थियेटर बेस्ड ट्रेनिंग का कॉन्सेप्ट

30 Nov 2013
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ड्रामा बेस्ड ट्रेनिंग प्रोग्राम आजकल काफी इफेक्टिव साबित हो रहा है। इससे किसी टॉपिक या थीम को अलग-अलग तरह से समझ सकते हैं।

पिछले 2-3 साल में इंडिया में थियेटर बेस्ड कॉरपोरेट ट्रेनिंग का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। कंपनियां ऐसे प्रोग्राम का इस्तेमाल मैनेजमेंट चेंज और लीडरशिप डेवलपमेंट से लेकर कल्चर और पर्सनल इश्यूज सुलझाने के लिए करती हैं। इसका मकसद पार्टिसिपेंट्स की निजी जिंदगी और उसकी च्वाइस बेहतर बनाना है जिसका सीधा असर उसके वर्क और प्रोफेशनल बिहेवियर पर पड़ता है।

बाहर के अनुभवों को देखकर उस पर बात करने और ऐसी कोई फिल्म देखना जो खुद से रिलेट करती हो, दोनों का असर एक जैसा होगा। पिछले तीन साल में थियेटर बेस्ड ट्रेनिंग फर्म्स की संख्या तेजी से बढ़ी है। स्टेप्स ड्रामा को कॉरपोरेट थियेटर प्रोग्राम से सालना 20 लाख पौंड की आमदनी होती है। इंग्लैंड से बाहर इसकी अकेली सब्सिडियरी इंडिया में है।

2010 में एचएसबीसी में ट्रेनिंग प्रोग्राम के बाद स्टेप्स इंडिया में ब्रांच खोली थी। कई प्रोफेशनल्स नौकरी छोड़कर थियेटर बेस्ड ट्रेनिंग वेंचर ‘योर्स ट्रुली थियेटर’ पर फोकस करते हैं। उनके मुताबिक, यह काम बहुत अच्छा है। ऑर्गेनाइजेशनल रीस्ट्रक्चरिंग के जरिए कई बड़ी कंपनियां अपने एंप्लॉयीज को ट्रेनिंग दे रही हैं। वे ऐसे प्रोग्राम का इस्तेमाल अलग-अलग लेवल के मैनेजमेंट ट्रेनिंग के लिए करती है।

ऐसे प्रोग्राम का मकसद बिहेवियर की अहमियत बताना और ऑडियंस को ऐसी तकनीक समझाना है, जिससे वह मैनेजिंग टीम से जुड़े सभी पक्षों को समझ सके।

ड्रामा बेस्ड ट्रेनिंग प्रोग्राम आजकल काफी इफेक्टिव साबित हो रहा है। इससे किसी टॉपिक या थीम को अलग-अलग तरह से समझा जा सकता है।

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