ट्यूब की जुगाड़ नाव में पहुँची अस्पताल रुखसाना

जुगाड़ नाव से बाढ़ में अस्पताल जाती गर्भवती महिला
जुगाड़ नाव से बाढ़ में अस्पताल जाती गर्भवती महिला

बिहार में बाढ़ का कहर बढ़ता ही जा रहा है। पिछले दिनों तक बाढ़ का असर 8 जिलों में ही था, अब ये 10 जिलों तक फैल गया है।

आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से जारी नए आंकड़ों के मुताबिक, 10 जिलों की 426 पंचायतों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है और इससे 7,65,191 लोग प्रभावित हुए हैं, लेकिन प्रभावित आबादी के लिए महज 28 रिलीफ कैंप संचालित हो रहे हैं, जहां बहुत कम लोग ठहरे हुए हैं। प्रभावितों का एक बड़ा हिस्सा अब भी बाढ़ के पानी में घिरा हुआ है, लेकिन सरकार की मदद उन तक नहीं पहुंची है. हालांकि सरकार का दावा है कि प्रभावितों तक राहत सामग्री पहुंच रही है।

आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “प्रभावितों को सुरक्षित निकालने के लिए नेशनल डिजास्टर रेस्पांस फोर्स और स्टेट डिजास्टर रेस्पांस फोर्स की 21 टीमें तैनात हैं और पूर्वी चम्पारण में 8 कैंप, गोपालगंज में 12 और पश्चिमी चम्पारण में 5 रिलीफ कैंप चल रहे हैं।”

अकेले दरभंगा में 3.26 लाख लोग बाढ़ की चपेट में

बाढ़ का सबसे ज्यादा प्रभाव दरभंगा में दिख रहा है। यहां सबसे ज्यादा 3,26,344 लोग बाढ़ की चपेट में हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि यहां एक भी राहत शिविर संचालित नहीं हो रहा है। अलबत्ता सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 122 कम्युनिटी किचेन चल रहे हैं और एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की दो टीमें तैनात हैं।

यहां के 11 प्रखंडों की 98 पंचायतों मे बाढ़ का पानी फैला हुआ है। लोगों का आरोप है कि प्रभावित पंचायतों में न तो सरकारी मदद पहुंच रही है और न ही पर्याप्त नावें दी गई हैं।

जिले के केवटी प्रखंड के असराहा गांव में  भी बाढ़ का पानी घुसा हुआ है, पिछले दिनों गांव की गर्भवती महिला रुखसाना परवीन को अचानक पेट में दर्द उठा, लेकिन कोई नाव नहीं थी, तो ग्रामीणों ने ट्यूव व लकड़ी का इस्तेमाल कर नाव बनाई और महिला को अस्पताल पहुंचाया।

गर्भवती महिला के परिजनों ने बताया कि सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली, इसलिए गांव के लोगों ने ट्यूब से नाव बनाई, तब जाकर महिला को अस्पताल ले जाया जा सका। उनकी मां कहती हैं,

“बहुत मुसीबत है। हमारे घर के आंगन तक पानी पहुंच चुका है। गांव के लोगों ने ट्यूब से नाव बना दी, वरना मैं बेटी को अस्पताल नहीं ला पाती।”

गांव के स्थानीय युवक और जुगाड़ तकनीक से नाव बनाने वाले साहिल अब्बास ने कहा, “पूरी पंचायत के लिए सिर्फ एक नाव दी गई है, जो इतनी बड़ी आबादी के लिए अपर्याप्त है, इसलिए ट्यूब से नाव बनाने की नौबत आई।”

गांव की मुखिया साजिरा परवीन ने इंडिया वाटर पोर्टल को बताया,

“गर्भवती महिला विकलांग है। उसे जब दर्द उठा, तो उनके पिता ने मुझे फोन किया। हमलोगों ने गांव के तीन-चार लड़कों को इकट्ठा कर जुगाड़ से नाव बनाई और उसे अस्पताल भिजवाया।” 

उन्होंने कहा, “मेरी पंचायत में लगभग 700 घरों में बाढ़ का पानी घुसा हुआ है और पिछले 24 घंटों में डेढञ पानी बढ़ा है। हालात बेहद नाजुक हैं। पंचायत में एक बांध है, जो टूट जाएगा , तो और 4-5 सौ घर डूब जाएंगे। हमलोग बांध को बचाने में लगे हुए हैं।”

दरभंगा के डीएम त्यागराजन एसएम ने दो दिन पहले पंचायत का दौरा किया। ग्रामीणों के मुताबिक, डीएम ने प्रभावित परिवारों के अकाउंट में एक हफ्ते के भीतर 6-6 हजार रुपए देने की बात कही है। 

साजिरा परवीन कहती हैं,

“पंचायत में 4 कम्युनिटी किचेन चल रहे हैं। खाना यहां बनता है और उसे  हमलोग प्रभावित परिवारों में बांटते हैं। जिन लोगों का मकान कई मंजिलों वाला और ऊंचे पर है, वे लोग बाढ़ पीड़ितों को अपने मकान में शरण दिए हुए हैं। कुछ लोगों को मदरसे में रखा गया है।”

एक जिलास्तरीय अधिकारी ने कहा, “पंचायत के लिए एसडीआरएफ की एक टीम तैनात की गई है। इसके अलावा प्रभावित परिवारों में तिरपाल वितरित किया गया है।”

नदियां उफान पर

मुजफ्फरपुर के कुढ़नी गांव में घुसा पानीमुजफ्फरपुर के कुढ़नी गांव में घुसा पानी

दूसरी तरफ, दरभंगा के सदर प्रखंड की लालूनगर महादलित बस्ती में भी बाढ़ प्रवेश कर गया है जिससे डेढ़ परिवार आश्रय के लिए इधर-उधर भटकने को विवश हैं। लोगों का कहना है कि घरों में तीन फीट तक पानी भरा हुआ है। प्रभावित लोग सड़क किनारे प्लास्टिक टांगकर रह रहे हैं, लेकिन सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं पहुंच रही है। 

चार दिनों से बाढ़ के पानी में रहने को मजबूर

मुजफ्फरपुर जिले के तुरकी ब्लॉक के कुढनी गांव में पिछले चार दिन से पानी फैला हुआ है, लेकिन सरकार को इसकी खबर ही नहीं है। कुढ़नी गांव में चौकी पर दिन गुजार रहे किशन साहनी ने इंडिया वाटर पोर्टल को बताया,

“गांव में 65 घर हैं और सभी घरों में चार दिन से पानी घुसा हुआ है। यहां के 4-5 घर ही पक्के हैं। बाकी कच्चे घर हैं, जो कब गिर जाएंगे, कोई नहीं जानता है। लेकिन, सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है, इसलिए लोग जान जोखिम डालकर घरों में ही रहने को मजबूर हैं।”

उन्होंने कहा, “गंडक नदी से एक नहर जुड़ी हुई है। उस गंडक के पानी से नहर भर गई है और पानी गांव में घुस गया है। इससे पहले वर्ष 2007 में भी यहां पानी आ गया था।“

“हमारे लिए बहुत परेशानी है। यहां के ज्यादातर घरों में शौचालय नहीं है। लोगों को कपड़े खोलकर काफी दूर जाना पड़ता है और खाली जगह मिलती है, तो शौच करते हैं। नाव तक सरकार की तरफ से नहीं मिली है”, साहनी ने कहा।

उन्होंने बताया कि एक किलोमीटर दूर एक स्कूल है। लेकिन, कोरोना के डर से लोग वहां जाने से डर रहे हैं और दूसरी बात ये भी है कि स्कूल में सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था भी नहीं है।

किशन साहनी ने कहा, “हमलोग दिनभर चौकी पर बैठकर दिन गुजार रहे हैं।”

मुजफ्फरपुर के 9 प्रखंड की 63 पंचायतों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से मिले आंकड़ों के मुताबिक, यहां एक भी राहत शिविर नहीं है, लेकिन एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की दो टीमें तैनात की गई हैं।

इंडिया वाटर पोर्टल ने मुजफ्फरपुर जिले के डीएम डॉ चंद्र शेखर सिंह से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके बाद कुढ़नी ब्लॉक के बीडीओ को फोन किया गया, तो उन्होंने सर्किल अफसर से बात करने को कहा। सर्किल अफसर को फोन करने पर उनका फोन नॉट रिचेबल आ रहा था।

कुढ़नी गांव के पांच नंबर वार्ड के वार्ड सदस्य बिरजू साहनी ने इंडिया वाटर पोर्टल को बताया,

“पानी तो लगातार बढ़ रहा है, लेकिन कोई मदद नहीं मिल रही है। हम सर्किल अफसर से मिले भी थे और बोले कि मदद कीजिए, तो सर्किल अफसर ने कहा कि बथान में पानी घुसा है घर में नहीं। वो आकर गांव में एक घूम लें, तो पता चल जाएगा कि पानी कहां घुसा है।”

नदियां उफान पर

बाढ़ में डूबा हैंडपंप दिखाता स्थानीय युवकबाढ़ में डूबा हैंडपंप दिखाता स्थानीय युवक

बिहार में फैलते बाढ़ के खतरों के बीच नदियों का जलस्तर लगातार ऊपर की ओर बढ़ रहा है। सेंट्रल वाटर कमिशन की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक, कमला, कोसी, महानंदा, गंडक, बूढ़ी गंडक और बागमती कई गॉज स्टेशनों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं और जलस्तर में इजाफा हो रहा है।

कमला नदी मधुबनी के जयनंगर, झंझारपुर और झंझारपुर (रेलपुल) में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। वहीं, गंडक नदी गोपालगंज के डुमरियाबांध और मुजफ्फरपुर के रेवाघाट, बूढ़ी गंडक पूर्वी चम्पारण, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर के दो गॉज स्टेशन समस्तीपुर और रोसड़ा में खतरे के निशान के ऊपर है।

बागमती/अधवारा नदी सीतामढ़ी के तीन गॉज स्टेशन, शिवहर और मुजफ्फरपुर के एक-एक और दरभंगा की तीन गॉज स्टेशनों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। 

इधर, नदियों से पानी का डिस्चार्ज भी बढ़ा है। कोसी बराज से शुक्रवार की सुबह 1,68,835 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हुआ है जबकि गंडक बराज से दो लाख अट्ठारह हजार (2​,​18​,​000) क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हुआ है। 

पानी के भीषण बहाव के कारण कुछ सड़कों के टूटने की भी खबर है। गोपालगंज को बेतिया से जोड़ने वाले जादोपुर-मंगलपुर महासेतु का​​ संपर्क पथ टूट गया है, जिससे आवाजाही प्रभावित हुई है। इसी तरह मधुबनी में कई गांवों को जोड़ने वाली एक सड़क का 100 फीट हिस्सा टूट गया, जिससे लोगों को दिक्कत हो रही है। जिले के ही बिशनपुर में भी एक ग्रामीण सड़क बाढ़ के पानी से क्षतिग्रस्त हो गई है। 

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मूल आलेख हिंदी में उमेश कुमार राय 

हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद स्वाति बंसल

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