वाटर ट्रीटमेंट या नर्मदा मिलाकर शुद्ध करें खान

6 Sep 2014
0 mins read
खान नदीउनका पेशा ही जल से जुड़ा है। मध्य प्रदेश और गुजरात की कई नदियों का तकनीकी अध्ययन उनके लंबे कार्य अनुभव का हिस्सा है। खान नदी के अतीत, वर्तमान और भविष्य पर आइए जानते हैं नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के मुख्य अभियंता और सचिव मुकेश चौहान का नजरिया-

मेरा जन्म इंदौर में हुआ। बचपन में हम देखते थे कि खान के छावनी वाले घाट पर लोग नहाया करते थे। बच्चे पूल पर से ही नदी में छलांग लगाते थे। बुजुर्ग बताते हैं कि नदी का पानी आर-पार दिखता था यानी इसमें साफ पानी बहता था। इंजीनियर की नजर से देखूं तो कह सकता हूं कि उस दौरान आबादी 2 लाख थी और पानी साफ था।

ऐसे बदला रूप


खान के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण हुआ। यानी जहां से नदी में पानी आता था, वहां से पानी आना बंद हुआ। मानसून के बाद नदियों को ग्राउंड वाटर से सपोर्ट मिलता है। खान के मामले में वो सपोर्ट बंद हुआ, क्योंकि ग्राउंड वाटर टेबल नीचे चली गई। आज भी इसमें 90 एमएलडी पानी बह रहा है। यदि 90 एमएलडी दूषित के साथ 90 या 100 एमएलडी साफ पानी भी होता तो नदी आपको साफ दिखाई देती।

ऐसे संवारें


नदी में गंदा पानी पहुंचाने वाले सारे स्रोतों का पानी पाइप लाइन से कबीटखेड़ी के ट्रीटमेंट प्लांट में पहुंचा दिया जाए। वहां ट्रीटमेंट के बाद साफ पानी को चिड़ियाघर के समीप और नहर भंडारा के पास से फिर से नदी में मिला दिया जाए। एक अन्य विकल्प के तौर पर नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना से नर्मदा का जल खान में डाला जाए। इसकी विस्तृत योजना मैं शहर के नागरिकों के समक्ष प्रस्तुत कर चुका हूं। नर्मदा का जल भी रोज नहीं मिलाना पड़ेगा।

मैं भी तैयार


मैं वाटर रिसोर्स इंजीनियर हूं। शोधकार्य, तकनीकी पहलुओं का अध्ययन और तकनीक के बारे में संबंधित से संवाद करने के लिए तैयार हूं। तीन साल से व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास कर भी रहा हूं। एक प्रस्ताव भी बनाकर मुख्यमंत्री को भेजा है।

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading