बाढ़ में बिहार के तीन जिलों के 15 ब्लॉक प्रभावित हुए थे। इन 15 ब्लॉक में 127 गांव तो ऐसे थे, जो चारों तरफ से बाढ़ के पानी से घिर गए थे। इस बाढ़ में 513.65 लाख रुपए की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी और 23 लोगों की मौत हुई थी।  

इससे पहले वर्ष 2017 में 22 जिलों के 214 ब्लॉक बाढ़ की चपेट में आ गए थे। साल 2017 की बाढ़ में 815 लोगों की जान चली गई थी और 857036 लोगों को राहत शिविरों तक पहुंचाया गया था। इस बाढ़ में 68587 लाख रुपए की फसल बर्बाद हुई थी। वहीं, वर्ष 2016 की बाढ़ ने 31 जिलों के 185 ब्लॉक के गांवों को प्रभावित किया था और 458 लोगों की जान चली गई थी। 

जानकार मानते हैं कि फसलों के नुकसान को बाढ़ से बचा पाना मुमकिन नहीं है, लेकिन लोगों, मवेशियों व लोगों की संपत्तियों को काफी हद बचाया जा सकता है बशर्ते कि तटबंध टूटने या पानी बढ़ने की जानकारी सही समय पर पहुंचे और कार्रवाई हो। इस लिहाज से ड्रोन के जरिए तटबंधों की निगरानी और फंसे हुए लोगों के ठिकानों का पता लगाना एक प्रभावी उपाय साबित होगा, अगर इसे ईमानदारी से लागू किया जाए। 

आपका साथ

हम निरंतर इस बात की अपील कर रहे हैं कि आप भी अपने इलाके में तटबंधों में किसी भी प्रकार की दरार या अन्य कोई समस्या देखें तो तुरंत हेल्पलाइन नं 18003456145 पर कॉल कर जानकारी  साझा करें।

ट्विटर पर @WRD_Bihar (जल संसाधान विभाग) को टैग करते हुए #HelloWRD के साथ लोग तटबंधों की जानकारी दे सकते हैं। सूचना मिलने पर विभाग तुरंत संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों को सूचित करेगा और त्वरित कार्रवाई की जाएगी।

आप इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी) पर भी जानकारी साझा कर सकते हैं। जानकारी देते समय आप अपना नाम, स्थान, मोबाइल नं., ईमेल और फोटो भी साझा करें। आपकी व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी। 

हमसे संपर्क करें- ट्विटरफेसबुकइंस्टाग्रामई-मेल 

 

अंग्रेजी अनुवाद पढ़ने के लिये यहां क्लिक करें

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