विभिन्न भूमि उपयोगों पर अंतःस्यंदन गुणों का अध्ययन

अंतः स्यंदन जल संतुलन की गणना एक आवश्यक अंग है। जलविज्ञानीय अध्ययनों के लिए विभिन्न प्रकार की मृदाओं एवं भूमि उपयोगों की स्थिति में अन्तःस्यंदन ज्ञान जरूरी है। अंतःस्यंदन दर एक मृदा में जल के प्रवेश कर सकने की अधिकतम दर को निर्धारित करती है। अंतः स्यंदन दर पूर्वगामी मृदा नमी एवं प्रपुण्ज घनत्व में परिवर्तन से प्रभावित होती है। जलोढ़ मृदा, काली मृदा, लाल मृदा एवं लेटराइट मृदा, भारत में पाये जाने वाले मुख्य मृदा समूह हैं। इसके अतिरिक्त कुछ दूसरे समूह जैसे वनभूमि, मरुस्थल भूमि, लवणीय एवं क्षारीय भूमि समूह उपस्थित हैं। इन सभी मृदाओं में विभिन्न अंतःस्यंदन दरें हो सकती हैं।

इस प्रपत्र में जम्मू क्षेत्र के विभिन्न प्रकार की मृदाओं एवं भूमि उपयोगों, भूमि उपचार एवं फसल प्रकार की स्थितियों में अंतःस्यंदन एवं संचयी अंतःस्यंदन दरों का विभिन्न स्थलों पर अध्ययन किया गया है। प्रस्तुत अध्ययन में वन आच्छादित भूमियों का अंतःस्यंदन दर पर अन्य भूमि उपयोगों के तुलनात्मक अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि वन आच्छादित भूमियों में अंतःस्यंदन दर सर्वाधिक होती है। प्रस्तुत अध्ययन में हार्टन (Horton) एवं कोसियाकोव (Kostiakoy) निर्देशनों के माध्यम से अंतःस्यंदन आंकड़ों का अध्ययन किया गया। अध्ययन में प्रस्तुत निर्दशनों के लिए R2 का मान क्रमशः 0.75-0.98 एवं 0.75-0.99 पाया गया।


 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading