तूफान और तबाही

5 May 2018
0 mins read

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, अधिक तापमान, हवा में नमी और कम दबाव का क्षेत्र बन जाने से तूफान का आना लाजिमी है और चूँकि यह सब कुछ अचानक ही होता है, ऐसे में, व्यावहारिक तौर पर ऐसे बवंडर से बचने का वक्त ही नहीं मिल पाता। हालांकि इस तूफान की सूचनाएँ थीं, लेकिन अलर्ट पर काम नहीं किया गया। ठीक इसी दौरान आन्ध्र प्रदेश में तकनीक के इस्तेमाल के कारण प्राकृतिक विपदा से होने वाली तबाही को कम-से-कम करने में सफलता मिली।

विगत बुधवार को आँधी-पानी से उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत देश के दूसरे कई राज्यों में सौ से अधिक मौतें तो हुईं ही, सैकड़ों पशु मारे गये, मकान ध्वस्त हुये तथा पेड़ टूटने और बिजली के खम्भे गिरने के अलावा गेहूँ और आम की फसल भी बर्बाद हुई।

उत्तर प्रदेश के आगरा में सर्वाधिक मौतें हुई और ताजमहल समेत ऐतिहासिक स्मारकों को भी नुकसान पहुँचा। ऐसे ही राजस्थान में भरतपुर, धौलपुर और अलवर में भारी तबाही हुई।

करीब 132 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से चली हवा के कारण कई जगह पुल टूट गये और व्यापक इलाकों में बिजली की आपूर्ति भी ठप हो गई। पश्चिमी विक्षोभ, बंगाल की खाड़ी से आई पूरबिया हवा और हरियाणा के ऊपर बने चक्रवात को इस बवंडर का कारण बताया जा रहा है।

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, अधिक तापमान, हवा में नमी और कम दबाव का क्षेत्र बन जाने से तूफान का आना लाजिमी है और चूँकि यह सब कुछ अचानक ही होता है, ऐसे में, व्यावहारिक तौर पर ऐसे बवंडर से बचने का वक्त ही नहीं मिल पाता। हालांकि इस तूफान की सूचनाएँ थीं, लेकिन अलर्ट पर काम नहीं किया गया। ठीक इसी दौरान आन्ध्र प्रदेश में तकनीक के इस्तेमाल के कारण प्राकृतिक विपदा से होने वाली तबाही को कम-से-कम करने में सफलता मिली।

आन्ध्र के तटीय इलाके में लगातार आकाशीय बिजली गिरी, जिससे अधिक मौतें होती हैं। लेकिन राज्य की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने एक एप के जरिये इस प्राकृतिक दुर्योग की अग्रिम सूचना बीस लाख से अधिक मोबाइल फोन धारको को दे दी थी, जिससे लोग सतर्क हो गये थे।

प्राकृतिक दुर्योग को बेशक टाला नहीं जा सकता, पर इसकी अग्रिम चेतावनी देकर लोगों को सजग किया ही जा सकता है। देश के कई राज्यों में आने वाले दिनों मे ऐसे ही तूफान की चेतावनी मौसम विभाग और राष्ट्रीय आपदा निवारण प्राधिकरण ने दी है।

उत्तर प्रदेश में तो सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को तूफान की आशंकाओं के बारे में चौकन्ना रहने को कहा है। पिछले बुधवार को जान माल की जैसी क्षति हुई, उसकी भरपाई तो सम्भव नहीं है, लेकिन आने वाले तूफान से पहले लोगों को सजग कर और पर्याप्त तैयारी कर नुकसान को कम-से-कम करने के बारे में जरूर सोचा जाना चाहिए।

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading